प्रदेश के ऊर्जा निगमों पर बाहरी लोगों का कब्जा

मित्रों नमस्कार! यह भी एक संयोग है कि आज ऊर्जा निगमों में बाहरी लोगों का ही बोलबाला है। यही लोग निजीकरण कराने वाले और यही विरोध करने वाले हैं। इनके बीच पिस रहा है सिर्फ और सिर्फ नियमित कार्मिक। प्रश्न उठता है कि क्या यह एक सुनियोजित खेल है, कि ऊर्जा निगमों में बचे-खुचे मुट्ठी भर नियमित कार्मिकों का मान-मर्दन करते हुये उनके हौंसले एवं निष्ठा को तार-तार कर दिया जाये। जिससे कि या तो वे VRS लेकर मैदान छोड़ जायें अथवा इन बाहरी लोगों के हाथों की कठपुतली बनकर नाचते रहें।

वर्ष 2001 में तत्कालीन उ0प्र0रा0वि0प0 के विघटन के उपरान्त, कम्पनी एक्ट 1956 के तहत पंजीकृत होने वाले निगमों एवं वितरण कम्पनियों के सभी निर्णय लेने के लिये स्वतन्त्र निदेशक मण्डल नियुक्त हुए थे। परन्तु ऊर्जा निगमों में नियुक्त निदेशक, प्रबन्ध निदेशक एवं अध्यक्ष सभी के सभी बाहरी हैं। निदेशक संविदा पर नियुक्त हैं, प्रबन्ध निदेशक एवं अध्यक्ष बिना किसी चुनाव के सीधे-सीधे बाहर से आयातित हैं अर्थात शासन द्वारा जारी MoA को दरकिनार कर ऊर्जा निगमों पर थोपे गये हैं। जिसके कारण कम्पनी एक्ट-1956 के तहत पंजीकृत होना, सिर्फ एक दिखावा मात्र साबित हुआ। जहां MoA को दरकिनार करने का मूल उद्देश्य सार्वजनिक हितों के नाम पर, राजनीतिक हितों को साधना है। स्वयं माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा याचिका सं0 79/1997 में दिये गये निर्णय में यह माना है कि तत्कालीन उ0प्र0रा0वि0प0 के घाटे का मूल कारण राजनीतिक हस्तक्षेप है। राजनीतिक हस्तक्षेप को बढ़ाने के उद्देश्य से ही, आये दिन विद्युत कम्पनियों के अधिकारियों को व्यक्तिगत् रुप से राजनीतिज्ञों के कार्यालय एवं निवास पर भेजकर, कार्मिकों की सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली को तार-तार कर, कम्पनी की मूल भावना को ही समाप्त कर दिया गया।

माननीय ऊर्जा मन्त्री जी का यह कथन कि यूपीपीसीएल के अभियन्ता एवं कर्मचारी खुद को राज्यकर्मचारी ने समझें। स्वतः विद्युतकर्मियों के प्रति उनके भावों का अहसास करा देता है। प्रतीत होता है कि जैसे विद्युतकर्मी की प्रतिष्ठा से उन्हें कोई व्यक्तिगत् चिढ़ हो। जो विभाग पूरे देश को सांसें प्रदान करता हो, उसके कार्मिकों के लिये ये शब्द, निश्चित ही उनके प्राणों की वायु हरने के समान हैं। एक तरफ तो राजनीतिक नारा कि बटेंगे तो कटेंगे, वहीं दूसरी ओर कामगारों में भेदभाव। विदित हो कि ऊर्जा निगमों के कार्मिक विशेष परिस्थितियों में जान हथेली पर लेकर, विशेष कार्य करते हैं। जिसके ही कारण उनके वेतन-भत्ते, राज्य कर्मचारियों से अलग है। ये दुर्भाग्य है उनका, कि अनिवार्य सेवा में होने के बावजूद, वे राज्य कर्मचारी नहीं कहलाते। जिस प्रकार से देश की सुरक्षा में लगे सैनिक, देश की रक्षा के लिये अपने प्राणों का बलिदान देते रहते हैं, परन्तु सुरक्षा में कोई कोताही नहीं बरतते। ठीक उसी प्रकार से विद्युतकर्मी भी आये दिन बिजली के तारों में झूल-झूलकर शहीद होते रहते हैं। परन्तु विद्युत व्यवधान उत्पन्न नहीं होने देते। अर्थात अर्थियां उठती रहती हैं परन्तु बिजली चलती रहती है। शासन-प्रशासन निर्बाध आपूर्ती करने की ताल ठोंकता रहता है। परन्तु उसके लिये अपने प्राणों की आहुति देने वालों के प्रति मुख से दो शब्द नहीं निकालता। इनके प्राण, मूल रुप से, प्रबन्धन के संरक्षण में उत्पन्न होती, भ्रष्टाचार की तरंगे हरती हैं।

