
गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को एक किलोवाट का कनेक्शन देने का नियम है। इसी के तहत हजारो उपभोक्ताओं को एक किलोवाट का कनेक्शन दिया जाता है, लेकिन इधर कुछ समय से ऐसे उपभोक्ताओं का विद्युत भार बढ़ा दिया गया। बिना उपभोक्ता को जानकारी दिये बिना बिजली विभाग द्वारा एक से दो किलोवाट कर दिये जाने का खेल भारी पैमाने पर चल रहा है, जबकि उपभोक्ता का लोड कभी 1 किलोवाट के ऊपर गया ही नहीं।
320 रुपये आने वाला बिजली का बिल आ रहा एक हजार रुपये के पार
बिजली विभाग ने पहले एक किलोवाट का कनेक्शन दिया और फिर उसे अपने आप दो किलोवाट में तब्दील कर दिया। पहले तो उपभोक्ताओं को इसका पता ही नहीं चला, लेकिन उपभोक्ता जब बिजली के बिल का भार बढ़ा देखता है, तो उनका माथा चकरा जाता है। जब उपभोक्ता उपकेंद्रों पर पहुंचने पर उन्हें जानकारी लेता है, तो पता चलता है कि उसका कनेक्शन बिना अनुरोध के एक किलोवाट से दो किलोवाट कर दिया गया है, इसलिए बिजली का बिल बढ़ गया है।
परेशान उपभोक्ताओं की नहीं हो रही सुनवाई
गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों को एक किलोवाट का कनेक्शन देने का नियम है। इसी के तहत गरीबी रेखा वाले उपभोक्ताओं को एक किलोवाट का कनेक्शन भी दिया जाता है। लेकिन इधर कुछ समय से ऐसे उपभोक्ताओं का विद्युत भार बढ़ा दिया गया है। उनका एक से दो किलोवाट कर दिया गया है। इससे सीधा असर बिजली के बिल पर पड़ा है। सर्दी के मौसम में बिजली का बिल एक हजार से अधिक का आ रहा है। उपकेंद्रों पर पहुंच रहे ऐसे लोगों का कहना है कि यह स्थिति पांच माह से है। शुरू में जब बिजली का बिल बढ़कर आया तो उनकी समझ में नहीं आया, लेकिन दूसरे माह भी यही स्थिति रही तो वे अधिकारियों से मिले, जिस पर कहा गया कि मीटर रीडिंग के मुताबिक जो बिल आया है, उसी का भुगतान करना होगा। क्योंकि विद्युत भार दो किलोवाट का हो गया है। लोगों ने इसे कम करने की बात कही तो अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए। अब लोग परेशान हैं और अधिकारियों के कार्यालयों का चक्कर काट रहे हैं।
क्या कहते है उपभोक्ता
पांच माह पहले बिजली का बिल 278 रुपये आता था, लेकिन इसके बाद एक हजार रुपये से अधिक आने लगा। सब्जी बेचकर जैसे तैसे परिवार का पेट भर रहे हैं, इतना बिजली का बिल कैसे देंगे। अधिकारी कुछ नहीं सुन रहे हैं- श्याम कुमार, लखनऊ।
एक किलोवाट के कनेक्शन को दो किलोवाट कर दिया गया है। इससे बिजली का बिल चार गुना अधिक आ रहा है। तीन माह से बिजली विभाग के अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर लगा रहा हूं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है- भगवानदीन, लखनऊ।
ट्राली चलाकर परिवार का गुजरा करता हूं। चार माह पहले तीन सौ रुपये तक का बिजली का बिल आता था, लेकिन अब तो एक हजार रुपये से ज्यादा आ रहा है। जबरन दो किलोवाट किया गया है। अधिकारी इसे खत्म नहीं कर रहे हैं- प्यारेलाल, लखनऊ।
महंगाई में पेट भरना कठिन है और बिजली का एक हजार से अधिक आ रहा है। जबकि पांच माह पहले तीन सौ के आसपास आता था। चाय की छोटी सी दुकान है। इससे इतना बिजली का बिल भरना मुश्किल हो रहा है- सुखवंती देवी, लखनऊ।