उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर हैं, हर कोई चाहे अधिकारी हो अथवा कर्मचारी… सब अपनी अपनी हैसियत के अनुसार विभाग को लूट कर खोखला करने का प्रयास कर रहे है। ताजा मामला लिंकवेल टेलीसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा है, जिन्होने बिजली विभाग को साधारण मीटर की आपूर्ति की गई। उपरोक्त आपूर्ति में लगभग करीब 10952 घटिया बिजली मीटर मिलने पर, कंपनी का भुगतान तो रोका ही था, लेकिन अब काली सूची में डालने की तैयारी हो रही है।
बताते चले कि उत्तर प्रदेश में करीब 10952 बिजली मीटर घटिया मिले हैं। मीटर लगाने वाली कंपनी का भुगतान रोक दिया गया है। उसे काली सूची में डालने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। नियमानुसार सालभर में एक फीसदी मीटर खराब होने की आशंका रहती है, जबकि यहां 4.86 फीसदी मीटर खराब पाए गए हैं। अब पूरे प्रदेश में नए सिरे से बिजली मीटरों की जांच शुरू कर दी गई है। इससे पहले पश्चिमांचल में घटिया किस्म की केबिल पकड़ी गई थी।
उत्तर प्रदेश में करीब 3.45 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं। नया कनेक्शन लेने वाले उपभोक्ताओं के घरों में मीटर संबंधित विद्युत वितरण निगम द्वारा मीटर लगाया जाता है। वर्ष 2023 में लिंकवेल टेलीसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड ने दक्षिणांचल में तीन अनुबंध के जरिए 2.25 लाख और मध्यांचल में एक लाख साधारण मीटर की आपूर्ति की गई। इस दौरान सालभर के अंदर ही दक्षिणांचल में 10952 मीटर खराब मिले, जिसमें मीटरों में डिस्प्ले न होना, मीटर रीडिंग उपकरणों में गड़बड़ी सहित कई तरह की अनियमितता पाई गई है। ऐसे में दक्षिणांचल ने संबंधित कंपनी का भुगतान रोक दिया है। कंपनी की प्रतिभूति राशि जब्त करने और उसे काली सूची में डालने के लिए अंतिम नोटिस भी जारी कर दी गई है। दूसरी तरफ मध्यांचल सहित पूरे प्रदेश में मीटरों की नए सिरे से जांच शुरू कर दी गई है। जांच शुरू होते ही पूरे प्रदेश में हलचल मची हुई है।
यहां पर यह जिक्र करना जरूरी है कि किसी भी कंपनी की ओर से लगने वाले मीटर में एक साल के अंतर एक फीसदी की खराबी पर संबंधित कंपनी को मुफ्त में मीटरों को बदलना पड़ता है। तीन साल के अंदर डेढ़ फीसदी की खराबी पर एक साल के लिए कंपनी को काली सूची में डाला जाता है। पांच साल के अंदर दो फीसदी की खराबी पर कंपनी को दो साल के लिए काली सूची में डालने और उसकी जमानत राशि जब्त करने का नियम है। दक्षिणांचल में पकड़ सालभर के अंदर के ही 4.86 फीसदी मीटर गड़बड़ मिले हैं।
गोवा में स्मार्ट मीटर की गुणवत्ता को लेकर काली सूची (ब्लैक लिस्टेड) में डाली गई एचपीएल को उत्तर प्रदेश में भी काली सूची में डाल दिया गया है, जबकि जीनस को काली सूची में डालने की तैयारी है। इन दोनों कंपनियों ने प्रदेश के विभिन्न विद्युत वितरण निगमों में स्मार्ट मीटर लगाने का टेंडर हासिल किया है। उत्तर प्रदेश में करीब 27 हजार करोड़ रुपये की लागत से स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। इसमें पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने मेसर्स जीनस पावर इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को करीब 7200 करोड़ की लागत से स्मार्ट मीटर लगाने का काम दिया है। इसी तरह दो अन्य कंपनियों ने टेंडर हासिल करके मीटर लगाने का काम (सबलेट) एचपीएल इलेक्ट्रिक पावर लिमिटेड को दिया गया है। इसी तरह पश्चिमांचल में माहभर पहले विभागीय जांच में घटिया केबिल पकड़ी गई थी। इस केबिल के लगने से न सिर्फ शार्ट सर्किट की आशंका बनी रहती बल्कि किसी भी वक्त बड़ा हादसा भी हो सकता था।
इस सन्दर्भ में पावर कार्पोरेशन के अध्यक्ष डा. आशीष कुमार गोयल के अनुसार बिजली संबंधी कार्यों में गुणवत्ता से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं होने दिया जाएगा। सभी निगमों के प्रबंध निदेशकों, निदेशकों और अन्य अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जहां भी गड़बड़ी मिले तत्काल कार्रवाई करें। थर्ड पार्टी जांच भी कराई जा रही है।