मानो लेसा ने कसम खा ली है कि किसी भी कीमत पर मुंशीपुलिया डिवीजन अन्तगर्त सेक्टर 14 न्यू पावर हाउस अधीनस्थ अमराई गांव पावर हाउस से अट्रैक्टिव निर्माण को 3500 किलो वाट का संयोजन दिया कर के ही मानेगें, भले ही लगभग उपरोक्त पावर हाउस के लगभग 8000 उपभोक्ताओं को दरकिनार करना पड़े।
हमको यह नहीं समझ में आता है कि आखिर विल्डर और लेसा अमराई गॉव से ही क्यों संयोजन चाहता है, जबकि उसको स्वयं का बिजली घर बनाना चाहिए अथवा चिनहट से आवेदन है, तो चिनहट में र्प्याप्त जगह है, वहां एक ट्रासफार्मर रखकर संयोजन दे देना चाहिए, लेकिन विल्डर ऐसा नहीं करना चाहता, क्योंकि उसे ज्यादा पैसा खर्च करना होगा, यही पैसा बचाने के लिए दो वरिष्ठ अधिकारीयों को बिला भी गिफ्ट कर दिया, जिसमें एक अधिकारी तो लेसा से रिटायरमेंट के समय बहुत दूर हो गये। आज लगभग तीन साल से अट्रैक्टिव निर्माण का 3500 किलो वाट का संयोजन प्रकरण विवाद चल रहा है, तब से आज तक टी0सी0 संयोजन से वहां पर विघुत आपूर्ति चल रही है, उसकी भी तो एक लिमिट होगी। मामला सुर्खियों में आने के वाद आनन फानन अट्रैक्टिव निर्माण का 3500 किलो वाट का संयोजन सम्बन्धित फाइल में हेराफेरी करने हुए टी0एफ0आर0 रिपोर्ट देने की पूर्व तिथि में दूसरी टी0एफ0आर रिपोर्ट ट्रांसफार्मर के साथ किया गया, जिसका पेमेन्ट (ट्रांसफार्मर का) आज तक जमा नहीं की गई है।
अट्रैक्टिव निर्माण का 3500 किलो वाट का संयोजन प्रकरण अभी तक तीन अधिशासी अभिंयन्ता, एक मुख्य अभियन्ता निगल चुकी है, वर्तमान में यह संख्या बढ़ भी सकती है।
सूत्रों की माने तो मुंशीपुलिया अधिशासी अभियन्ता पद की अतिरिक्त जिम्मेदारी निभाने वाले इंजीनियर अभय प्रताप सिंह को चार्ज मिले 48 घंटे भी नहीं हुए कि इनके उच्च अधिकारी अट्रैक्टिव निर्माण का 3500 किलो वाट का संयोजन प्रकरण को ऑफ रिकार्ड देखने की जिम्मेदारी देने की बात करने लगें।
आखिर इस विभाग अट्रैक्टिव निर्माण का 3500 किलो वाट का संयोजन अमराई गांव से ही क्यों देना चाहती है, इसमें किसका फायदा….. विभाग का अथ्वा विल्डर का. यदि विभाग उपरोक्त विल्डर को बिजली घर का प्रपोजल देती, तो विल्डर को मानना ही पड़ता, क्योंकि उसको संयोजन चाहिए।
खैर नये अधिशासी अभियन्ता के आने से विभाग की उम्मीद फिर से जग गई है, जिसमें उपरोक्त प्रकरण फिर से सुर्खियों में आना शुरू हो गया।
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आखिर क्या है मुंशी पुलिया खंड के अमराई बिजली घर से 3500 किलोवाट लोड आवंटन/कनेक्शन का काला सच