
उत्तर प्रदेश में तेज आंधी, बारिश या अन्य आफत की स्थिति में बिजली चला जाना आम बात है। बिजली विभाग भी इन आपदाओं की आड़ में अपनी नाकामी छुपा लेता है। लेकिन इन सब के बीच ऐसी तकनीक विकसित करना चाहिए जिस से आंधी, बारिश व वज्रपात से बिजली डिस्टर्व नहीं हो और बिजली के नुकसान को कम किया जा सकेगा। इसके लिए पावर कारपोरेशन स्पाइक अर्थिंग का प्रयोग प्रयोगिक तौर पर ही सही, लेकिन विद्युत संचरण लाइन में से करनी चाहिए।
पश्चिम बंगाल में हो रहा है प्रयोग
एनबीपीडीसीएल के एक इंजीनियर ने बताया कि स्पाइक अर्थिंग का इस्तेमाल वर्तमान समय में पश्चिम बंगाल में बिजली संचरण लाइन में किया जा रहा है। इससे वहां तेज आंधी, बारिश व वज्रपात में भी बिजली आपूर्ति बहुत प्रभावित नहीं होती है।
क्या है स्पाइक अर्थिंग
स्पाइक अर्थिंग का उपयोग 11 केवी व 33 केवीए पोल के लिए किया जाएगा। इसमें 25 गुणा 6 मिमी, 1.5 मीटर जीएल फ्लैट, 2.5 मीटर लंबा स्पाइक अर्थिंग इलेक्ट्रोड होता है, जिसमें आवश्यक छेद होता है। इसका उपायेग अक्सर सिस्टम के इंसुलेशन को आंधी और मूसलाधार बारिश के दौरान बिजली के नुकसान से बचाने के लिए किया जाता है।