परेशान उपभोक्ता ने बिजली कटौती की पूर्व सूचना न देने और सेवा में कमी को लेकर क्षेत्रवासियों को मानसिक और आर्थिक कष्ट के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए प्रबंध निदेशक/अधिशासी अभियंता को भेजा विधिक नोटिस

अनियमित विद्युत आपूर्ति, उपभोक्ताओं को पूर्व सूचना न देने और सेवा में कमी के संबंध में इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड, 2005 के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन क्षेत्रवासियों को मानसिक और आर्थिक कष्ट के लिए मुआवजा प्रदान सेवा में कमी के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग करते हुए प्रबंध निदेशक, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, मेरठ के साथ-साथ अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खंड द्वितीय, इंद्रपुरी, लोनी को विधिक नोटिस भेजने का अनोखा मामला प्रकाश में आया है।

बताते चले कि स्थानीय उपभोक्ता देवेंद्र कुमार न्यू विकास नगर कॉलोनी में विद्युत कटौती की अनियमितता एवं उपभोक्ताओं को सूचना न देने की समस्या को लेकर कई बार स्थानीय अधिकारीयों से लेकर उच्च अधिकारीयों तक ध्यान आकृषित कराया, लेकिन समस्या का निदान नहीं हो सका।

प्राप्त जानकारी के अनुसार गाज़ियाबाद, उत्तर प्रदेश अन्तगर्त न्यू विकास नगर कॉलोनी लोनी में पिछले एक महीने से विद्युत विभाग द्वारा लगातार अव्यवस्थित विद्युत कटौती की जा रही है। प्रतिदिन सुबह, दोपहर, शाम और रात के समय 2 से 3 घंटे तक बिजली की कटौती हो रही है, जिससे आम जनता को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

विद्युत विभाग के नियमानुसार, इतनी लंबी विद्युत कटौती के दौरान उपभोक्ताओं को कारण सहित सूचना देने का प्रावधान है, परंतु इस दौरान कोई भी सूचना उपभोक्ताओं को नहीं दी जा रही है। इसके अलावा, संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन फोन न उठाए जाने के कारण समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है।

स्थानीय उपभोक्ता देवेंद्र कुमार ने इस गंभीर मुद्दे को लेकर ’उत्तर प्रदेश पश्चिम विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इस मामले को लेकर एक शिकायत पत्र भी संबंधित अधिकारियों को भेजा है, जिसमें अनुरोध किया गया है कि उपभोक्ताओं को उचित सूचना दी जाए और अनियमित विद्युत कटौती पर रोक लगाई जाए।

अतः में स्थानीय जनता की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए, विद्युत विभाग इस मुद्दे को शीघ्र सुलझाए और उपभोक्ताओं को उनकी सुविधानुसार उचित सेवा प्रदान करने एवं क्षेत्रवासियों को मानसिक और आर्थिक कष्ट के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए प्रबंध निदेशक/अधिशासी अभियंता को विधिक नोटिस भेजा।


विधिक नोटिस

भेजने वालाः
वैद्य देवेंद्र कुमार
पताः 113, न्यू विकास नगर, लोनी, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश
मोबाइलः 9136193132

भेजा जा रहा हैः
1. अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खंड द्वितीय, इंद्रपुरी, लोनी
2. प्रबंध निदेशक, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, मेरठ

विषयः अनियमित विद्युत आपूर्ति, उपभोक्ताओं को पूर्व सूचना न देने और सेवा में कमी के संबंध में

दिनांकः 20 नवंबर 2024

महोदय,
मैं, वैद्य देवेंद्र कुमार, निवासी न्यू विकास नगर, लोनी, गाजियाबाद, आपके विद्युत वितरण खंड द्वितीय क्षेत्र का एक उपभोक्ता हूं। मैं इस नोटिस के माध्यम से आपके ध्यान में निम्नलिखित गंभीर समस्याएं लाना चाहता हूंः

1.अनियमित विद्युत आपूर्तिः
हमारे क्षेत्र में पिछले एक माह से प्रतिदिन सुबह 7ः00 बजे से 9ः00 बजे, शाम 6ः00 बजे से 8ः00 बजे, और रात में 2 घंटे तक बिजली कटौती की जा रही है।

