ऊर्जा निगमों में खुलेआम चल रहे लूट-तन्त्र पर मैं चाहे ये करुं, मैं चाहे वो करुं, मेरी मर्जी

मित्रों नमस्कार! अध्यक्ष उ0प्र0पा0का0लि0 कार्यालय द्वारा प्रशासनिक आधार पर एक अदभुत एवं ऐतिहासिक स्थानान्तरण आदेश जारी किया गया है। इससे पूर्व उ0ंप्र0पा0का0लि0 के इतिहास में ऐसा अजीबो गरीब आदेश कभी जारी नहीं हुआ था। जिसको बार-बार पढ़ने पर, उसमें प्रशासनिक दृष्टिकोण के स्थान पर सिर्फ और सिर्फ अहंकार के अतिरिक्त कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। उक्त आदेश में स्थानान्तरण के पश्चात आबंटित कार्यालय/स्थान में लिखा गया है ”दक्षिणांचल डिस्काम में ही दूरस्थ स्थान पर“। पता नहीं अध्यक्ष महोदय की चिढ़ की यह कौन सी परकाष्ठा है, जिसके कारण पा0का0लि0 की वास्तविक कार्यशैली ही सार्वजनिक हो गई है। अर्थात कार्यालय द्वारा वही किया गया जो उसे कहा गया।

सर्वविदित है कि सभी डिस्काम, स्वायत्त वितरण कम्पनियां हैं। जिन्हें अपने कार्यक्षेत्र में सभी निर्णय लेने की स्वायत्तता प्राप्त है। परन्तु उपरोक्त आदेश से यह स्पष्ट हो गया कि वह स्वतन्त्रता मात्र दिखावटी है। आईये आज स्थान्तरित अधिकारी की चर्चा भी कर लें। बेबाक का स्पष्ट रुप से यह मानना है कि स्थानान्तरित अधिकारी उ0प्र0पा0लि0 के अधीन उपलब्ध वास्तविक रुप से गिने-चुने योग्य अधिकारियों में से एक ईमानदार अधिकारी है। जहां एक तरफ निजीकरण की तैयारियां चल रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ लूटतन्त्र अपने शबाब पर है। स्थिति यह है कि कार्मिक संगठनों तक को भोजनावकाश के समय ध्यानाकर्षण हेतु आन्दोलन के लिये कार्मिक नहीं मिल पा रहे हैं। उन्हें भी अन्दोलन स्थल पर संविदाकर्मी एवं सेवानिर्वत्त कार्मिकों से काम चलाना पड़ रहा हैं। ऐसी विषम स्थिति में ईमानदारी एक रोड़े के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। आज सभी वायसरायों के लिये बस एक ही चुनौती है कि प्रणाली में कहीं भी कोई ईमानदारी का किटाणुं दिखलाई न दे जाये। यही कारण है कि इन जैसे बहुत कनिष्ठ पदोन्नत्ति पा चुके हैं अथवा अतिरिक्त कार्यभार लेकर लूट की बहती नदी में डुबकी लगा रहे हैं। वहीं इन जैसों की पदोन्नत्ति जानबूझकर कभी गोपनीय आख्या के अभाव में, तो कभी फर्जी डी0पी0 के नाम पर टाली जाती रहती है। इसके अतिरिक्त प्रताणित करने के लिये स्थानान्तरण पर स्थानान्तरण किये जाते रहते हैं। जिसमें उपरोक्त ”डिस्काम में ही दूरस्थ स्थान पर“ के नाम पर स्थानान्तरण करने का एक नया अध्याय जोड़ दिया गया है।

