
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा क्षेत्र में निजी घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए जबरदस्त खेल किया जा रहा है। पावर कॉरपोरेशन ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की 1 लाख करोड़ की परिसंपत्तियां महज़ 6500 करोड़ रुपए की रिजर्व प्राइस पर बेचने की तैयारी कर ली है।
उत्तर प्रदेश विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने ऊर्जा क्षेत्र के 42 जिलों में निजीकरण की तैयारी पर कड़ा विरोध जताया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इसे “मेगा घोटाले” का दस्तावेज करार देते हुए विद्युत नियामक आयोग से मांग की है कि आरएफपी डॉक्यूमेंट को फौरन निरस्त किया जाए।
संघर्ष समिति का आरोप
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आरएफपी डॉक्यूमेंट ग्रांट थॉर्टन नामक ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट से अवैध रूप से तैयार कराया गया। ग्रांट थॉर्टन को अवैध रूप से कंसल्टेंट बनाकर घोटाले की पृष्ठभूमि रची गई।
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यह दस्तावेज चुनिंदा निजी घरानों को लाभ पहुंचाने की साजिश है।
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निगमों की एक लाख करोड़ की परिसंपत्तियों को मात्र 6500 करोड़ रुपए में बेचने का प्रस्ताव एक “बड़ा घोटाला” है। रिजर्व प्राइस इतना कम रखा गया है कि इसे सीधा-सीधा “लूट का लाइसेंस” कहा जा सकता है।
समझौते की अनदेखी
संघर्ष समिति ने नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार को याद दिलाया—
2020 में जब वे पावर कॉरपोरेशन के चेयरमैन थे, तब उन्होंने लिखित समझौता किया था कि कर्मचारियों को विश्वास में लिए बिना किसी भी क्षेत्र का निजीकरण नहीं होगा।
आज उन्हीं के सामने समझौते की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
आगरा का उदाहरण – घाटा सरकार का, मुनाफा कंपनी का
संघर्ष समिति ने चेताया—
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आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेंट पावर को सौंपने का नतीजा यही निकला कि कंपनी हर साल 800 करोड़ का मुनाफा कमा रही है।
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जबकि पावर कॉरपोरेशन पर 1000 करोड़ का घाटा लाद दिया गया।
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अब पूर्वांचल और दक्षिणांचल को भी औने-पौने दाम पर बेचकर वही खेल दोहराने की साज़िश है।
पूर्व उदाहरण
संघर्ष समिति ने आगरा शहर की अर्बन फ्रेंचाइजी का उदाहरण देते हुए कहा—
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आगरा शहर की बिजली व्यवस्था टोरेंट पावर को सौंपने का नतीजा यही निकला कि टोरेंट पावर को व्यवस्था देने से कंपनी को हर साल लगभग 800 करोड़ का लाभ हुआ।
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जबकि पावर कॉरपोरेशन को 1000 करोड़ का घाटा उठाना पड़ रहा है।
समिति का आरोप है कि अब पूर्वांचल और दक्षिणांचल निगम को भी औने-पौने दाम पर बेचकर वैसा ही घोटाला दोहराने की तैयारी है।
गंभीर आरोप निदेशक वित्त पर
समिति ने निदेशक वित्त निधि नारंग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने निजीकरण से जुड़ी 10 से अधिक फाइलों की कॉपी अपने पास रख ली है। यह लीक हुआ तो पूरा मामला और भी बड़ा घोटाला साबित होगा।
संघर्ष समिति की चेतावनी
यदि आयोग ने निजीकरण की मंजूरी दी तो बिजली कर्मी नियामक आयोग पर मौन प्रदर्शन करेंगे और जनता के सामने इस घोटाले का पूरा सच खोलेंगे।