बेबाक: यदि उर्जा निगमों की कार्यशैली की यही दशा रही तो भविष्य में विद्युत पोल कहलायेंगे “यमदूत”

उर्जा निगमों में बुनियादी लापरवाही के कारण लगातार हो रही विद्युत दुर्घटनाओं में विद्युत कर्मियों के साथ-साथ, नित्य आम जन जीवन भी अकाल मृत्यु का शिकार हो रहा है। आज सोशल मीडिया पर मुख्य अभियन्ता (वितरण) सहारनपुर क्षेत्र द्वारा मानसून आने की सूचना के साथ-साथ विद्युत दुर्घटनाओं से बचने का हेतु 20 बिन्दु का सन्देश देते हुये, आमजन से विद्युत लाईन एवं खम्भों से दूर रहने की अपील की है। जोकि मानवीय दृष्टिकोण से सर्वोचित है। जिसके लिये वो धन्यावाद के पात्र हैं। परन्तु उक्त बिन्दु, वितरण निगमों की बुनियादी स्तर पर कलई खोलते हुये, उर्जा निगमों की कार्यशैली की एक छोटी सी झलक दिखला रहे हैं। जिससे यह पूर्णतः स्पष्ट हो जाता है कि वितरण निगमों के द्वारा स्थापित खम्भों में न तो अर्थिंग है और न ही उर्जित लाइनों में लगे इन्सूलेटरों एवं तार की कोई गुणवत्ता है। अर्थात सम्भावित विद्युत दुर्घटना से सुरक्षा शून्य है।

अतः यह कहना कदापि अनुचित न होगा कि सड़कों के किनारे एवं खेतों में लगे ये विद्युत के खम्भें न होकर, साक्षात यमराज के दूत हैं, जो कब और कहां पकड़ लें, किसी को भी मालूम नहीं। इन खम्भों पर विद्युत प्रवाह के लिये स्थापित तार, यमराज के उस हण्टर के रुप में हैं, जो कब और कहां और किसके ऊपर गिर जाये, पता नहीं। ऐसा प्रतीत होता है कि पृथ्वी पर यमराज द्वारा अपने दूतों वाले कुछ कार्य, विद्युत अधिकारियों की मानवता विहीन होने की विशेष योग्यता को देखते हुये, उनको स्थान्तरित कर दिये हैं। जोकि विभाग द्वारा आबंटित कार्यों को करें या न करें, परन्तु यमराज द्वारा आबंटित कार्यों को पूर्ण निष्ठा के साथ, अनवरत् 24-घण्टे कर रहे हैं। यही कारण है कि विद्युत लाईनों के रख-रखाव हेतु नियुक्त लाईन कर्मियों के कार्य के घण्टे 8 न होकर 24 हैं। बिना कोई प्रशिक्षण प्राप्त किये, विद्युत उपकेन्द्रों पर परिचालकीय कर्मचारी नियुक्त हैं। जिसके कारण, यदि कहीं कोई तार टूट जाये अथवा कहीं पर विद्युत खम्भें में अचानक विद्युत प्रवाह आरम्भ हो जाये, तो लाईन तब तक बन्द नहीं हो पाती, जब तक कि यमराज के दूत अपना काम नहीं कर लेते। इसी प्रकार से यमराज के दूतों के मात्र ईशारा करते ही, कब बन्द लाईन चालू कर दी जाये, पता नहीं। यह कहना भी कदापि अनुचित न होगा कि पृथ्वी पर स्थापित विद्युत उपकेन्द्र अब यमराज के कार्यालय बन चुके है।

स्पष्ट है कि मुख्य अभियन्ता द्वारा अपनी अपील के बिन्दु 20 पर स्पष्ट रुप से यह कहा है कि ”यदि कोई व्यक्ति बिजली के संपर्क/गिरफ्त में आ गया हो तो तुरंत उसे बचाने हेतु, फीडर की बिजली बंद कराऐं व अपने आपको किसी सुखी जगह पर होना सुनिश्चित करें“। अर्थात जब तक फोन मिलेगा और फोन उठेगा और बिजली बन्द होगी, तब तक तो यमराज के दूत अपना कार्य पूर्ण कर चुके होंगे।

मुख्य अभियन्ता महोदय द्वारा आम जनता से अपील का उपरोक्त बिन्दु, विभाग का सीधे-सीधे यह कबूलनामा है कि विभाग का अपनी प्रणाली पर कोई नियन्त्रण नहीं है। वे चाहें तो अपने खम्भों की अर्थिंग बेच खायें, गुणवत्ताहीन सामग्री का प्रयोग करें। परन्तु दूसरों को यह नसीहत देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते, कि घर में उपकरण अच्छी क्वालिटी के ही उपयोग करें, घर के अंदर बिजली फिटिंग में अर्थिग जरूर कराएं व अपने उपकरण को उससे जोडें, अपने सभी स्विच, एमसीबी, इएलसीबी उच्च कोटि की ही लगायें। परन्तु शायद मुख्य अभियन्ता द्वारा अपने अधीनस्थों को यह कभी नहीं बताया होगा कि विद्युत लाईन निर्माण में विद्युत नियमावली-1956 के तहत, प्रत्येक विद्युत पोल की अर्थिग करना अनिवार्य है। प्रत्येक इन्सूलेटर एवं विद्युत तारों के (BIS) Bureau of Indian Standard द्वारा उचित गुणवत्ता हेतु मानक निर्धारित हैं। जिनका पालन कराने की जिम्मेदारी विभाग की है। मानकों के अनुसार ही क्रय की जाने वाली सामग्री का निर्माता के यहां, विभाग अपने सर्वगुण सम्पन्न इन्जीनियरों को भेजकर, गुणवत्ता का परीक्षण कराकर ही, उपयुक्त सामग्री को स्वीकार करता है। यह दूसरी बात है कि निरीक्षणकर्ता घर बैठकर अथवा 5-Star होटल में बैठकर, निर्माता द्वारा प्रदत्त प्रसाद के आधार पर किसी भी सामग्री को योग्य अथवा अयोग्य घोषित करते हैं।

