
लखनऊ से बड़ी । उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के अधिकारियों की कार्यशैली पर बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है। आरोप है कि जिन उपभोक्ताओं के खिलाफ बिजली चोरी के मुकदमे दर्ज कराए गए हैं, उनके मामलों पर अभी तक अदालत का फैसला नहीं आया, लेकिन फिर भी विभाग तहसील के जरिए आरसी जारी कर जबरन वसूली कर रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, बिजली चोरी के मामलों में सबसे पहले UPPCL थाने में मुकदमा दर्ज कराता है, जिसके बाद पुलिस विवेचना करती है। तय प्रक्रिया के अनुसार, बिना आरोपपत्र दाखिल किए किसी आरोपी को दोषी नहीं माना जा सकता। न्यायालय का फैसला आए बिना किसी पर जुर्माना या राजस्व वसूली कानूनन मान्य नहीं है।
लेकिन हकीकत यह है कि कोर्ट में मामला विचाराधीन रहते हुए भी विभाग सीधे तहसील प्रशासन से सहयोग लेकर कथित बिजली चोरों पर आरसी जारी कर रहा है और लाखों रुपये वसूले जा रहे हैं। इससे यह सवाल खड़ा हो रहा है कि जब अदालत ने दोष तय ही नहीं किया, तो विभाग जबरिया वसूली कैसे कर सकता है?
कानूनी जानकारों का कहना है कि यह प्रक्रिया न्यायपालिका की भूमिका पर ही प्रश्नचिह्न लगाती है। अगर विभाग पहले से ही लोगों से चोरी की रकम वसूल ले रहा है, तो फिर अदालत में मुकदमा लंबित रखने का औचित्य क्या है?
लोगों का आरोप है कि विभाग की यह रणनीति उपभोक्ताओं पर दबाव बनाकर उनसे चोरी “स्वीकार” कराने की है। इससे एक और गंभीर सवाल उठता है — क्या UPPCL राजस्व बढ़ाने के लिए न्यायिक प्रक्रिया को ताक पर रख रहा है?
इस पूरे मामले पर अभी तक UPPCL के जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं आया है।
👉 अब देखने वाली बात होगी कि न्यायालय इस पर संज्ञान लेता है या नहीं, और क्या विभाग की यह कार्यप्रणाली कानून के दायरे में आती है