
मेरठ। बिना एस्टीमेट, बिना परमिशन और सीधे शटडाउन देकर 11 केवी की लाइन शिफ्ट करने का गम्भीर प्रकारण प्रकाश में आया है। उपरोक्त प्रकरण को यदि अनुभव की नजर से देखा जाये, तो एक ही नजर में रिश्वत के बल पर सीधेसीधे सेटिंग का मामला प्रतीत होता है। रिश्वत मिलने के बाद विद्युत आपूर्ति संहिता को दरकिनार सभी नियमों को लगा देते हैं ठिकाने, खुद ही बिना एस्टीमेट एचटी लाइन की ट्रांसफर कर अपने ही ऊर्जा निगम को खुद चूना लगा रहे हैं अधिकारी। मेरठ मे अवैध लाइन शिफ्टिंग और कनेक्शन का कारोबार रुकने का नाम नहीं ले रहा है इससे पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड भले ही लुट रहा हो लेकिन अवर अभियन्ता को बहुत मोटी आमदनी हो रही है।
अवैध रूप से लाइन शिफ्टिंग के मामलों में लगातार अवर अभियंता स्तर के अफसरों पर निलंबन की कार्रवाई के बावजूद बगैर अनुमति के लाइन शिफ्टिंग के मामलों पर अंकुश नहीं लगा पा रहा है। अभी पिछले सप्ताह वेदव्यासपुरी बिजली घर के अवर अभियन्ता मुकेश कुमार को अवैध लाइन शिफ्टिंग और फर्जी सैलरी मामले में सस्पेंड करने का मामला अभी शान्त नहीं हुआ था कि अब रंगोली बिजलीघर के अवर अभियन्ता गौतम कुमार और उपखण्ड अधिकारी आर ए कुशवाहा ने मिलकर सेक्टर 12 शास्त्रीनगर में रिहायशी एरिया मे मकान के सामने से जाती हुई हाइटेंशन लाइन शिफ्ट कर दी…
जबकि ऐसे प्रकरण में नियामानुसार 11 केवी की लाइन शिफ्ट करने के लिए विभागीय एस्टीमेट जमा करना होता है और अधिशासी अभियन्ता से लेकर मुख्य अभियंता तक से अनुमति लेनी होती है, लेकिन यहां तो अवर अभियन्ता गौतम कुमार और उपखण्ड अधिकारी आर ए कुशवाहा ने उपभोक्ता से रिश्वत खाकर बिना एस्टीमेट और अनुमति के ही हाई टेंशन लाइन शिफ्ट कर दी। जिससे विभाग को भले ही वित्तीय हानि पहुंची हो लेकिन के अवर अभियन्ता गौतम कुमार और उपखण्ड अधिकारी आर ए कुशवाहा को अच्छी खासी रकम प्राप्त हुई है।
खैर उक्त प्रकरण की शिकायत अब पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशिका से के साथ-साथ अध्यक्ष पावर कारपोरेशन से भी भेजा गया है, उक्त प्रकरण में शामिल आरोपियों के खिलाफ विभागीय जांच कर कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। हालांकि इस सन्दर्भ में उपखण्ड अधिकारी आरए कुशवाह का कहना है कि यह कार्य आईपीडीएस के तहत किया गया है।
ऐसा नहीं कि पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड प्रशासन इसको लेकर गंभीर नहीं है। इसके पूर्व में इस प्रकार से सम्बन्धित कई मामलों में आरोपी अफसरों पर निलंबन जैसी कार्रवाई भी की गई हैं। इस सन्दर्भ में “यूपीपीसीएल मीडिया” का कहना है कि पावर कारपोरेशन अथवा उनके सहयोगी कंपनियां द्वारा किसी भी प्रकरण में निलम्बन जैसी कारवाई सिर्फ और सिर्फ पिकनिक मनाने की छुट्टी जैसी होती है…. यदि उदाहरण माने तो किसी आरोपी अफसर के ऊपर पचास लाख का राजस्व नुकसान का दोषी मानते हुए उसका निलम्बन कर दे… निलम्बन अवधि के दौरान आधा वेतन तो मिल रहा ही है… साथ ही राजस्व नुकसान का लाखों रूपया भी पास में है, उसी रूपया में से कुछ रूपया जॉच कमेटी पर खर्च कर देता है, कुछ समय बाद बहाल हो जाता है… निलम्बन अवधि के दौरान का आधा वेतन भी बहाल होने के उपरान्त मिल जाता है। कुछ समय उपरान्त नव तैनाती स्थल पर विभाग को फिर से राजस्व नुकसान लगाने का प्रयास कर अपनी जेब गर्म करता है….. यदि विभाग वास्तव में कारवाई करना चाहता है तो उक्त राजस्व नुकसान की भरपाई उसके वेतन से कटौती करके करना चाहिए।