2.पूर्व सूचना का अभावः
विद्युत कटौती से पहले उपभोक्ताओं को सूचना देना आपकी जिम्मेदारी है, जो कि विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 57 और 59 और न्च्च्ब्स् च्टटछस् इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड, 2005 के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है।

3. मोबाइल सूचना सेवा का बंद होनाः
पूर्व में दी जाने वाली मोबाइल सूचना सेवा को बंद कर दिया गया है, जिससे उपभोक्ताओं को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

नोटिस की मांगः
आपसे आग्रह है कि इस नोटिस के प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर निम्नलिखित कार्रवाइयां सुनिश्चित करेंः
1. क्षेत्र में नियमित और निर्बाध विद्युत आपूर्ति बहाल करें।
2. विद्युत कटौती से पूर्व सूचना प्रदान करने की सेवा को पुनः चालू करें।
3. सेवा में कमी के लिए दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करें।
4. क्षेत्रवासियों को मानसिक और आर्थिक कष्ट के लिए मुआवजा प्रदान करें।

यदि निर्धारित समयावधि के भीतर उपरोक्त मांगों को पूरा नहीं किया गया, तो मैं उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 35 के अंतर्गत उपभोक्ता अदालत में मुकदमा दर्ज करने के लिए बाध्य हो जाऊंगा।
यह नोटिस विधिक प्रभाव का है और इसे भविष्य में अदालत में प्रस्तुत किया जा सकता है।’

भवदीय
वैद्य देवेंद्र कुमार
पताः 113, न्यू विकास नगर, लोनी, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश


इस सन्दर्भ में पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड एवं उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा विद्युत सुरक्षा नियमों के उल्लंघन के संबंध में अभियोग दर्ज कराने हेतु प्रार्थना पत्र भी दिया गया, जिसमें इसने प्रार्थना पत्र पर अभियोग पंजीकृत नहीं किया गया, बल्कि उल्टा प्रार्थना पत्र देने वाले के ऊपर ही अभियोग पंजीकृत हो गया…

क्षेत्र की गंम्भीर समस्याओं को लेकर थाना लोनी क्षेत्र, जिला गाजियाबाद उत्तर प्रदेश निवासी देवेंद्र कुमार कई बार पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेडऔर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को प्रार्थना पत्र देकर लोनी विद्युत वितरण खंड द्वितीय इंद्रपुरी क्षेत्र के न्यू विकास नगर कॉलोनी में विद्युत सुरक्षा नियमों का गम्भीर उल्लंघन होने की जानकारी दी, लेकिन कोई कारवाई नहीं हुई।

इस संबंध में पूर्व में भी संबंधित विभागों को विद्युत आपूर्ति कोड 2005, भारतीय विद्युत अधिनियम 1956 की धारा 79, तथा विद्युत अधिनियम 2003 के तहत निर्धारित जिम्मेदारियों और नियमों के उल्लंघन के बारे में सूचित किया गया था। तथापि, उक्त उल्लंघनों के बावजूद कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे क्षेत्र में नागरिकों की जान-माल को अत्यधिक खतरा उत्पन्न हो रहा है। संबंधित अधिकारियों द्वारा अपने वैधानिक कर्तव्यों के निर्वहन में घोर लापरवाही और उदासीनता को दर्शाता है।

आखिर क्या है परेशानी, जिसको लेकर उपभोक्ता है परेशान

वर्ष 2011 से लगातार आवेदन
न्यू विकास नगर कॉलोनी वार्ड नंबर 5 थाना लोनी क्षेत्र के लगभग तीन दर्जन निवासियों ने वर्ष ’2011’ से ही विद्युत विभाग को कई बार लिखित और मौखिक रूप से आवेदन दिए हैं कि ’11 केवी की विद्युत लाइन’, जो हमारे घरों के ऊपर से गुजर रही है, अत्यंत असुरक्षित है। हमने बार-बार विभाग से निवेदन किया कि इन तारों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जाए। परंतु विद्युत विभाग ने इन आवेदनों को नजरअंदाज किया और नियमों की अवहेलना करते हुए विद्युत आपूर्ति जारी रखी। हे

