उर्जा निगमों के द्वारा मीटर लैबों में तकनीकी रुप से अक्षम अभियन्ताओं की नियुक्ति एवं आवश्यक उपकरण उपलब्ध न कराने के कारण ही, मीटरों के साथ छेड़छाड़ करने वालों के हौसले बुलन्द

UPPCL Media WhatsApp एवं website पर प्रकाशित समाचार ”आकस्मिक चेकिंग के दौरान उपभोक्ता के यहां पाया गया मीटर टैम्पर करने एवं नो-डिस्प्ले का मामला“ जिसमें उपभोक्ता द्वारा प्रयोग किये जा रहे वास्तविक लोड को मीटर Slow कर, आधा दिखाया जा रहा था। इसी प्रकार एक अन्य प्रकाशित समाचार ”केस्को ने दो जेई, दो टीजी-2, अधिकारियों पर दर्ज कराया मुकदमा, चकेरी के एक घर में 41 मीटर मिलने की थी सूचना, जिसमें 40 मीटर केस्को के ही थे“।

यदि थोड़ा सा पीछे जायेंगे, तो दि0 10.12.2022 को एस0टी0एफ0 द्वारा लखनऊ क्षेत्र में पकड़े गये मीटरों में एक अन्य उर्जा निगम के 30 नग मीटर पाये गये थे तथा बिजली चोरी एवं मीटर टेम्परिंग का मुकदमा पंजीकृत हुआ था। जिसमें मीटर की Memory Chip बदलकर, विद्युत चोरी का मामला उजागर हुआ था। मीटर को खोलकर टैम्पर करने एवं नो-डिस्प्ले तथा Memory Chip बदलने का कार्य, अर्थात मीटर की Tampering हेतु स्वतन्त्र रुप से Custody जोकि अत्याधिक संगीन मामला है। उर्जा मापन, मूल रुप से मीटर में स्थापित Potential Transformer एवं Current Transformer के माध्यम से ही किया जाता है। जिसमें मीटर माफिया का सदैव ही यह प्रयास रहता है, कि वह किसी भी तरह से उक्त दोनों Components में से किसी एक के साथ, छेड़छाड़ कर मीटर को बन्द अथवा Slow कर सके। मीटर टेम्परिंग का भेद न खुल जाये, इसके लिये मीटर के अन्दर एक RF/IR Remote Receiver स्थापित कर, बाहर से रिमोट द्वारा मीटर को बन्द एवं चालू करने का खेल, खेला जाता है। उपरोक्त खेल की पृष्ठभूमि का आरम्भ, विद्युत परीक्षण शालाओं में थके हुये एवं निराशा से ग्रसित अभियन्ताओं की नियुक्ति से होता है। जोकि मनचाही नियुक्ति न मिल पाने एवं शहर में ही रहने के संकल्प के कारण, मजबूरी में जोड़-तोड़ कर परीक्षण खण्ड/परीक्षणशालाओं में अपनी नियुक्ति कराते हैं।

स्पष्ट है कि उर्जा निगमों में अधिकांश नियुक्तियां स्वयं होती नहीं, बल्कि कराई ही जाती हैं। रुचि को पोस्टिंग न होने के कारण, विभागीय कार्यों के प्रति, रुचि न के बराबर होती है। इसके अतिरिक्त विभाग द्वारा अपने ही अति संवेदनशील एवं महत्वपूर्ण विद्युत परीक्षण खण्डों (जोकि विभाग के तराजू हैं) के साथ किया जाने वाला सौतेला व्यवहार है। जिसके कारण अधिकांश विद्युत परीक्षणशालाओं में परीक्षण हेतु अनिवार्य संवेदनशील उपकरण तक उपलब्ध नहीं हैं।