आशय स्पष्ट है कि निजीकरण की आंधी एवं लूट के खेल में, अवरोध के रूप में एक तिनका तक बर्दाश्त नहीं है। उपरोक्त स्थानान्तरण आदेश से यह प्रतीत होता है कि मथुरा क्षेत्र में वैध/अवैध कालोनियों में विद्युतीकरण को लेकर जो खेल, वहां के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के द्वारा खेलते हुये, भ्रष्टाचार की जिस नदी को बहाया जा रहा है, उसके रास्ते में आने वाली तनिक भी रुकावट, मुख्यालय तक को बर्दाश्त नहीं है। जिसका ही परिणाम है कि नाराजगी के बहाव में उपरोक्त कथित स्थानान्तरण आदेश जारी कर यह चेताया गया है कि ”मेरी मर्जी, चाहे मैं ये करुं, चाहे में वो करुं“। अर्थात बहती नदी का अनुश्रवण न करने की यह एक बानगी के समान है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका सं0 79/1997 में दि0 21.03.2007 को दिये गये निर्देशों के अनुरुप लिखकर, पग-पग पर न्यायालय की अवमानना की जाती है। जिस पर चर्चा करना ही ”आ बैल मुझे मार के समान है। यदि कोई न्यायालय की शरण में गया तो मुख्यालय की नाराजगी, परकाष्ठा को भी पार कर जाती है तथा पीड़ित को न्यायालय के चक्कर काटने के लिये अकेला छोड़ दिया जाता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि ऊर्जा निगम डूबे नहीं बल्कि जानबूझकर एक सोची समझी नीति के तहत डुबोये गये हैं।

आज स्थिति यह है कि निगमों में वास्तविक इन्जीनियर की कहीं भी कोई आवश्यकता ही नहीं रह गई है। आज भ्रष्टाचार विशेषज्ञों एवं चापलूसों का समय है। कार्मिक संगठनों के द्वारा मात्र अपने चहेतों को मलाईदार पदों पर नियुक्त कराने, उनके भ्रष्टाचार पर आंखें मूंदने एवं अपने सदस्यों को निदेशक बनाने के एक सूत्रीय कार्यक्रम का ही यह परिणाम है। कि आज LMV-10 के नाम पर जहां नियमित अधिकारी, कार्मिकों के यहां पर लगातार स्मार्ट मीटर लगवाने के लिये कृत संकल्प हैं, तो वहीं सेवानिर्वत्त कार्मिक एवं उनकी पत्नियां मीटर न लगने देने के विरोध स्वरुप खड़े हैं। दुनिया इस अजीबो गरीब खेल को देख खड़ी मुस्करा रही है, कि जिस सुविधा का नियमित कार्मिक भी प्रयोग कर रहे हैं, उसी सुविधा को वे खुद छिन्न-भिन्न करने के लिये खड़े हुये हैं। समाचार पत्रों में छपी खबर के अनुसार सभी कार्मिक संगठन स्मार्ट मीटर लगवाने के लिये सहमत हों गये हैं। जोकि कार्मिक संगठनों की वास्तविक पहचान है, जिसमें कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है। जिसका मूल कारण है कार्मिक संगठनों के नेत्रत्व का विवेकहीन होकर, कतिपय सेवानिर्वत्त कार्मिकों अथवा किसी बाहरी की कठपुतली बनकर कार्य करना है।

विदित हो कि तथाकथित सेवानिर्वत्त कार्मिक, आन्दोलनों की आड़ में सदैव ही प्रबन्धन के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर निजीकरण कराने अथवा प्रबन्धन की नीतियों को लागू कराने के विशेषज्ञ रहे हैं। जिस प्रकार से माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को ठेंगा दिखाया जा रहा है, ठीक उसी प्रकार सरकार द्वारा घोषित जीरो टॉलरेंस नीति का प्रयोग सिर्फ भ्रष्टाचार के अवरोधों को हटाने के लिये किया जा रहा है। निहित स्वार्थ में लोग सबकुछ दिखलाई देने के बावजूद, गूंगे-बहरे बने हुये हैं। राष्ट्रहित में समर्पित! जय हिन्द!