फर्जी प्रथम सूचना रिपोर्ट कराई गई दर्ज
दिनांक ’8 अगस्त 2019’ को विद्युत विभाग ने मेरे और कुछ अन्य कॉलोनीवासियों के खिलाफ एक ’फर्जी प्राथमिकी’ दर्ज की, जिसमें आरोप लगाया गया कि हमने अवैध रूप से बिजली आपूर्ति में हस्तक्षेप किया। यह एफआईआर पूरी तरह से ’झूठे तथ्यों’ पर आधारित थी, क्योंकि हम केवल अपनी सुरक्षा की मांग कर रहे थे। विभाग ने हमारी वैध शिकायतों को अनदेखा करते हुए, हमें दबाने के इरादे से यह कदम उठाया, जो ’उपभोक्ता अधिकारों’ का स्पष्ट उल्लंघन है।

धारा 4.18 का उल्लंघन
उपरोक्त प्रकरण ’इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड, 2005’ की धारा 4.18 के अंतर्गत उल्लंघन का प्रतीक है, जिसमें उपभोक्ता परिसर में विद्युत उपकरणों की स्थापना के लिए आवश्यक अनुमति प्राप्त करने का प्रावधान किया गया है। शिकायतकर्ता ने ’4 अगस्त 2019’ को विद्युत विभाग को सूचित किया कि विद्युत फॉल्ट के कारण स्थापित एंगल टूट गई थी, जिससे उनके आवास में करंट का खतरा उत्पन्न हो गया।

शिकायतकर्ता ने भविष्य में किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचने के लिए अपने आवासीय परिसर में एंगल की स्थापना का विरोध किया। इसके बावजूद, विद्युत विभाग ने बिना किसी उचित प्रक्रिया का पालन किए, ’8 अगस्त 2019’ को मिथ्या तथ्य पर आधारित एक फर्जी प्राथमिकी दर्ज करते हुए जबरन एंगल को शिकायतकर्ता के बाथरूम की दीवार में स्थापित कर दिया। इस कार्रवाई के दौरान, विद्युत विभाग ने न केवल शिकायतकर्ता के अधिकारों का उल्लंघन किया, बल्कि अन्य निवासियों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया।

इस प्रकार, विद्युत विभाग की यह कार्यवाही स्पष्ट रूप से ’इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड, 2005’ के प्रावधानों का उल्लंघन करती है और उपभोक्ता के अधिकारों का खुला हनन करती है। ऐसे में, संबंधित अधिकारियों द्वारा इस स्थिति की गंभीरता से जांच कर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।

 दिनांक ’21 दिसंबर 2020’ को, शिकायतकर्ता के आवास पर स्थित ’11 केवी’ विद्युत लाइन से जुड़े उपकरणों की अपर्याप्त देखरेख एवं अनुचित रखरखाव के कारण मेरे साथ एक गंभीर विद्युत दुर्घटना घटी। इस दुर्घटना के परिणामस्वरूप, मुझे गंभीर विद्युत आघात लगा, जिससे मेरी शारीरिक क्षमताओं में ’50 प्रतिशत’ की स्थायी विकलांगता उत्पन्न हुई। इस विकलांगता की पुष्टि गाजियाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी चिकित्सा प्रमाणपत्र के माध्यम से की गई है….यह दुर्घटना विद्युत विभाग की सार्वजनिक कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही और ’इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड, 2005’ के प्रावधानों के उल्लंघन का परिणाम है। विभाग की इस असावधानी ने न केवल मेरी शारीरिक क्षति का कारण बना, बल्कि इससे अन्य निवासियों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया है।

इस दुर्घटना के कारण मुझे गंभीर चोटें आईं, जिसके लिए मुझे चिकित्सकीय उपचार, दवा, और पुनर्वास पर अत्यधिक व्यय करना पड़ा। इसके अतिरिक्त, मेरी स्थायी विकलांगता के कारण मेरी कार्यक्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जिससे मुझे मानसिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

इस लापरवाही के लिए उपभोक्ता द्वारा विद्युत विभाग को जवाबदेह ठहराते हुए उपयुक्त मुआवजा की मांग की है।

इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड, 2005“धारा 5.5 का उल्लंघन
इसके अतिरिक्त, विद्युत विभाग ने ’धारा 5.5’ के अंतर्गत उपभोक्ता अधिकारों की अवहेलना करते हुए, मिथ्या तथ्यों के आधार पर शिकायतकर्ता और अन्य निवासियों के खिलाफ एक फर्जी प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई। यह कार्य उपभोक्ताओं के अधिकारों का गंभीर हनन है।

घटित घटना से स्पष्ट है कि विद्युत विभाग ने आपूर्ति कोड के प्रावधानों का पालन नहीं किया और इसके परिणामस्वरूप उपभोक्ताओं के अधिकारों का उल्लंघन किया गया। विभाग की यह कार्रवाई न केवल कानूनी मानदंडों के खिलाफ है, बल्कि यह उपभोक्ताओं के प्रति उनकी जिम्मेदारियों के प्रति लापरवाही का भी संकेत देती है।

11 के.वी. लाइन के नीचे अवैध निर्माण और भारतीय विद्युत सुरक्षा नियम, 1956 के उल्लंघन पर कानूनी स्थिति’
यह स्पष्ट है कि 11 के.वी. विद्युत लाइन एक पुरानी संरचना है, जिसका मूल उद्देश्य नलकूप (ट्यूबवेल) के माध्यम से कृषि के लिए विद्युत आपूर्ति करना था। समय के साथ, जब कृषि गतिविधियाँ समाप्त हो गईं, तब इस क्षेत्र में आवासीय कॉलोनियों का विकास हुआ और अनेक मकान विद्युत लाइन के नीचे स्थापित हो गए।

वर्तमान में, यह विद्युत लाइन अब ग्रामीण क्षेत्रों के बजाय शहरी कॉलोनियों को प्रभावित कर रही है, जिसमें लगभग 30 से 40 मकान इसके नीचे स्थित हैं। इस संदर्भ में, विद्युत विभाग ने इण्डियन इलेक्ट्रिसिटी नियम, 1956 की धारा 79 का उल्लंघन करते हुए इन आवासों को अवैध रूप से विद्युत कनेक्शन प्रदान किए हैं, जो स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन है।

इस प्रकार की कार्रवाई से न केवल स्थानीय निवासियों की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो रहा है, बल्कि यह विधिक दायित्वों का भी उल्लंघन करती है। इस मामले में विद्युत विभाग की लापरवाही और अनदेखी को गंभीरता से लेना आवश्यक है, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की दुर्घटनाओं को रोका जा सके और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जा सके।

वर्तमान विवाद
विद्युत विभाग ने ’एचटी (हाई टेंशन) लाइन’ के स्थानांतरण की प्रक्रिया प्रारंभ की और अधिकांश क्षेत्रों में सफलतापूर्वक लाइन को स्थानांतरित कर दिया। तथापि, केवल 300 मीटर की विद्युत लाइन को स्थानांतरित नहीं किया गया, जिसके परिणामस्वरूप कई दुर्घटनाएँ घटित हुईं। इन दुर्घटनाओं में कई व्यक्तियों की मृत्यु हुई, कुछ गंभीर रूप से घायल होकर स्थायी विकलांगता का शिकार हो गए, और कुछ को अपने निवास स्थान छोड़कर अन्यत्र शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।

विद्युत विभाग वर्तमान में इस संदर्भ में इण्डियन इलेक्ट्रिसिटी नियम, 1956 का हवाला देते हुए यह दावा कर रहा है कि संबंधित मकानों का निर्माण नियमों के उल्लंघन में हुआ है, और इसलिए वे इस समस्या के समाधान में असमर्थ हैं। हालांकि, स्थानीय निवासियों का तर्क है कि विद्युत विभाग ने उन्हें विधिवत विद्युत कनेक्शन प्रदान किया था, जो इस बात का प्रमाण है कि निर्माण को विभाग द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से अनुमति प्राप्त थी।

दुर्घटनाओं के पश्चात, विभाग अब अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ते हुए अपने कर्तव्यों को निभाने में असमर्थता जता रहा है। यह स्थिति न केवल स्थानीय निवासियों की सुरक्षा के लिए खतरा उत्पन्न कर रही है, बल्कि यह विभाग की लापरवाही और कर्तव्य से बचने के प्रयासों को भी उजागर करती है। ऐसे में, पुलिस को इस मामले में उचित ध्यान देकर जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संबंधित विभाग अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

