
संविदाकर्मी स्थानांतरण विवाद : सेक्टर-14 न्यू पावर हाउस में रिश्वतखोरी की मलाई पर पर्दा?
लखनऊ। यूपीपीसीएल में एक रिश्वतखोर संविदाकर्मी के स्थानांतरण को लेकर नया विवाद सामने आया है। आरोप है कि सेक्टर-14 न्यू पावर हाउस में तैनात इस कर्मी ने उपभोक्ताओं से वसूली और रिश्वतखोरी के नेटवर्क को बचाने के लिए भावनात्मक ब्लैकमेल का रास्ता अपनाया है। सूत्रों के अनुसार, सेक्टर-14 न्यू पावर हाउस से एचएएल पावर हाउस पर स्थानांतरण किए जाने पर संबंधित कर्मी ने यह कहते हुए भवानात्मक व्लैकमेल कर रहा है कि आपके कारण हमारी नौकरी चली गई, जबकि हकीकत यह है कि उसका सेक्टर-14 न्यू पावर हाउस से एचएएल पावर हाउस पर स्थानांतरण कर दिया है, जहां कार्य भी कर रहा है। इतना ही नहीं, उसने यह तक दावा कर दिया कि यदि उसके साथ कुछ भी अनहोनी हो जाती है तो पत्रकार जिम्मेदार होंगे।उक्त संविदाकर्मी अपने स्थानांतरण को नौकरी जाने का बहाना बनाकर उपभोक्ताओं से सहानुभूति लेने का कर रहा है प्रयास
👉 इतना ही नहीं, अधिशासी अभियंता के नाम तक का हवाला देते हुए दावा करता है कि “अगर लिखकर दे दें तो कुछ नहीं होगा, वरना केस कर दूँगा।” यह सीधे-सीधे भावनात्मक दबाव और ब्लैकमेल की रणनीति है। देखिए यह विडियों …
पर बड़ा सवाल यह है कि—
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सरकारी विभाग में स्थानांतरण होना सामान्य प्रक्रिया है। फिर ऐसा क्या है सेक्टर 14 न्यू पावर हाउस में, जिसे छोड़ना इस कर्मी को नौकरी जाने जैसा लग रहा है?
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एक अकुशल संविदाकर्मी, जिसे लाइन पर काम भी नहीं करना, केवल दूसरे पावर हाउस में वही कार्य करने जाना है… तो आखिर किस खतरे की बात की जा रही है?
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यदि उनके साथ कुछ हो जाए तो पत्रकार जिम्मेदार होगा, इस तरह का बयान क्या संविदाकर्मी की हकीकत छुपाने का तरीका नहीं है?
प्रबंधन का आदेश पहले से स्पष्ट
मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की प्रबंध निदेशक ने पहले ही निर्देश जारी कर दिए थे कि तीन वर्ष से अधिक समय से तैनात सभी संविदाकर्मियों को हटाया जाए। यानी यह स्थानांतरण न तो नया है और न ही असामान्य। यह तय प्रक्रिया का हिस्सा है। यह प्रक्रिया तय नियमों के तहत ही चल रही है। फिर भी, अधिकारी किस दबाव में आकर इस कर्मी को बचाने में लगे हैं, यह बड़ा प्रश्न है।
क्यों खास है सेक्टर-14 न्यू पावर हाउस?
सूत्रों का कहना है कि इस पावर हाउस पर उपभोक्ताओं से अवैध वसूली का खेल लंबे समय से चलता रहा है। यही वजह है कि यहाँ तैनात कर्मियों के लिए यह पोस्टिंग “मलाईदार” मानी जाती है। सवाल यह है कि—
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अगर संविदाकर्मी अकुशल है और लाइन पर काम भी नहीं करता, तो आखिर उसे यहीं रहने की जिद क्यों है?
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क्या यह पोस्टिंग वाकई इतनी लाभकारी है कि स्थानांतरण को वह नौकरी जाने जैसा बता रहा है?
बड़ा प्रश्न
फिर भी यह सवाल बना हुआ है कि आखिर क्यों अधिकारी इस कर्मी का पक्ष लेने में सक्रिय दिख रहे हैं? क्या वाकई सेक्टर-14 न्यू पावर हाउस में कोई खास “मलाई” है, जिसकी वजह से पारदर्शिता पर पर्दा डाला जा रहा है?
सच यह है कि मध्यांचल की प्रबंध निदेशक ने पहले ही आदेश दे दिया है कि तीन वर्ष से अधिक समय से तैनात सभी संविदा कर्मियों को हटाया जाए। यानी यह स्थानांतरण असामान्य नहीं बल्कि तय प्रक्रिया का हिस्सा है। फिर भी सवाल उठता है कि आखिर कौन-सा “मलाई” सेक्टर 14 न्यू पावर हाउस में है, जिसे बचाने के लिए अधिकारी तक सामने आ रहे हैं? पीपीसीएल मीडिया जल्द ही इस पूरे मामले में और परतें खोलेगा।
असल मुद्दा
यूपीपीसीएल मीडिया के हाथ आए संकेत बताते हैं कि स्थानांतरण विवाद महज़ “नौकरी बचाने की लड़ाई” नहीं है, बल्कि इसके पीछे उपभोक्ताओं से चल रही वसूली और अधिकारियों तक पहुँचने वाली मलाई का खेल छुपा हुआ है।
🟢 यूपीपीसीएल मीडिया जल्द ही यह खुलासा करेगा कि आखिर सेक्टर-14 न्यू पावर हाउस में ऐसा कौन-सा गुप्त खेल चल रहा है, जिसकी रक्षा के लिए खबर को फर्जी तक करार दिया गया।