यक्ष प्रश्न उठता है कि क्या कभी मन्त्री जी अथवा प्रबन्धन में बैठे देश के सर्वश्रेष्ठ कहलाने वाले प्रशासनिक अधिकारी नैतिक उत्तरदायित्व स्वीकारेंगे, कि विगत 25 वर्षों में, उनकी नाकामी की वजह से ही, विद्युत प्रणाली में होने वाली सामग्री एवं कार्य की गुणवत्ता में भ्रष्टाचार की तरंगे इतनी सुदृढ़ हुई हैं, कि परिणामतः आये-दिन घटती घातक दुर्घटनाओं पर उनका कोई नियन्त्रण नहीं रहा है। यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि सार्वजनिक हितों के नाम पर निहित स्वार्थ सर्वोपरि हो चुका है। जिसने नैतिकता को पूर्णतः हठधर्मिता से प्रतिस्थापित कर दिया है। वैसे भी अब राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नैतिकता लुप्तप्राय सी होकर रह गई है। कार्य के नाम पर आये दिन, बस रोजगार छीनने की धमकी देना ही, अब उनके पद के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व बनकर रह गये हैं।

हम सभी ने खूब सुना और पढ़ा है, कि किस प्रकार से देश पर बाहरी लोगों के कब्जे के कारण हमारा देश गुलाम हुआ था। ठीक उसी प्रकार से कतिपय अन्दरुनी लोगों के निहित स्वार्थ के कारण, आज ऊर्जा निगमों पर बाहरी लोगों का कब्जा बना हुआ है। वे जैसा चाहते हैं, वैसा प्रयोग करते है। जिसका मूल कारण है, कार्मिक संगठनों में बाहरी लोगों का प्रवेश, जिस पर प्रबन्धन द्वारा निहित स्वार्थ सिद्धि हेतु आंखें मूंदी हुई हैं। वे द्वार पर बैठकर तालियां और ढोल पीट रहे हैं और अन्दर वालों को कहा जा रहा है कि आंख और कान बन्द रखें। पहले तत्कालीन उ0प्र0रा0वि0प0 का विघटन और अब सम्भावित निजीकरण, सिर्फ और सिर्फ एक ही बात को स्पष्ट करता है कि जनहित के नाम पर ऊर्जा निगमों को उत्तरदायी लोगों ने ही जमकर लूटा है तथा अब अपने दुष्कर्मों पर पर्दा डालने के उद्देश्य से ही निजीकरण का राग अलापा जा रहा है। यह तो स्पष्ट है कि ऊर्जा निगमों की जड़ों में ऊपर से नीचे तक भ्रष्टाचार का जहर इस कदर फैलाया जा चुका है कि अब लगभग वह लाइलाज हो चुका है।

अब भ्रष्टाचार रुपी कोरोना के वायरस की उत्पत्ति पर पर्दा डालने के लिये, निजीकरण ही एकमात्र उपाय शेष रह गया है। जब कभी भी ऊर्जा निगमों के पतन का इतिहास लिखा जायेगा तो उपसंहार में यह जरुर वर्णित होगा, कि जिन्होंने ऊर्जा निगमों एवं उनमें कार्यरत् कार्मिकों के हितों की रक्षा का संकल्प लिया था। उन्होंने ही निहित स्वार्थ से प्रेरित होकर, प्रबन्धन की गोदी में बैठकर, उन्हें शाम-दाम और दण्ड-भेद की नीति समझाकर, ऊर्जा निगमों की जड़ों में मट्ठा डाला था।निगमों के अन्तिम दिनों में हालात यह हो गये थे, कि सांप और नेवला (संविदाकर्मी से लेकर मुख्य अभियन्ता तक) दरी पर एक साथ बैठने लगे थे। परन्तु कतिपय कार्मिक नेताओं द्वारा डाले गये मट्ठे के असर को कम तक करने में नाकाम रहे। ईश्वर हम सबकी मदद करे! राष्ट्रहित में समर्पित! जय हिन्द!

