
“85 करोड़ महंगे टेंडर के बाद भी पोलरिस ने जीरो रीडिंग से खेला करोड़ों का खेल”
स्मार्ट मीटर घोटाला: करोड़ों का चूना, पोलरिस कंपनी पर FIR, विभाग बेखबर! यूपी में स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खेल अब घोटाले में बदल गया है। 5200 करोड़ का टेंडर झटकने वाली पोलरिस कंपनी ने पुराने मीटरों की रीडिंग शून्य कर बिजली विभाग को करोड़ों रुपये का फटका लगाया। सीतापुर में एफआईआर, गोंडा में 4270 मीटर गायब, और विभागीय अफसर अभी भी नींद में। इतना ही नहीं, 27342 करोड़ के टेंडर का खेल, जिसमें पहले ही 85-100 करोड़ अधिक दरों पर ठेके दिए गए, अब इस घोटाले से खुली लूट का खुलासा हुआ है।
बताते चले कि यूपी में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की कवायद में निजी कंपनियों के घोटाले का बड़ा खुलासा हुआ है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में स्मार्ट मीटर लगाने वाली निजी कंपनी पोलरिस पर गंभीर आरोप लगे हैं। कंपनी ने पुराने मीटरों की रीडिंग शून्य कर बिजली विभाग को करोड़ों का नुकसान पहुंचाया। मामला इतना बड़ा है कि सीतापुर में कंपनी के राज्य प्रमुख और प्रोजेक्ट मैनेजर समेत कई कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है।
8500 करोड़ का टेंडर, फिर भी गड़बड़झाला
उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के लिए 27,342 करोड़ रुपए के टेंडर देश के बड़े निजी घरानों को दिए गए। इसमें मध्यांचल विद्युत वितरण निगम ने पोलारिस कंपनी को 5,200 करोड़ रुपए का ठेका सौंपा। लेकिन इस मेगा प्रोजेक्ट में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आ रही हैं। पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन स्मार्ट मीटर की तारीफ में ढोल पीट रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां करती है।
सीतापुर में 443 मीटर गायब, FIR दर्ज
सीतापुर में पोलारिस कंपनी, उसके स्टेट हेड, जोनल प्रोजेक्ट मैनेजर और अन्य कर्मियों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है। आरोप है कि कंपनी ने पुराने मीटर उतारकर नए स्मार्ट मीटर तो लगाए, लेकिन 443 पुराने मीटर विद्युत परीक्षण खंड को उपलब्ध नहीं कराए। इसके चलते उपभोक्ताओं के मासिक बिल जारी नहीं हो सके। पुराने मीटरों की रीडिंग को शून्य दिखाकर कंपनी ने बिजली विभाग को भारी नुकसान पहुंचाया।
गोंडा में भी गड़बड़ी, नोटिस के बाद FIR की तैयारी
गोंडा में पोलारिस कंपनी ने 2,645 पुराने मीटर वापस नहीं किए, जबकि एक अन्य मामले में 1,625 मीटर गायब हैं। कंपनी ने पुराने मीटरों की रीडिंग को सीलिंग सर्टिफिकेट में शून्य दिखाकर लाखों-करोड़ों का नुकसान किया।
गोंडा के मुख्य अभियंता ने बार-बार नोटिस देने के बावजूद जवाब न मिलने पर FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। एक उपभोक्ता ने बताया कि 6 महीने से उसका बिल नहीं बना, जिससे विभाग की छवि धूमिल हो रही है।
कैसे खेला गया घोटाला?
पोलरिस कंपनी को प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने का लगभग 5200 करोड़ रुपये का टेंडर मिला। मीटर लगाने के दौरान कंपनी ने पुराने मीटरों की रीडिंग जीरो कर दी और बड़ी संख्या में पुराने मीटर जमा ही नहीं किए। सीतापुर में 443 मीटर और गोंडा में 4270 मीटर विभाग को वापस नहीं दिए गए। इससे उपभोक्ताओं के बिल जारी नहीं हो पाए और विभाग को करोड़ों का चूना लग गया।
अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल
गोंडा में मुख्य अभियंता ने कंपनी को नोटिस भेजा, लेकिन जब जवाब नहीं मिला तो मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए। सवाल ये है कि इतने बड़े घोटाले के बावजूद विभागीय अफसर अब तक कार्रवाई में सुस्त क्यों हैं?
27342 करोड़ का ठेका, लेकिन पारदर्शिता जीरो
प्रदेश में प्रीपेड मीटर लगाने का कुल ठेका 27342 करोड़ रुपये का है। इसमें पोलरिस समेत चार कंपनियां शामिल हैं। टेंडर में पहले ही 85 से 100 करोड़ अधिक दरों पर सौदा किया गया, ऊपर से ये घोटाला बिजली कंपनियों की वित्तीय सेहत को बर्बाद कर रहा है।
उपभोक्ता परिषद का बड़ा बयान
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा—
“ये खेल पूरे प्रदेश में चल रहा है। स्मार्ट मीटर की जल्दबाजी में विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। आगे चलकर ये स्मार्ट मीटर बिजली कंपनियों के लिए मुसीबत साबित होंगे।”
क्या है स्मार्ट मीटर का दावा?
पावर कॉरपोरेशन दावा करता है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर से उपभोक्ताओं को सुविधा होगी और बिजली चोरी रुकेगी। लेकिन हकीकत में मीटर रीडिंग का हिसाब-किताब गायब है और उपभोक्ता बिना बिल के परेशान हैं। सवाल यह है कि जब स्मार्ट मीटर का लेखा-जोखा ही गायब है, तो उपभोक्ताओं को लाभ कैसे मिलेगा?
यूपीपीसीएल मीडिया का सवाल:
👉 क्या स्मार्ट मीटर योजना भ्रष्टाचार का नया जरिया बन गई है?
👉 करोड़ों का नुकसान कराने वाले अधिकारियों पर भी गाज गिरेगी या सिर्फ कंपनियों पर कार्रवाई होगी?
👉 क्या सरकार इस पूरे घोटाले की जांच सीबीआई से कराएगी?