
हिमान्शु गौंड़ व मेराज नामक आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी, लाइन कर्मचारी है… इनसे तो किसी भी दशा में लिखा पढ़ी का कार्य कराया ही नहीं जा सकता… लेकिन अधिशासी अभियंता विशाल चौधरी द्वारा आर्शीवाद प्राप्त आउटसोर्सिंग संविदा कर्मी मेराज से बिल रिवाइज, जैसा महत्वपूर्ण कार्य कराया जाता है… यदि हम सूत्रों की माने, तो यह महत्वपूर्ण कार्य इसलिए कराया जाता है, क्योकि मेराज द्वारा उपभोक्ताओं से बिल रिवाइज करने के नाम पर एक अ़च़्छे खासा कमीशन लेकर अपने अधीनस्थ बाबू अविनाश सिंह को दिया जाता है, इसके उपरांत अविनाश सिंह द्वारा अधिशासी अभियन्ता विशाल वर्मा को दिया जाता है। हालांकि यह खबर सूत्रों पर आधारित है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर इसका प्रमाण भी प्रस्तुत किया जा सकता है।
इन सबके बीच एक हैरान करने वाला प्रकरण, जो सामने आया.. वह है टीजी 2 से लाइन एस्टीमेट बनाने व लोड आवंटन के सारे काम कराने का… यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी प्रदीप यादव नामक टीजी 2 कर्मचारियों को दी गई है.. जबकि टीजी 2 को अधिकतर एसएसओ की जिम्मेदारी दी जाती है, उसको डिवीजन कार्यालय में बैठाकर लिखा पढ़ी का कार्य किसी भी दशा में नहीं लिया जा सकता।
लखनऊ। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में व उनके अधीनस्थ कार्यालयों में कंप्यूटर ऑपरेटर को लेकर बहुत बड़ा खेल चल रहा है। “एक तरफ घी तो दूसरी तरफ डालडा भी नसीब नहीं“ नामक कहावत वाले इस खेल में चाहे विजिलेंस के अधिकारी हो अथवा डिवीजन स्तर पर तैनात कार्यालय सहायक हो, जिनकी हैसियत नहीं… वह भी फर्जी तरीके से कंप्यूटर ऑपरेटर लेकर अपने कार्यालय की शोभा बढ़ा रहे है। विजिलेंस के एसपी महोदय, तो दो आपरेटर अपने धर पर कार्य करने के लिए रख रखा है, जिसका खुलासा जल्द ही करेंगे। फिलहाल “यूपीपीसीएल मीडिया” मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अंतर्गत समस्त कार्यालयों साख तौर पर डिविजन कार्यालयों में चल रहा इस प्रकार के खेल का समय-समय पर पर्दाफाश करने जा रही है, जिसकी शुरुआत हम करते हैं विद्युत वितरण दुबग्गा अमौसी से, जिसके अधिशासी अभियंता है विशाल वर्मा।
खबर की शुरुआत करते हैं कार्यालय अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड दुबग्गा- अमौसी क्षेत्र लखनऊ से करते है… जिनको सम्पूर्ण मात्रा में धी खिलाया जा रहा है… इनमें से एक चर्चित नाम है, कार्यकारी सहायक अविनाश सिंह का…
इनको विद्युत चोरी, सरकारी बिल, अस्थाई संयोजन, बिल रिवाइज जैसा महत्वपूर्ण कार्य आवंटित है… और इस महत्वपूर्ण कार्य कराने के लिए, अधिकृत ना होते हुए भी अविनाश सिंह को अधिशासी अभियन्ता- दुबग्गा विशाल वर्मा के द्वारा चार कम्प्यूटर आपरेटर… जिनका नाम क्रमशः संकल्प कश्यप, अनुज कुमार, मेराज व हिमांशु गौंड़ है…. इन नामों में हिमान्शु गौंड़ व मेराज नामक आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी, लाइन कर्मचारी है… इनसे तो किसी भी दशा में लिखा पढ़ी का कार्य कराया ही नहीं जा सकता… लेकिन अधिशासी अभियंता विशाल चौधरी द्वारा आर्शीवाद प्राप्त आउटसोर्सिंग संविदा कर्मी मेराज से बिल रिवाइज, जैसा महत्वपूर्ण कार्य कराया जाता है… यदि हम सूत्रों की माने, तो यह महत्वपूर्ण कार्य इसलिए कराया जाता है, क्योकि मेराज द्वारा उपभोक्ताओं से बिल रिवाइज करने के नाम पर एक अ़च़्छे खासा कमीशन लेकर अपने अधीनस्थ बाबू अविनाश सिंह को दिया जाता है, इसके उपरांत अविनाश सिंह द्वारा अधिशासी अभियन्ता विशाल वर्मा को दिया जाता है। हालांकि यह खबर सूत्रों पर आधारित है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर इसका प्रमाण भी प्रस्तुत किया जा सकता है।
वही दूसरे कम्प्यूटर आपरेटर संकल्प कश्यप से विद्युत चोरी सम्बन्धित प्रकरण का कार्य कराया जाता है। यदि सूत्रों की माने तो, संकल्प कश्यप द्वारा भी उपभोक्ता से विद्युत चोरी की धनराशि कम करने का पेसा लेकर अविनाश सिंह को दिया जाता है एवं अविनाश सिंह द्वारा अधिशासी अभियन्ता विशाल वर्मा को दिया जाता है।