-बी0के0 शर्मा, महासचिव PPEWA. M.No. 9868851027.

cropped-UPPCL.png
  • UPPCL Media

    UPPCL Media

    सर्वप्रथम आप का यूपीपीसीएल मीडिया में स्वागत है.... बहुत बार बिजली उपभोक्ताओं को कई परेशानियां आती है. ऐसे में बार-बार बोलने एवं निवेदन करने के बाद भी उस समस्या का निराकरण नहीं किया जाता है, ऐसे स्थिति में हम बिजली विभाग की शिकायत कर सकते है. जैसे-बिजली बिल संबंधी शिकायत, नई कनेक्शन संबंधी शिकायत, कनेक्शन परिवर्तन संबंधी शिकायत या मीटर संबंधी शिकायत, आपको इलेक्ट्रिसिटी से सम्बंधित कोई भी परेशानी आ रही और उसका निराकरण बिजली विभाग नहीं कर रहा हो तब उसकी शिकायत आप कर सकते है. बिजली उपभोक्ताओं को अगर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई, बिल या इससे संबंधित किसी भी तरह की समस्या आती है और आवेदन करने के बाद भी निराकरण नहीं किया जाता है या सर्विस खराब है तब आप उसकी शिकायत कर सकते है. इसके लिए आपको हमारे हेल्पलाइन नंबर 8400041490 पर आपको शिकायत करने की सुविधा दी गई है.... जय हिन्द! जय भारत!!

    OTHER UPPCL MEDIA PLATFORM NEWS

    विद्युत दुर्घटनाओं को गम्भीरता से लेते हुये मुख्य अभियन्ता, मध्य क्षेत्र ने “विद्युत सुरक्षा दिवस“ पर आउटसोर्स कर्मियों को उपलब्ध कराया सुरक्षा किट

    मुख्य अभियन्ता, मध्य क्षेत्र, लखनऊ, रवि कुमार अग्रवाल ने गम्भीरता से लेते हुये क्षेत्र के अन्तर्गत समस्त विद्युत उपकेन्द्रों के उपखण्ड अधिकारी और अवर अभियन्ताओं द्वारा “विद्युत सुरक्षा दिवस“ पर…

    अंबेडकरनगर के इस जिले में 356 गांव अब अंधेरे में नहीं रहेंगे, सौभाग्य योजना से हर मकान होगा रोशन

    अंबेडकरनगर में सौभाग्य योजना के तीसरे चरण के तहत 356 मजरों को बिजली से जोड़ा जाएगा। इसके लिए 9 करोड़ 88 लाख रुपये का बजट आवंटित किया गया है। 11…

    बिजली कनेक्शन के विवाद में रिश्तों का कत्ल, कलयुगी बेटे ने मां और बहन पर किया जानलेवा हमला

    बिजली कनेक्शन के विवाद में रिश्तों का कत्ल, कलयुगी बेटे ने मां और बहन पर किया जानलेवा हमला

    बिजली गुल होने से जिला अस्पताल में डायलिसिस मशीन हुई बंद, जिसके कारण मरीज की दर्दनाक मौत

    बिजली गुल होने से जिला अस्पताल में डायलिसिस मशीन हुई बंद, जिसके कारण मरीज की दर्दनाक मौत

    सुरक्षा उपकरणों के अभाव में कार्य करने के दौरान बिजली पोल से गिर कर अकुशल संविदा कर्मी इलाज के दौरान मौत

    सुरक्षा उपकरणों के अभाव में कार्य करने के दौरान बिजली पोल से गिर कर अकुशल संविदा कर्मी इलाज के दौरान मौत

    “एक तरफ घी तो दूसरी तरफ डालडा भी नसीब नहीं” … यह नजारा है विद्युत वितरण दुबग्गा, अमौसी का

    “एक तरफ घी तो दूसरी तरफ डालडा भी नसीब नहीं” … यह नजारा है विद्युत वितरण दुबग्गा, अमौसी का

    नियम विरुद्ध बिजली कनेक्शन देने पर अवर अभियन्ता को हटाया

    नियम विरुद्ध बिजली कनेक्शन देने पर अवर अभियन्ता को हटाया

    महिला पॉलिटेक्निक पर कार्यरत अकुशल आउटसोर्सिंग संविदा कर्मी 11 हजार लाइन की फाल्ट बनाते समय गिरकर दर्दनाक मौत

    महिला पॉलिटेक्निक पर कार्यरत अकुशल आउटसोर्सिंग संविदा कर्मी 11 हजार लाइन की फाल्ट बनाते समय गिरकर दर्दनाक मौत
    WhatsApp icon
    UPPCL MEDIA
    Contact us!
    Phone icon
    UPPCL MEDIA