
गुरुग्राम। बिजली चोरी के मामले में सिविल जज अनिल कुमार यादव की अदालत ने मामले को गलत पाया। मंगलवार को अदालत ने बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई जुर्माना राशि का 9 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को भुगतान किया जाए। कादीपुर के उपभोक्ता सुभाष नरुला के अधिवक्ता क्षितिज मेहता से प्राप्त जानकारी के अनुसार बिजली निगम ने उपभोक्ता पर आरोप लगाया था कि 16 जून 2015 को चेकिंग के दौरान उसका बिजली का मीटर उतारकर लैबोरेट्री में टेस्ट कराया था और मीटर टैंपर्ड पाया गया था। जिससे साबित होता है कि उपभोक्ता बिजली की चोरी कर रहा था। विभाग ने उस पर 2 लाख 49 हजार 616 रुपए का जुर्माना लगा दिया था। बिजली निगम ने उसे धमकी दी थी कि वह जुर्माना राशि जमा कर दे, नहीं तो उसका बिजली का कनेक्शन काट दिया जाएगा।
इस मामले में 7 जुलाई 2015 को उपभोक्ता ने बिजली निगम के अधिकारियों को पत्र लिखकर बताया था कि न तो बिजली का मीटर उसके सामने उतारा गया। न ही उसे कभी लैबोरेट्री में बुलाया गया। उपभोक्ता ने पूरी जुर्माना राशि जमा कर दी थी। बिजली निगम के खिलाफ 15 जनवरी 2016 को केस फाइल कर दिया था। इस मामले की सुनवाई कई वर्ष अदालत में चली।
सिविल जज अनिल कुमार यादव की अदालत ने सुनवाई करते हुए बिजली निगम द्वारा उपभोक्ता पर लगाए गए आरोपों को गलत पाते हुए बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि उपभोक्ता द्वारा जमा कराई गई जुर्माना राशि का भुगतान 9 प्रतिशत ब्याज दर से उपभोक्ता को किया जाए। जमा कराई गई जुर्माना राशि पर करीब एक लाख 90 हजार का ब्याज बनता है। आदेश दिए हैं कि जुर्माना राशि व ब्याज बिजली निगम के उन कर्मचारियों व अधिकारियों से वसूला जाए, जिन्होंने गलत बिजली चोरी का केस बनाया था।