अधिनियम की व्याख्या
इण्डियन इलेक्ट्रिसिटी नियम, 1956 की धारा 79 स्पष्ट रूप से उच्च-स्तरीय विद्युत लाइन के नीचे या उसके निकट निर्माण कार्य को अवैध घोषित करती है। यह प्रावधान सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसके उल्लंघन के लिए जिम्मेदारी केवल निर्माणकर्ताओं पर ही नहीं, बल्कि विद्युत विभाग पर भी लगती है।

विद्युत विभाग की यह लापरवाही कि उन्होंने अधिकांश एचटी लाइन को स्थानांतरित कर दिया, लेकिन एक छोटे हिस्से को अनदेखा कर दिया, यह दर्शाता है कि दुर्घटनाएँ टाली जा सकती थीं यदि विभाग ने अपने कार्य को पूरी जिम्मेदारी से और उचित सावधानी के साथ पूरा किया होता।

ऐसे में, यह स्पष्ट है कि विभाग द्वारा की गई इस चूक ने स्थानीय निवासियों की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है और इसके परिणामस्वरूप हुई दुर्घटनाएँ भी इसी लापरवाही का नतीजा हैं। दिनांक 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 7ः00 बजे से दोपहर 2ः00 बजे तक विद्युत आपूर्ति केवल में फाल्ट के कारण बाधित रही। मरम्मत के 10 मिनट बाद फिर से फाल्ट हो गया, जिससे रात 11ः00 बजे तक बिजली नहीं आ सकी।

क्षतिग्रस्त पुरानी केवल जोड़ दी गई है, जो तकनीकी मानकों के विपरीत है और हाई टेंशन लाइन के नीचे इसे लगाने से निवासियों की सुरक्षा को गंभीर खतरा बना हुआ है।

इस प्रकार, पुलिस विभाग को इस स्थिति की गंभीरता को समझते हुए उचित जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की अनहोनी को रोका जा सके और प्रभावित व्यक्तियों को न्याय मिले।

कानूनी विश्लेषण
यदि विद्युत विभाग ने उन मकानों को विद्युत कनेक्शन प्रदान किया है, जो इण्डियन इलेक्ट्रिसिटी नियम, 1956 की धारा 79 के विरुद्ध हैं, तो यह विद्युत विभाग की ओर से प्रथम दृष्टा एक गंभीर लापरवाही का मामला बनता है। धारा 79 स्पष्ट रूप से विद्युत सुरक्षा मानकों के पालन की अनिवार्यता को निर्धारित करती है। ऐसे में विद्युत विभाग का यह दावा कि मकानों का निर्माण अवैध है, विभाग की अपनी लापरवाही को छुपाने का प्रयास मात्र है।

अधिकांश स्थानीय निवासी कम पढ़े-लिखे और कानून से अनभिज्ञ हैं, जिससे संभवतः उन्होंने अनजाने में इस नियम का उल्लंघन किया हो सकता है। परंतु विद्युत विभाग के अधिकारी शिक्षित और प्रशिक्षित होते हैं, जिनके ऊपर यह जिम्मेदारी होती है कि वे किसी भी नियम या कानून का उल्लंघन न होने दें। इसके बावजूद, विभाग ने न केवल कनेक्शन जारी किए, बल्कि उच्च-स्तरीय विद्युत लाइन के अत्यंत निकट स्थित मकानों को कनेक्शन देकर गंभीर लापरवाही की। जहां 40 मीटर की दूरी पर विद्युत पोल होने पर भी कनेक्शन देने से इनकार किया जाता है, वहां विभाग ने जानबूझकर इण्डियन इलेक्ट्रिसिटी नियम, 1956 की धारा 79 का उल्लंघन किया।

इससे यह संदेह उत्पन्न होता है कि विभाग के अधिकारियों ने व्यक्तिगत लाभ के लिए और पैसे के लालच में नियमों की अनदेखी करते हुए इन मकानों को अवैध रूप से कनेक्शन प्रदान किए। इस लापरवाही का परिणाम यह हुआ कि कई लोग दुर्घटनाओं का शिकार हुए, कुछ की मृत्यु हो गई, और कई विकलांग हो गए। विद्युत विभाग के अधिकारियों का यह दायित्व है कि वे सभी सुरक्षा मानकों का पालन करें; परंतु यहां उन्होंने जानबूझकर अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं किया।