शायद उक्त कारण ही होंगे, जों अधिशासी अभियन्ता विशाल वर्मा द्वारा अविनाश सिंह को अधिकृत ना होते हुए भी एक नहीं बल्कि चार-चार कम्पयूटर आपरेटर उपलब्ध कराये गये। सूत्रों की माने तो पुराने कम्प्यूटर आपरेटर, जो लगभग 10 से 15 साल से कार्यरत थे, उनको नई निविदा में संख्या कम करने का हवाला देकर निकाल दिया गया, क्योकि वह आपरेटर उपभोक्ता से कमीशन लेकर अधिशासी अभियन्ता को नहीं दे पाते है, इसलिये अधिशासी अभियन्ता द्वारा 01 साल 02 से कार्यरत आपरेटर को रख लिये गये… ऐसा क्यों किया गया आप खुद समझदार है इसको बताने की जरूरत नहीं।
- इसी कार्यालय में हिमांशु टंडन नामक कार्यकारी सहायक तैनात है, उनको ठेकेदार बिल व कोर्ट केस का कार्य आवंटित है… उनको भी एक लाइन स्टॉप राकेश गुप्ता नामक आउटसोर्सिंग संविदा कर्मी ऑपरेटर के रूप में मिला है या फिर यह कह सकते हैं कि यह कम्प्यूटर ऑपरेटर का काम करते हैं, जबकि इनका बिजली संबंधित कार्य करना चाहिए।
- अब जरा एक नजर कार्यालय अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड दुबग्गा- अमौसी क्षेत्र लखनऊ में तैनात अन्य कार्यकारी सहायक की ओर डालते है, जिनको डालडा भी नसीब (एक भी आपरेटर नहीं मिला) हुआ… इनमें से एक नाम है कार्यकारी सहायक शीला देवी का, इनको इआरपी व कर्मचारी भुगतान का कार्य आवंटित है… लेकिन एक भी ऑपरेटर नहीं मिला है।
- इसी कार्यालय में रीता देवी नामक कार्यकारी सहायक को डायरी डिस्पैच व सीओटी का कार्य आवंटित है… लेकिन एक भी ऑपरेटर नहीं मिला है।
- इसी क्रम में एक और नाम आता है… वह है सावित्री गौतम, जों कि कार्यकारी सहायक के पद पर तैनात हैं, इनको आइजीआरएस, ऊर्जा मंत्री ऑनलाइन ऑफलाइन, पेपर कटिंग, एक्सीडेंटल, विधानसभा प्रश्न, संपूर्ण समाधान तहसील दिवस व शिकायती प्रकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्य आवंटित है डायरी … लेकिन अफसोस एक भी ऑपरेटर नहीं मिला है।
कार्यालय में सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी माना जाता है कैशियर का… यह जिम्मेदारी रोहित कुमार नामक व्यक्ति को दिया गया है… लेकिन अफसोस इनको भी कोई ऑपरेटर उपलब्ध नहीं कराया गया है. शायद इसी कारण से प्रतिदिन अपनी जेब से रुपया खर्च कर नियम विरुद्ध पवन नामक व्यक्ति से कम्प्यूटर ऑपरेटर का काम कराते है, यह न सिर्फ गलत है, बल्कि ऐसे में गोपनीय फाइल लीक होने का खतरा बना रहता है।
इन सबके बीच एक हैरान करने वाला प्रकरण, जो सामने आया.. वह है टीजी 2 से लाइन एस्टीमेट बनाने व लोड आवंटन के सारे काम कराने का… यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी प्रदीप यादव नामक टीजी 2 कर्मचारियों को दी गई है.. जबकि टीजी 2 को अधिकतर एसएसओ की जिम्मेदारी दी जाती है, उसको डिवीजन कार्यालय में बैठाकर लिखा पढ़ी का कार्य किसी भी दशा में नहीं लिया जा सकता।
क्या कहना है अधिशासी अभियंता विशाल वर्मा का…
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम कार्यालय द्वारा कंप्यूटर ऑपरेटर आवंटन एक बराबर कर रखा है फिर चाहे आपके क्षेत्र में हजारों की संख्या में उपभोक्ता हो या फिर लाखों में उपभोक्ता हो… सभी डिवीजन को बराबर बराबर कंप्यूटर ऑपरेटर दिए गए हैं. उपलब्ध कराए गए कंप्यूटर ऑपरेटर से सभी काम कर पाना असंभव है।
कार्यालय अधिशासी अभियन्ता, विद्युत वितरण खण्ड दुबग्गा-अमौसी क्षेत्र लखनऊ के अन्तर्गत सरोसा, दुबग्गा, एफ0सी0आई0, काकोरी मोड़, शकुन्तला मिश्रा, बंसत कुन्ज खुरर्मपुर में कुल उपभोक्ता लगभग एक लाख सात हजार, जबकि अन्य खण्डो में उपभोक्ता की संख्या कम है, लेकिन प्रबन्धन द्वारा संविदा लाइन कर्मचारी की संख्या सभी खण्डो में एक समान रखने की आदेश दिया गया है, जिससे जिस विद्युत वितरण खण्डो में उपभोक्ता अधिक है। वहॉ पर संविदा लाइन कर्मचारी कम होने से विद्युत आपूर्ति बाधित हो जाने पर विद्युत आपूर्ति ठीक करने में अधिक समय लग जाता है, जिससे उपभोक्ता रोष व्याप्त हो जाता है। “यूपीपीसीएल मीडिया” भी इस बात से सहमत है।