खैर पिछले दिनों दो अवर अभियंताओं को पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशिका ने कारवाई किया, जिसमें बाईपास स्थित होटल लालकिला के बाहर लगे ट्रांसफार्मर की शिफ्टिंग प्रकरण में सोफीपुर के अवर अभियन्ता अनिल राम को सस्पेंड कर दिया गया। वैसा ही दूसरा मामला वेदव्यासपुरी का था, उसमें अवर अभियन्ता को सस्पेंड कर दिया गया। इसके अलावा इससे मिलते जुलते एक अन्य हापुड़ में तो कारगुजारी दिखाते हुए उपखण्ड अधिकारी व अवर अभियन्ता ने नई लाइन ही बना डाली थी, दस नई लाइन में आरडीडीएस का सामान भी प्रयोग कर दिया गया। मामले की गंभीरता इसी बात से समझी जा सकती है कि उक्त मामले में पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशिका ने वहां के अधिशासी अभियन्ता, दो उपखण्ड अधिकारी व तीन अवर अभियन्ता सस्पेंड कर दिए थे।
अब रंगोली बिजलीघर के उपखण्ड अधिकारी व अवर अभियन्ता को लेकर मामला सामने आया है। इस मामले में आरोप है कि बगैर एस्टीमेट बनाए और परमिशन लिए लाइनशिफ्टिंग कर दी गयी है। सूत्रों ने जानकारी दी है कि यदि लाइन शिफ्टिंग के इस कार्य का यदि एस्टीमेट बनाया गया होता तो पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के खजाने में अच्छी खासी रकम जमा होती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बताया जाता है कि जब मामले का खुलासा हो गया तो लाइन शिफ्टिंग के इस काम को आरडीएसएस योजना में किया दर्शा दिया गया, जबकि आरडीएसएस योजना के तहत केवल जर्जर तारों को बदलने का काम किया जाता है। जो लाइन शिफ्टिंग की गयी है उसके तार ना जो जर्जर थे और ना ही काम आरडीएसएस की श्रेणी में आता था। इसको लेकर उपखण्ड अधिकारी व अवर अभियन्ता पर उस शख्स से सेटिंग गेटिंग के आरोप लग रहे हैं, जिसके घर के सामने से यह लाइन जा रही है।
ऐसे मामलों में आमतौर पर होता यह है कि पहले आवेदन लिया जाता है। फिर एस्टीमेंट बनता है। उसके बाद अनुमति ली जाती है। इसके अलावा जो शख्स लाइन शिफ्टिंग करता है वह बाकायदा एक शपथपत्र देता है कि अमुक जगह पर शिफ्टिंग की जाए। वहां किसी प्रकार के कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा नहीं होगी।
ंगोली बिजलीघर, मेरठ उपखण्ड अधिकारी इंजीनियर आरए कुशवाह जिस प्रकार के आरोप लगाए जा रहे हैं, वो तमाम निराधार हैं। तमाम नियम कायदों के अनुसार यह कार्य संपादित कराया गया है। आईपीडीएस योजना के तहत पूरा कार्य हुआ है। किसी प्रकार की खामी की कोई गुंजाइश इसमें नहीं छोड़ी गयी है।
अध्यक्ष पावर कारपोरेशन आगामी 15 नवम्बर तक शटडाउन ना देने के आदेशों का भी उल्लंघन करके अवैध रूप से शटडाउन दिया गया। अभी हाल में ही उपखण्ड अधिकारी आर ए कुशवाह पर इनके ही ऑपरेटर और एक लाइनमैन ने जाति के आधार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए सेवा से त्यागपत्र दे दिया था.. अभी तक इस मामले में तो इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई देखते हैं, अब इस नया प्रकरण में क्या होता है।
अभी हाल में ही पश्चिमांचल और मध्यांचल में एरियल बच कंडक्टर की घटिया क्वालिटी का खुलासा हुआ था। वहीं अब पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में एक नया मामला सामने आया है जिसमें आरडीएसएस द्वारा जारी स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में एक नामचीन कंपनी की फर्म का 11 केबी एचटी केवल दो बार निरीक्षण में फेल होने के बावजूद तीसरी बार में उसे पास करा दिया गया है।