
मित्रों नमस्कार! देश के सभी सम्मानित उपभोक्ताओं से बेबाक की अपील! आप जिन सरकारी सुविधाओं जैसे बिजली, पानी, सड़क, रेलवे, आदि की लगातार त्रुटिपूर्ण एवं गुणवत्ताहीन सेवाओं के कारण, प्रायः अपना संयम खोकर, सरकारी अधिकारियों/कार्यालयों का घेराव करने के लिये प्रेरित होते हैं तथा आपके साथ भीड़ में सम्मिलित कुछ असामाजिक तत्व जिनके लिये सरकारी सम्पत्ति का कोई महत्व नहीं होता है, उनके द्वारा तोड़-फोड़ कर सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया जाता है एवं वहां आपकी सेवा के लिये नियुक्त कार्मिकों के साथ दुर्व्यवहार एवं मारपीट तक की जाती है। जिसके बाद आपकी मांग का कोई उचित समाधान हो या न हो, परन्तु उल्टे आपके विरुद्ध सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, सरकारी कर्मचारी के साथ मारपीट करने, जान से मारने की धमकी देने, शान्ति भंग करने, उपद्रव करने की साजिश रचने, आदि की सुसंगत अपराधिक धाराओं में मुकदमा पंजीकृत हो जाता है। जिसके बाद आप बिजली पानी की समस्या को भूलकर, उत्पन्न नई समस्या से बचाव में इधर से उधर धक्के खाते फिरते हैं और कहीं कोई सुनवाई नहीं होती है।
आन्दोलन आपका अधिकार है, परन्तु प्रभावी शान्तिपूर्ण आन्दोलन ही आपको न्याय दिलवा सकता है, कानून हाथ में लेने से न्याय नहीं मिलता, बल्कि अन्याय करने वाले को ही आपके विरुद्ध कार्यवाही करने का मौका मिल जाता है। आज के युग में इंसान के लिये अन्न के बाद सबसे महत्वपूर्ण चीज है बिजली। क्योंकि खाना तक पकाने में बिजली का महत्वपूर्ण योगदान है। बहुत सारे घरों में यदि बिजली न आये तो सामान्यतः उनकी मनपसन्द का खाना तक बन पाना सम्भव नहीं है। क्योंकि आज रसोई में अनिवार्य रुप से फ्रिज, ओवन, मिक्सी, आदि का प्रयोग होता है। क्योंकि आज की पीढ़ी की पहली पसन्द ही डब्बा बन्द खाद्य सामग्री है, जिसके लिये फ्रिज एवं ओवन तथा खाना बनाने के लिये सिल-बटटे के स्थान पर मिक्सी चलाने के लिये घर के तारों में बिजली होना अनिवार्य है।
मोबाईल पर आकर्षित करने वाले आनलाइन ऑफरों से वशीभूत होकर, इन्सान नये-नये विद्युत उपकरण तो क्रय कर लेता है, परन्तु बिजली न आने अथवा बिजली की आंख मिचौली के कारण, प्रायः वह अवसादग्रस्त होकर अपना आपा खो बैठता है। जिसमें उर्जा निगमों का सबसे बड़ा अपराध यही है कि वे पहले आस जगाते हैं और फिर निरास करते हैं। जहां तक उर्जा निगमों की बात है तो उपभोक्ताओं को सही स्थिति की जानकारी न होना ही, विद्युत उपकेन्द्रों पर घेराव, तोड़फोड़ एवं मारपीट का मूल कारण होता है। उत्तर प्रदेश में विद्युत आपूर्ति हेतु उत्पादन एवं आवश्यकतानुसार बिजली की खरीद फरोख्त, लखनऊ स्थित State Load Dispatch Centre Lucknow (SLDC) द्वारा की जाती है तथा आपूर्ति का नियन्त्रण उसके अधीन कार्यरत् मोदीपुरम, मुरादाबाद, पनकी, सुल्तानपुर एवं वाराणसी स्थित क्षेत्रीय Sub Load Dispatch Centre (Sub LDC) के माध्यम से किया जाता है।