विदित हो कि उक्त प्रसाद का वितरण, मुख्यालय तक बहुत ही ईमानदारी से होता है। जहां तक बात है लाईन एवं विद्युत उपकरणों के रख-रखाव की, तो विभाग द्वारा प्रति वर्ष M&R of Norms के विरुद्ध, निर्धारित मात्रा में Poles, Conductor, Earthing Rod, Insulator, Stay Rod, आदि सामग्री भण्डार से निशुल्क उपलब्ध करायी जाती है। इसके बावजूद विशेष परिस्थितियों में आवश्यकतानुसार Special M&R भी आवश्यक सामग्री भण्डार, से प्राप्त की जाती है। उपरोक्त के साथ-साथ Business Plan में भी महत्वपूर्ण कार्य कराये जाते हैं। उपरोक्त सभी के अतिरिक्त सरकार द्वारा समय-समय पर विद्युत सुधार के नाम पर लागू विभिन्न योजनायें जैसे DDUGY-10, DDUGY-11 & DDUGY-12th Plan, Asian Bank, सौभाग्य योजना और वर्तमान में RDSS योजना के अन्तर्गत विद्युतीकरण के साथ-साथ प्रणाली सुदृढ़ करने के सभी कार्य प्रमुखता से कराये जाते रहे हैं। विदित हो कि सभी कार्यों के प्रस्ताव अवर-अभियन्ता के माध्यम से अर्थात Zero-Level से डिस्काम मुख्यालय तक जाते हैं।

दुखद है कि इसके बावजूद मुख्य अभियन्ता महोदय, गर्व से यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि हमारी प्रणाली सुरक्षित है। जो स्वतः स्पष्ट करता है कि उन्हें अपनी प्रणाली पर लेशमात्र भी भरोसा नहीं है। यहां पर यह जानना रोचक होगा कि गत् वर्ष उनके वितरण क्षेत्र में विद्युत सुरक्षा की दृष्टि से कितने कार्य कराये गये और उनकी वास्तविक स्थिति क्या है। जहां पर विगत् एक वर्ष में विद्युत दुर्घटनायें घटित हुई वहां की वर्तमान स्थिति क्या है? क्योंकि गत् वर्ष मेरठ में ही कांवण के साथ चल रहे DJ के विद्युत लाईन के सम्पर्क में आ जाने के कारण, कई लोगों की मौके पर ही दर्दनाक मृत्यु हो गई थी। परन्तु कार्यवाही शून्य रही। क्या इस वर्ष उक्त घटना का हवाला देकर, खाने-पीने का बजट बढ़ जायेगा अथवा धरातल पर भी कोई वास्तविक कार्य होगा? वैसे यह बेहतर होगा कि विद्युत खम्भों पर तख्तियां लगाकर, उन पर लिखवाकर उनका नामान्करण कर दिया जाये, ”यमराज का दूत“। पुनः सावन आने को है। जगह-जगह सड़कों पर विद्युत खम्बों में सम्भावित विद्युत प्रवाह से बचाव के नाम पर, खम्भों के चारों ओर पलीथीन की पन्नियां लपेटी जायेंगी। यह कार्य प्रति वर्ष किया जाता है। जिसमें कांवड़ में कार्य करने वाले वही ठेकेदार होते हैं, जिन्होंने पिछली बार कार्य किया था। जो यदि वास्तविकता के आधार पर 200 पोल और 100 परिवर्तकों पर कार्य करते हैं, तो कागजों पर कुल कितनों का भुगतान प्राप्त करते हैं, यह आंकड़े आपको विचलित कर सकते हैं। अतः यहां लिखना कदापि उचित न होगा। क्योंकि मेला समाप्त होने के बाद ही, भुगतान हेतु कार्य के विस्तार का खेल आरम्भ होता है।

मजाल है कि यदि कोई कर्मचारी अथवा अधिकारी ना नुकर करने का साहस दिखाने की भी चेष्टा करे, क्योंकि ठेकेदार इतने सक्षम हैं कि रातों-रात अवरोधक का स्थानान्तरण अथवा निलम्बन तक कराने की हैसियत रखते हैं। वैसे ऐसा बहुत ही कम होता है, क्योंकि लोग उपलब्ध फसल देखकर ही स्थानान्तरण एवं नियुक्ति कराते हैं। अतः फसल काटने का लाइसेंस देने वाले को, पूरी की पूरी कार्य योजना एवं फसल के मूल्य तक का ज्ञान पहले से ही होता है। मित्रों स्मरण रहे कि भ्रष्टाचार और मानवता का कोई मेल नहीं। इन्सानियत ईश्वर का दूसरा नाम है। कहते हैं न कि कण-कण में है भगवान। ठीक इसी प्रकार से ईश्वर, इन्सान के शरीर में, इन्सानियत के रुप में विद्यमान रहता है। जहां पर इन्सानियत का मान, वहां पर पुण्य और जहां इन्सानियत का अपमान, वहां पर पाप की गणना का मीटर जीवन चलने तक चलता रहता है। राष्ट्रहित में समर्पित! जय हिन्द!

बी0के0 शर्मा, महासचिव PPEWA.

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