महिला पॉलिटेक्निक पर कार्यरत अकुशल आउटसोर्सिंग संविदा कर्मी 11 हजार लाइन की फाल्ट बनाते समय गिरकर दर्दनाक मौत

सबसे अहम सवाल : एक अकुशल आउटसोर्सिंग संविदा कर्मी 11 हजार की लाइन पर फ़ाल्ट बनाने का कार्य कैसे कर सकता है… यह सिर्फ यहीं नहीं सम्पूर्ण पावर कारपोरेशन में यहीं दशा है… ऐसे में आज नहीं तो कल…उसकी जान तो जानी तय है।

लखनऊ। विगत रात्रि (29 मई 2025) लगभग 12 बजे 11 हजार की विद्युत लाइन पर बिना सेफ्टी किट के कार्य कर रहे अकुशल संविदाकर्मी राजू की दर्दनाक मौत हो गई…. यह हादसा इंदिरानगर डिवीजन अंतर्गत आने वाले महिला पॉलिटेक्निक पावर हाउस पर था तैनात…कार्य करने के दौरान कैसे ऊंचाई से गिरा… यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका। गिरने के उपरान्त आनन फानन में साथ के लोग उन्हें तुरंत लोहिया अस्पताल ले गए। उपचार के दौरान राजू की हालत स्थिर थी जो अपने परिवारजनों से बातचीत भी कर रहा था। लेकिन अचानक सुबह 3:00 बजे उसकी तबीयत बिगड़ गई और उपचार के दौरान राजू ने शुक्रवार की रात्रि करीब 3ः00 बजे दम तोड़ दिया। हादसे के उपरांत ना तो कंपनी क्यूसा कॉर्प लिमिटेड का कोई प्रतिनिधि अथवा मजदूर यूनियन का कोई पदाधिकारी इस दर्दनाक हादसे के उपरांत सांत्वना देने अथवा आर्थिक मदद देने नहीं आया।

सम्बन्धित बिजली विभाग के अधिकारीयों एवं संविदा कर्मी आशंका व्यक्त कर रहे है कि उक्त हादसा पैर पिछलने के कारण ऊचाई से पोल से गिरने के कारण हुआ… लेकिन मृतक की पत्नी का कहना है कि रामू के पेट जला हुआ था इसका मतलब करंट से ऊंचाई से गिरा… लेकिन इन सबके बीच असली कारण क्या है… यह तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट ही बता पाएगी…मृतक राजू परिवार का इकलौता व्यक्ति कमाने वाला था, जिसके ऊपर पत्नी तीन बच्चे जिसमें दो बेटियां हैं एक विकलांग बच्चा की जिम्मेदारी थी।

इस संदर्भ में पूछने पर उपस्थित संविदा कर्मियों द्वारा बताया गया कि क्यूसा कॉर्प लिमिटेड कंपनी से हमें किसी प्रकार की कोई सेफ्टी किट अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है नहीं परिचय पत्र उपलब्ध कराया गया है…

11हजार की लाइन एक अकुशल आउटसोर्सिंग संविदा कर्मी… जिसे पोल पर चढ़ना तो दूर की बात है…वह कर्मी 11 हजार की लाइन पर फ़ाल्ट बनाने का कार्य कर रही है… वह भी बिना कोई सेफ्टी किट के… यह कैसे संभव है … इस संदर्भ में जब आउटसोर्सिंग संविदा कर्मी प्रदाता कंपनी क्यूसा कॉर्प लिमिटेड के प्रतिनिधि से जब सेफ्टी किट उपलब्ध कराने के विषय में पूछी गई, तो कोई संतोष जनक जवाब ना देते हुए सिर्फ इतना बताया गया कि अभी तो हम आये सिर्फ तीन माह हुए है, हम जल्द ही सभी को सेफ्टी किट व परिचय पत्र उपलब्ध कराएंगे….

आखिर क्या छुपाया जा रहा है…?