बढ़ती एवं घटती मांग के अनुसार उपलब्ध बिजली के आधार पर ही शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की कटौती निर्धारित होती है। विद्युत उत्पादन इकाईयों के अचानक ब्रेकडाउन में चले जाने पर, लखनऊ स्थित SLDC द्वारा राष्ट्रीय ग्रिड पर उपलब्ध बिजली की अन्य बिजली उपलब्ध कराने वाली कम्पनियों से तत्कालिक बाजार भाव पर खरीद की जाती है अथवा बिजली की कटौती की जाती है। जिसकी जानकारी SLDC द्वारा अपने Sub LDC को दी जाती है। सभी विद्युत वितरण उपकेन्द्र क्षेत्रीय Sub LDC से जुड़े हुये होते हैं। चूंकि सरकार द्वारा प्राथमिकता के आधार पर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है, जिसमें रेलवे, प्रदेश की राजधानी, ग्रेटर नोएडा, नोएडा एवं बड़े शहरों में पहले आपूर्ति दिये जाने का प्रावधान है। जिसमें NPCL (Noida Power Company Ltd.) एक स्वतन्त्र Licensee है। जिसे सरकार के साथ अनुबन्ध के अनुसार वर्ष 2000 तक अपनी स्वतन्त्र विद्युत उत्पादन इकाई स्थापित करनी थी। जिसके लिये उसके द्वारा पिछले 25 वर्षों से लेकर आज तक भी कहीं एक ईंट स्थापित नहीं की गई है।
विदित हो कि गत् वर्ष 2023 में अचानक, अज्ञात एवं अस्पष्ट कारणों से पुनः अगले 25 वर्षों तक के लिये UPPCL के समानान्तर NPCL को पुनः Licensee बना दिया गया है। जबकि आगरा में Torrent Power Ltd उर्जा निगम की ही एक Franchise है। उपरोक्त से यह पूर्णतः स्पष्ट है कि सरकार द्वारा घोषित विशेष क्षेत्रों को ही विद्युत आपूर्ति प्राथमिकता के आधार पर प्रदान की जाती है। इसके साथ-साथ यह भी सत्य है कि भारत सरकार एवं प्रदेश सरकार द्वारा विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में यथा सम्भव कार्य किये जा रहे हैं जिससे कि मांग के अनुरुप, ग्रिड पर विद्युत उपलब्ध हो, जिससे कि निर्बाध आपूर्ति की जा सके।प्रदेश ही नहीं, देश के सभी उर्जा निगमों के लिये Filament युक्त बल्ब के स्थान पर LED बल्ब का उत्पादन एवं सामान्य वातानूकूलन के स्थान पर इनवर्टर वातानूकूलन एक वरदान साबित हुये हैं। जिसके कारण ग्रिड पर अतिरिक्त उर्जा प्राप्त हो सकी है।
उपरोक्त सूचना से तात्पर्य सिर्फ इतना है कि जो भी उपभोक्ता गण विद्युत आपूर्ति के लिये अपने विद्युत उपकेन्द्रों पर अपने ही कार्मिकों के साथ मारपीट करते हुये अपने ही उपकरणों की तोड़फोड़ करते हैं, उसका खामियाजा उन्हें स्वयं ही भुगतना पड़ता है। उर्जा निगम भी इस तथ्य को भलीभांति जानते हैं कि उपभोक्ता सबसे ज्यादा उचित सूचना प्राप्त न होने के कारण ही भड़कता है जिसके लिये उनके द्वारा जगह-जगह नियन्त्रण कक्ष स्थापित किये हैं। जिन उपभोगताओं को यह प्रतीत होता है कि उनके यहां बिजली न आने की सूचना ऊपर नहीं है, पूर्णतः भ्रामक है, नियन्त्रण कक्ष के पास पल-पल की खबर है। कृपया संयम रखें आपस में सहयोग करें। निश्चित ही सुधार होगा। बस दुखद यह है कि आजादी के लगभग 77 वर्षों के बाद भी देश में विशेष दर्जा जैसे शब्द विद्यमान हैं। यदि किसी कार्मिक का कोई कदाचार संज्ञान में आता है तो सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों के द्वारा उच्चाधिकारियों एवं सरकार के संज्ञान में लाया जा सकता है। राष्ट्रहित में समर्पित! जय हिन्द!
–बी0के0 शर्मा, महासचिव PPEWA.