यही कारण है कि विद्युत माफियाओं के लिये मीटरों तक पहुंचना बहुत आसान हो जाता है। चूंकि आज उर्जा निगमों में वेतन से ज्यादा महत्वपूर्ण है ”अतिरिक्त कमाई“। जिसकी प्रतिस्पर्धा में ही विभागीय कार्य मात्र औपचारिकता बनकर रह गये हैं और अधिकांश लोगों का हर वक्त ध्यान, सिर्फ और सिर्फ अतिरिक्त धन उपार्जन के तरीके ढूढंने में ही लगा रहता है। विभाग में ऐसे बहुत सारे महान कार्मिक हैं, जोकि लेन-देन के माहिर खिलाड़ी हैं तथा अपनी मांग पूरी न होने पर, झट बढ़ा चढ़ाकर बिजली चोरी का मुकदमा पंजीकृत कराकर हीरो बनने का कोई मौका नहीं छोड़ते हैं। जिनसे प्रबन्धन भी प्रसन्न रहता है। थके हुये अभियन्ताओं की बड़ी सरल कहानी है। जब इन्हें मनचाही नियुक्ति मिल जाती है तो इनमें जबरदस्त उर्जा का संचार हो जाता है, परन्तु जब इन्हें मनचाही नियुक्ति नहीं मिल पाती तो, स्थानान्तरण रुकवाने के लिये, चिकित्सा प्रमाण पत्रों एवं कारणों की भरमार होती है तथा उस वक्त बेहद ”बेचारे“ बने हुये नजर आते हैं। उससे भी ज्यादा आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि जब ये जोड़-तोड़ की अपनी विशेषज्ञता के आधार पर निदेशक बनते हैं, तो ये 65 वर्ष की आयु तक भी, घर से बहुत दूर, पद पर बने रहने के लिये प्रबन्धन की भी नजर में सर्वाधिक उपयुक्त होते हैं। परन्तु जो विभागीय कार्य के समानान्तर, धन के बहाव में रुकावट के रुप में चिन्हित हो जाते हैं, वे सभी 50 वर्ष की आयु में भी नकारा घोषित हो जाते हैं।

बेबाक पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि विभाग को अपनी ही आवश्यकताओं का कोई ज्ञान नहीं है। यदि कहीं मीटरों के साथ छेड़छाड़ का मामला पकड़ा भी जाता है तो उसके पीछे दो ही कारण होते हैं कि या तो गलती से कोई जागरुक अभियन्ता उस खण्ड में नियुक्त हो गया अथवा लेन-देन पर बात बिगड़ गई। अधिकांश मीटर के अन्दर छेड़छाड़ के मामले, लेन-देन में ही दबकर रह जाते हैं, तो कुछ जुर्माने में तब्दील होकर फाईलों में कैद होकर रह जाते हैं। परन्तु पूर्णतः अभियान्त्रिक विभाग होने के बावजूद, किसी को भी इस विषय में कोई रुचि नहीं है, कि आखिर मीटरों के साथ छेड़छाड़ को किस प्रकार से रोका जाये? समय-समय पर मीटर निर्माताओं के द्वारा अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से, अपने नये उत्पाद (मीटर) का Presentation उर्जा मुख्यालयों में दिया जाता है तथा क्षेत्र के अनुभवों से शून्य तथाकथित निदेशक गण एवं प्रबन्धन द्वारा कुछ छिपी हुई शर्तों के आधार पर, पुराने मीटरों को उखाड़कर, नये मीटर स्थापित करने के आदेश जारी कर दिये जाते हैं। परन्तु प्रायः मीटर उपभोक्ताओं के यहां पहुंचने से पहले ही, विद्युत माफियाओं के द्वारा उनकी काट खोज ली जाती है। नई तकनीक आती-जाती रहती हैं, परन्तु जिस प्रकार से बिजली के खम्भें में, बिजली को उतरने से आज तक विभाग नहीं रोक पाया, ठीक उसी प्रकार से मीटर के माध्यम से बिजली चोरी रोकने में उर्जा निगम आज भी पूर्णतः विफल साबित हुये हैं।

जैसा कि पहले ही स्पष्ट है कि न तो विद्युत परीक्षणशालाओं के पास उन्नत उपकरण हैं और न ही उर्जावान अधिकारी एवं कर्मचारी। बिजली चोरी पकड़ने वाले दलों की चर्चा करना ही बेकार है। उर्जा निगमों के कार्मिकों का विभाग के प्रति समर्पण इतना है, कि सम्भवतः मीटर उपभोक्ता के यहां स्थापना से पूर्व ही, मीटर से छेड़छाड़ करने वाले, गिरोह के पास पहुंच जाता है। जहां पर मीटर आसानी से खोला एवं बन्द किया जाता है। चूंकि जब भी मीटर अन्दर से खोला जाता है, तो उस पर Top Cover Opening का Symbol Display हो जाता है। जिसे बिना Factory Operating Software के Reset नहीं किया जा सकता। परन्तु अब तक जितने भी ”मीटर के साथ छेड़छाड़“ के मामले पकड़े गये हैं, उनमें Top Cover Opening का Symbol Display नहीं मिला है, अर्थात मीटर के साथ या तो मीटर निर्माता के यहां अथवा मीटर के विशेषज्ञों के द्वारा, मौके पर पहुंचकर, मीटर के साथ छेड़छाड़ करने के उपरान्त, उसके Operating Software के माध्यम से Top Opening का Symbol, Reset कर दिया जाता है। इसकी सम्भावना न के बराबर है कि विभागीय कार्मिकों के द्वारा ऐसा किया जाता हो। परन्तु इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता, कि क्षेत्र में कार्यरत् कार्मिक ही, विद्युत माफिया की मार्केटिंग करते हों। चूंकि मीटर निर्माण में प्रयुक्त हाने वाले Components खुले बाजार में उपलब्ध नहीं होते हैं, अतः मीटर में स्थापित Memory Chip एवं अन्य Components बदलने के लिये, IDF एवं PD पर उतारे गये मीटरों से, आसानी से उपलब्ध होना सम्भावित है। जोकि प्रायः मीटर लैबों के सामने लावारिस पड़े हुये मिल जाते हैं।