इन सब के बीच घटना के दिन ही सेक्टर 14 ओल्ड पावर हाउस के अवर अभियंता आशीष कुमार द्वारा दोपहर 12ः00 के आसपास कोई आवश्यक कार्य करने के लिए पॉलिटेक्निक पावर हाउस से शटडाउन लिया था, लेकिन लॉक शीट पर इसका कोई जिक्र नहीं है… आखिर क्यों? दबी जवान में कुछ संविदा कर्मी कहते हैं कि सेक्टर 14 ओल्ड पावर हाउस के अवर अभियंता आशीष कुमार सेक्टर 12 का लोड डालने के संदर्भ में यह शट डाउन लिया गया था, लेकिन लॉकशीट पर अंकित न होने के कारण कार्य करने वाले संविदा कर्मी को यह ज्ञात नहीं हो पा रहा था कि कौन सी लाइन कहां पर है किस फीडर का लोड है? यहीं कारण है कि मृतक ने अपनी जानकारी के अनुसार कार्य करने के पूर्व शटडाउन तो लिया, लेकिन इसके उपरान्त भी सप्लाई चल रही थी, जिसके सम्पर्क में आने ही यह हादसा हो गया। इस विषय पर यूपीपीसीएल मीडिया टीम की जांच जारी है, जल्दी इसका खुलासा होगा कि आखिर क्यों चोरी छुपे बिना लॉकशीट पर अंकित कराये शटडाउन दे दिया गया, इस दौरान क्या और क्या काम हुए…? वह जानना महत्वपूर्ण है… और इस कार्य के उपरान्त ही रात्रि दुर्घटना हुई है… कहीं दोनों में कोई संबंध तो नहीं?

इस संदर्भ में पूछने पर उपस्थित संविदा कर्मियों द्वारा बताया गया कि क्विज कंपनी से हमें किसी प्रकार की कोई सेफ्टी किट अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गई है नहीं परिचय पत्र उपलब्ध कराया गया है…

हादसा को लेकर गम्भीर नहीं है सेवा प्रदाता कम्पनी
उक्त हादसा होने के उपरान्त मुंशी पुलिया डिवीजन के अधिशासी अभियंता अभय प्रताप सिंह द्वारा तत्काल आउटसोर्सिंग संविदा कर्मी प्रदाता कंपनी क्यूसा कॉर्प लिमिटेड को जानकारी दी गई, लेकिन इस हादसे के 16 घण्टे बाद सम्बन्धित अधिशासी अभियन्ता द्वारा लगातार कॉल करने पर लगभग सायं 6ः00 बजे के आसपास खाली हाथ, यह आवश्सन देने डिवीजन कार्यालय पहुंचे कि हम सब कुछ करेगें।

इस प्रकरण की जानकारी मुंशीपुलिया डिविजन के अधिशासी अभियंता अभय प्रताप सिंह ने बताया कि मृतक रामू पिछले 5 साल से सेक्टर 14 ओल्ड पावर हाउस पर आउटसोर्सिंग संविदा कर्मी के रूप में कार्य कर रहा था.. फाल्ट ठीक करने के दौरान सीढ़ी से उतरते समय संविदा कर्मी राजू का पैर फिसल गया, जिससे वह नीचे गिर गए। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। अधिशासी अभियंता ने बताया कि शट डाउन लिया गया था। 11 हजार वोल्ट की लाइन थी। यदि करंट लगता तो शरीर पर झुलसने के निशान होते। पीएम रिपोर्ट से मौत का कारण स्पष्ट हो जाएगा। किसी भी बिजली कर्मी के साथ इस प्रकार का हादसा होना दुखद है.. हमसे एवं हमारे विभाग द्वारा जो अधिक से अधिक सहयोग उनके परिवार को दिया जा सकता है वह देने का हर संभव प्रयास करेंगे.. मृतक की पत्नी को पेंशन, बच्चों की पढ़ाई व एक बच्चे की नौकरी देने के साथ-साथ नियमानुसार 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने का प्रयास किया जाएगा।

इस संदर्भ में अधीक्षण अभियंता प्रेमलता सिंह से उनका पक्ष जानना चाहा… तो उनके द्वारा किसी प्रकार का कोई कॉल रिसीव नहीं किया गया ना ही कॉल बैक किया गया।