-बी0के0 शर्मा, महासचिव PPEWA. M.No. 9868851027.

cropped-UPPCL.png
  • UPPCL Media

    UPPCL Media

    सर्वप्रथम आप का यूपीपीसीएल मीडिया में स्वागत है.... बहुत बार बिजली उपभोक्ताओं को कई परेशानियां आती है. ऐसे में बार-बार बोलने एवं निवेदन करने के बाद भी उस समस्या का निराकरण नहीं किया जाता है, ऐसे स्थिति में हम बिजली विभाग की शिकायत कर सकते है. जैसे-बिजली बिल संबंधी शिकायत, नई कनेक्शन संबंधी शिकायत, कनेक्शन परिवर्तन संबंधी शिकायत या मीटर संबंधी शिकायत, आपको इलेक्ट्रिसिटी से सम्बंधित कोई भी परेशानी आ रही और उसका निराकरण बिजली विभाग नहीं कर रहा हो तब उसकी शिकायत आप कर सकते है. बिजली उपभोक्ताओं को अगर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई, बिल या इससे संबंधित किसी भी तरह की समस्या आती है और आवेदन करने के बाद भी निराकरण नहीं किया जाता है या सर्विस खराब है तब आप उसकी शिकायत कर सकते है. इसके लिए आपको हमारे हेल्पलाइन नंबर 8400041490 पर आपको शिकायत करने की सुविधा दी गई है.... जय हिन्द! जय भारत!!

    OTHER UPPCL MEDIA PLATFORM NEWS

    भ्रष्टाचार में डूब चुकी UPPCL की विद्युत प्रणाली से दूर रहने की अपील!

    सोशल मीडिया पर UPPCL द्वारा आंधी-बारिश में बिजली से सावधान रहने के लिये 4 बिन्दुओं की अपील की गई है। जबकि आम आदमी अपने होशो-हवास में यह सब अच्छी तरह…

    “एक तरफ घी तो दूसरी तरफ डालडा भी नसीब नहीं” … यह नजारा है विद्युत वितरण दुबग्गा, अमौसी का

    हिमान्शु गौंड़ व मेराज नामक आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी, लाइन कर्मचारी है… इनसे तो किसी भी दशा में लिखा पढ़ी का कार्य कराया ही नहीं जा सकता… लेकिन अधिशासी अभियंता विशाल…

    सुरक्षा उपकरणों के अभाव में कार्य करने के दौरान बिजली पोल से गिर कर अकुशल संविदा कर्मी इलाज के दौरान मौत

    सुरक्षा उपकरणों के अभाव में कार्य करने के दौरान बिजली पोल से गिर कर अकुशल संविदा कर्मी इलाज के दौरान मौत

    “एक तरफ घी तो दूसरी तरफ डालडा भी नसीब नहीं” … यह नजारा है विद्युत वितरण दुबग्गा, अमौसी का

    “एक तरफ घी तो दूसरी तरफ डालडा भी नसीब नहीं” … यह नजारा है विद्युत वितरण दुबग्गा, अमौसी का

    नियम विरुद्ध बिजली कनेक्शन देने पर अवर अभियन्ता को हटाया

    नियम विरुद्ध बिजली कनेक्शन देने पर अवर अभियन्ता को हटाया

    महिला पॉलिटेक्निक पर कार्यरत अकुशल आउटसोर्सिंग संविदा कर्मी 11 हजार लाइन की फाल्ट बनाते समय गिरकर दर्दनाक मौत

    महिला पॉलिटेक्निक पर कार्यरत अकुशल आउटसोर्सिंग संविदा कर्मी 11 हजार लाइन की फाल्ट बनाते समय गिरकर दर्दनाक मौत

    गुरु कृपा के लिये सरकारी कैमरे के समक्ष नोटों की गड्डियों की लेन-देन का खेल!

    गुरु कृपा के लिये सरकारी कैमरे के समक्ष नोटों की गड्डियों की लेन-देन का खेल!

    बिजली विभाग की लापरवाही से संविदा लाइनमैन अखिलेश की दर्दनाक मौत

    बिजली विभाग की लापरवाही से संविदा लाइनमैन अखिलेश की दर्दनाक मौत
    WhatsApp icon
    UPPCL MEDIA
    Contact us!
    Phone icon
    UPPCL MEDIA