लगभग 10 वर्ष पूर्व उर्जा निगमों के द्वारा मीटरों के साथ छेड़छाड़ के मामले पकड़ने के लिये Portable Meter Testing Kit with pulse sensor/calibrator खरीदे गये थे परन्तु वे सभी गुणवत्ताहीन थे। जो कि मूल रुप से Pulse Counting पर आधारित थे। परन्तु 1KW भार के नीचे, Pulse की उचित गणना करने में नाकाम थे। जोकि उनके Design में Sensitivity को दर्शाता है। वे Portable Meter Testing Kit with pulse sensor/calibrator कहां गये, ईश्वर ही जानता है। इसी प्रकार से उर्जा निगमों के पास अपनी NABL Lab तक नहीं हैं। मध्यांचल में एक NABL Lab बनाई गई थी, बाद में उसका क्या हुआ, ईश्वर ही जानता है।

बेबाक का स्पष्ट रुप से यह मानना है कि विभाग के पास जब तक निष्ठावान एवं योग्य अभियन्ताओं के साथ सभी आधुनिक उपकरणों से लैश परीक्षणशाला नहीं होगी। मीटरों से छेड़छाड़ के मामलों को रोक पाना कदापि सम्भव नहीं होगा। मीटर में Component level पर छेड़छाड़ रोकने के लिये एकमात्र उपाय है कि मीटर निर्माण के दौरान मीटर के अन्दर पूरी PCB को Resin (Chemical) से Cover कर दिया जाये। जिससे कि मीटर को किसी भी सूरत में खोलना सम्भव ही न हो। उपरोक्त के अतिरिक्त, निजि कम्पनियों को उपभोक्ता के यहां विद्युत मीटर लगाने अथवा बदलने के लिये देने से पूर्व यह सुनिश्चित कर लिया जाना चाहिये कि वह प्राप्त मीटरों को हर हाल में उसी दिन स्थापित कर दे। समय-समय पर मीटर लगाते समय कार्यदायी संस्था के पास उपलब्ध एवं लगाये गये मीटरों की क्षेत्र में जाकर जांच की जानी चाहिये। जिससे कि मीटरों के साथ किसी भी प्रकार की छेड़खानी होने की सम्भावना न के बराबर हो। विद्युत मीटर के साथ छेड़खानी को रोकने/पकड़ने हेतु प्रत्येक मीटर लैब में Portable Meter Testing Kit with pulse sensor/calibrator, Tongue/Clamp Tester & MRI Machine अनिवार्य रुप से उपलब्ध होना चाहिये। विद्युत मीटर लैब में अनिवार्य रुप से Portable Meter Testing Kit with pulse sensor/calibrator के द्वारा ही Meter Declare किया जाना चाहिये।
राष्ट्रहित में समर्पित! जय हिन्द!

बी0के0 शर्मा, महासचिव PPEWA.

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    UPPCL Media

    सर्वप्रथम आप का यूपीपीसीएल मीडिया में स्वागत है.... बहुत बार बिजली उपभोक्ताओं को कई परेशानियां आती है. ऐसे में बार-बार बोलने एवं निवेदन करने के बाद भी उस समस्या का निराकरण नहीं किया जाता है, ऐसे स्थिति में हम बिजली विभाग की शिकायत कर सकते है. जैसे-बिजली बिल संबंधी शिकायत, नई कनेक्शन संबंधी शिकायत, कनेक्शन परिवर्तन संबंधी शिकायत या मीटर संबंधी शिकायत, आपको इलेक्ट्रिसिटी से सम्बंधित कोई भी परेशानी आ रही और उसका निराकरण बिजली विभाग नहीं कर रहा हो तब उसकी शिकायत आप कर सकते है. बिजली उपभोक्ताओं को अगर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई, बिल या इससे संबंधित किसी भी तरह की समस्या आती है और आवेदन करने के बाद भी निराकरण नहीं किया जाता है या सर्विस खराब है तब आप उसकी शिकायत कर सकते है. इसके लिए आपको हमारे हेल्पलाइन नंबर 8400041490 पर आपको शिकायत करने की सुविधा दी गई है.... जय हिन्द! जय भारत!!

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