उक्त हादसा होना था हो गया लेकिन अपने पीछे एक अहम सवाल छोड़ गया कि क्या आउटसोर्सिंग संविदा कर्मियों की जीवन यही है… क्या इसी प्रकार हम हादसे का शिकार होते रहेंगे… एक तरफ अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन आउटसोर्सिंग संविदा कर्मियों की संख्या काम करते जा रहे हैं तो दूसरी तरफ कोई चारा न देख अकुशल कर्मियों से 11हजार की लाइन पर काम कराया जाता है… वह भी बिना सेफ्टी किट के… यहीं नहीं मजदूरों के हित में बड़ी बड़ी बाते करने वाले तमाम यूनियन में से कोई भी पदाधिकारी द्वारा आर्थिक सहायता देना तो दूर की बात परिवार के बीच जाकर संत्वाना देना भी जरूरी नहीं समझा।

इसी बीच यदि हम बात करते हैं सप्लाई कोड कि तो साफ-साफ उल्लेखित है कि 11 हजार की लाइन पर शटडाउन सिर्फ अवर अभियन्ता ही ले सकता है, तो जाहिर सी बात है कि कार्य स्थल पर अवर अभियन्ता मौजूद होगा… लेकिन क्या यह व्यवहारिक रूप सम्भव है। फाल्ट होने का कोई समय व स्थान निधारित नहीं होता, इस लिए हर फाल्ट पर अवर अभियंताओं की उपस्थित हो यह सम्भव नहीं… क्यांकि सम्पूर्ण पावर कारपोरेशन में कोई भी अवर अभियंता इतना सक्षम नहीं है कि हर 11 हजार की लाइन फाल्ट पर स्वयं खड़े होकर शट डाउन ले और उसको बनवाएं। जरा सोचिए कि एक साथ तीन-तीन अलग जगह 11 हजार की लाइन पर फाल्ट आ जाए, तो उच्च प्रबंधन हमें यह बताएं क्या यह संभव है कि एक अवर अभियंता महोदय एक साथ एक ही समय तीनों पार्ट हुए 11 हजार की लाइन की शटडाउन ले ले…ऐसे में किसी भी हादसे में अवर अभियन्ता के ऊपर कोई कारवाई नहीं बनती।

गंभीर बीमारियों से ग्रसित अवर अभियंता विपिन भारती की पोस्टिंग डिस्ट्रीब्यूशन में कैसे?
यह एक सोचनीय विषय है… जिस पावर हाउस यह हादसा हुआ है.. उस पावर हाउस की जिम्मेदारी एक गंभीर बीमारियों से ग्रसित अवर अभियंता विपिन भारती के ऊपर है…कैसे यह अपने आप में एक गंभीर सवाल है। किसी भी दशा में कहीं से भी यह अवर अभियंता महोदय डिस्ट्रीब्यूशन क्षेत्र में काम करने के लायक है ही नहीं… यह कड़वी सच्चाई सभी के साथ-साथ खुद भी स्वीकार करते है, इसलिए अवर अभियंता विपिन भारती कई बार उच्च अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं कि मुझे डिस्ट्रीब्यूशन क्षेत्र से हटाकर किसी भी परीक्षणशाला में कर दिया जाय… लेकिन उसके उपरान्त भी उच्च अधिकारियों के कान में ज़ू नहीं रेगा…इसलिए हमारी नजर में इस हादसा की जिम्मेदार केवल उच्च प्रबन्धन है। अवर अभियंता विपिन भारती को इसी माह के 15 तारीख को ही सुगमऊ पावर हाउस से स्थानांतरण कर महिला पॉलिटेक्निक की जिम्मेदारी दी गई थी… गंभीर रूप से बीमार होने के कारण अक्सर छुट्टी पर रहने वाले और अभियंता विपिन सिंह सिर्फ और सिर्फ दवाइयां के बल पर अपनी ड्यूटी करते हैं… हैरानी का विषय यह है कि संबंधित उच्च अधिकारी यह सब जानते हुए भी परीक्षणशाला में पोस्टिंग न करके डिस्ट्रीब्यूशन की जिम्मेदारी दे रखी थी…ऐसे में इस घटना का जिम्मेदार और अभियंता को ठहरना कहीं से भी व्यावहारिक रूप से सही नहीं होगा। आज यह हादसा हो गया सब लोग अपनी-अपनी गर्दन बचा रहे हैं…

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