इसके अतिरिक्त, विद्युत विभाग द्वारा अधिकांश एचटी लाइन की शिफ्टिंग कर दी गई थी, परंतु मात्र 300 मीटर की लाइन को छोड़ दिया गया, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बनी रही। यह विभाग की ओर से एक और लापरवाही का प्रमाण है, जिसने जान-माल की क्षति को और बढ़ा दिया। ऐसे में, पुलिस विभाग को इस गंभीर मामले की जांच करते हुए उचित कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके और प्रभावित व्यक्तियों को न्याय मिल सके।

न्यायिक दृष्टिकोण
1. अगर विद्युत विभाग ने जानबूझकर या अनजाने में नियमों के खिलाफ कनेक्शन प्रदान किए हैं, तो यह विभाग की जिम्मेदारी बनती है कि वह गलती को सुधारने के लिए उचित कदम उठाए।
2. निवासियों को यह अधिकार है कि वे न्यायालय में विभाग के खिलाफ याचिका दायर करें, जिसमें यह तर्क दिया जा सकता है कि विभाग ने अपने दायित्वों का सही तरीके से पालन नहीं किया है और उनके कर्तव्य में चूक के कारण उन्हें जान-माल की क्षति उठानी पड़ी है।

3. यह स्पष्ट रूप से विद्युत विभाग की लापरवाही का एक गंभीर मामला है, जिसमें नियमों का उल्लंघन करते हुए अविचारवश निवासियों को विद्युत कनेक्शन प्रदान किए गए।“ इसके पश्चात, विभाग ने सुरक्षा मानकों का उल्लेख करते हुए अपनी जिम्मेदारियों से बचने का प्रयास किया है। इस लापरवाही के परिणामस्वरूप कई दुर्घटनाएँ घटित हुईं, जिसके फलस्वरूप जान-माल का भारी नुकसान हुआ।

अतः, इस मामले की गहन और स्वतंत्र जांच की आवश्यकता है। साथ ही, विद्युत विभाग को निर्देशित किया जाना चाहिए कि वह शेष 300 मीटर की विद्युत लाइन को तत्काल स्थानांतरित करे, ताकि भविष्य में ऐसी दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।

विद्युत विभाग की लापरवाही से होने वाली दुर्घटनाएँ जन-जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती हैं। ऐसी परिस्थितियों में भारतीय दंड संहिता (प्च्ब्) और विद्युत अधिनियम के तहत कानूनी प्रावधान मौजूद हैं, जो विभाग की जिम्मेदारी तय करते हैं और दोषियों पर कार्रवाई का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

नीचे कुछ प्रमुख कानूनी धाराओं का उल्लेख किया जा रहा है, जो विद्युत विभाग की लापरवाही से संबंधित मामलों में लागू होती हैंः

आईपीसी की धारा 182
यह धारा तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति किसी लोक सेवक को झूठी सूचना देता है, जिससे वह कानून के तहत कार्रवाई करता है। विद्युत विभाग द्वारा झूठी प्राथमिकी दर्ज करने के मामले में, यह धारा फर्जी शिकायत दर्ज करने वालों पर लागू होगी।

आईपीसी की धारा 337
यह धारा तब लागू होती है जब किसी व्यक्ति की लापरवाही से किसी अन्य व्यक्ति को चोट पहुंचती है, जिससे उसकी जान को खतरा होता है। विद्युत विभाग की लापरवाही से होने वाली दुर्घटनाओं में, यह धारा लागू की जा सकती है।

आईपीसी की धारा 338
यह धारा तब लागू होती है जब लापरवाही के कारण गंभीर चोट पहुँचती है। यदि विद्युत विभाग की लापरवाही से कोई व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो जाता है,

विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 53
यह धारा विद्युत सुरक्षा उपायों के उल्लंघन के लिए लागू होती है। यदि उच्च-तनाव वाले तारों या अन्य विद्युत उपकरणों की खराब स्थिति के कारण दुर्घटनाएँ होती हैं, और विभाग द्वारा सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जाता है, तो इस धारा के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 304ए
यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु विद्युत विभाग की लापरवाही के कारण होती है, तो इस धारा के तहत गैर-इरादतन हत्या का मामला बनता है। धारा तब लागू होती है जब किसी की जान विभाग की लापरवाही या असावधानी से चली जाती है।

विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 161
यह धारा विद्युत दुर्घटनाओं की जांच के लिए लागू होती है। यदि किसी दुर्घटना की जांच में यह साबित होता है कि विद्युत विभाग की लापरवाही थी, तो दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सकती है।

इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड, 2005 की धारा 4.18
उच्च-तनाव वाले तारों की अनुचित स्थापना या रखरखाव में सुरक्षा मानकों का उल्लंघन करने पर यह धारा लागू होती है। संबंधित अधिकारी या विभाग पर जुर्माना और सुधारात्मक कार्रवाई की जा सकती है।

उपयुक्त कानूनी धाराओं का पालन और उनके तहत उचित कार्रवाई विद्युत विभाग की लापरवाही और जन-जीवन को खतरे में डालने वाली घटनाओं को रोकने में मदद कर सकती है। इन धाराओं का उपयोग विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही तय करने और लापरवाही के मामलों में उचित न्याय सुनिश्चित करने के लिए किया जा सकता है।

समीक्षा और स्थिति

बिजली विभाग द्वारा यह दावा किया गया है कि विद्युत लाइनों को इंसुलेटेड कर दिया गया है, जिससे नंगे तारों से उत्पन्न खतरा समाप्त हो गया है। हालांकि, वस्तुस्थिति यह है कि इंसुलेटेड तारों के बावजूद स्थानीय निवासियों के जीवन और संपत्ति को गंभीर खतरा बना हुआ है। विद्युत लाइनों का घरों के ऊपर से गुजरना न केवल असुरक्षित है, बल्कि यह ’इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड 2005’ और ’विद्युत अधिनियम 2003’ के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन भी है।

इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि विद्युत विभाग द्वारा महज तारों को इंसुलेट करना पर्याप्त नहीं है, जब तक कि विद्युत लाइनों को संरचनात्मक रूप से सुरक्षित दूरी पर स्थानांतरित नहीं किया जाता।

भारतीय विद्युत नियम, 1956 की धारा 79
– ’विद्युत सुरक्षा नियमों का उल्लंघन’
विद्युत विभाग द्वारा उच्च-तनाव वाले तारों के रखरखाव में यदि कोई सुरक्षा नियमों का उल्लंघन हुआ हो, तो यह धारा लागू होती है।

इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड, 2005 की धारा 5.0, 6.0, 8.0, 4.16, 4.17 और 9.0 ’सेवा में कमी और विद्युत सुरक्षा उपायों का पालन न करना’ उपयुक्त मामले में यदि विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता में कमी आई है, जैसे बार-बार बिजली कटौती, खराब रखरखाव, और उपभोक्ता शिकायतों का निवारण नहीं किया गया है, तो ये धाराएं लागू होती हैं।

विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 57 और 59
’सेवा में कमी के लिए मुआवजा’
10 ’’धारा 151 (विद्युत अधिनियम, 2003) विद्युत उपकरणों की स्थापना और रखरखाव में लापरवाही।
11’’ धारा 152 (विद्युत अधिनियम, 2003) विद्युत उपकरणों की स्थापना और रखरखाव में अनियमितता।
12’’धारा 4.14 (इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड, 2005) उपभोक्ता परिसर में विद्युत उपकरण स्थापित करने के लिए अनुमति
विद्युत विभाग द्वारा सेवा में कमी के कारण एवं लापरवाही के कारण उपभोक्ताओं को जो नुकसान हुआ है, उसके लिए मुआवजे की मांग की जा सकती है।

जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हेतु अनुरोध
उपभोकता द्वारा निम्न अधिकारियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का अनुरोध किया है, जिनकी लापरवाही और कर्तव्यपालन में विफलता के कारण हमारे क्षेत्र में विद्युत संबंधित गंभीर समस्याएं उत्पन्न होने के साथ-साथ जन-जीवन और संपत्ति को भारी नुकसान हो रहा है…

पीवीवीएनएल के जूनियर इंजीनियर
कार्यालयः रूपनगर बिजली घर, लोनी
जिम्मेदारीः क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति और रखरखाव का निरीक्षण, जिसमें सुरक्षा मानकों का पालन सुनिश्चित करना प्रमुख है। इनके कर्तव्यों में लापरवाही से विद्युत आपूर्ति में अवरोध और सुरक्षा संबंधी चूक की घटनाएं हो रही हैं।

पीवीवीएनएल के सब डिवीजनल इंजीनियर
कार्यालयः नाईपुरा, लोनी
जिम्मेदारीः सब-डिवीजन के अंतर्गत विद्युत आपूर्ति, रखरखाव और सुधार कार्यों की देखरेख। इनके अधीन क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति और सुरक्षा में गंभीर चूक हो रही है, जो इनकी जिम्मेदारियों में लापरवाही का स्पष्ट संकेत है।

पीवीवीएनएल के अधिशासी अभियंता
कार्यालयः इंद्रापुरी, लोनी
जिम्मेदारीः पूरे क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति के उच्च स्तरीय प्रबंधन और सुरक्षा उपायों की निगरानी। इनके कर्तव्यों के पालन में गंभीर लापरवाही से क्षेत्र में दुर्घटनाओं और विद्युत आपूर्ति में लगातार असुविधा उत्पन्न हो रही है।

पीवीवीएनएल के अधीक्षण अभियंता
कार्यालयः कोयल एनक्लेव, लोनी मंडल
जिम्मेदारीः मंडल स्तर पर विद्युत आपूर्ति और सुरक्षा से संबंधित सभी तकनीकी और प्रशासनिक कार्यों की देखरेख। इनके द्वारा सुरक्षा मानकों की अनदेखी और लापरवाही से कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।

पीवीवीएनएल के मुख्य अभियंता
कार्यालयः राज नगर, गाजियाबाद
जिम्मेदारीः जिले में विद्युत सुरक्षा, प्रबंधन, और तकनीकी संचालन की देखरेख। इनके कार्यक्षेत्र में सुरक्षा मानकों की अवहेलना और लापरवाही के कारण जन-जीवन को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है।

पीवीवीएनएल के प्रबंध निदेशक
कार्यालयः ऊर्जा भवन, साकेत, मेरठ
जिम्मेदारीः ज़ोन के समस्त विद्युत आपूर्ति और सुरक्षा व्यवस्थाओं का प्रबंधन और संचालन। इनके निर्देशों की अनुपालन में विफलता से पूरे क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं।

पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष/प्रबन्ध निदेशक
कार्यालयः लखनऊ स्थित शक्ति भवन मुख्यालय, उत्तर प्रदेश
जिम्मेदारीः उत्तर प्रदेश राज्य में विद्युत आपूर्ति और सुरक्षा का समग्र प्रबंधन और निगरानी। इनके अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा की जा रही लापरवाही के लिए ये जिम्मेदार माने जाते हैं।

 

 

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    सर्वप्रथम आप का यूपीपीसीएल मीडिया में स्वागत है.... बहुत बार बिजली उपभोक्ताओं को कई परेशानियां आती है. ऐसे में बार-बार बोलने एवं निवेदन करने के बाद भी उस समस्या का निराकरण नहीं किया जाता है, ऐसे स्थिति में हम बिजली विभाग की शिकायत कर सकते है. जैसे-बिजली बिल संबंधी शिकायत, नई कनेक्शन संबंधी शिकायत, कनेक्शन परिवर्तन संबंधी शिकायत या मीटर संबंधी शिकायत, आपको इलेक्ट्रिसिटी से सम्बंधित कोई भी परेशानी आ रही और उसका निराकरण बिजली विभाग नहीं कर रहा हो तब उसकी शिकायत आप कर सकते है. बिजली उपभोक्ताओं को अगर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई, बिल या इससे संबंधित किसी भी तरह की समस्या आती है और आवेदन करने के बाद भी निराकरण नहीं किया जाता है या सर्विस खराब है तब आप उसकी शिकायत कर सकते है. इसके लिए आपको हमारे हेल्पलाइन नंबर 8400041490 पर आपको शिकायत करने की सुविधा दी गई है.... जय हिन्द! जय भारत!!

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