
केंद्र सरकार मुफ्त बिजली योजना को लागू करने की ओर तेजी से बढ़ रही है। इसके लिए सरकार ने एक लाख लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा है, जो रूफटॉप सोलर पैनल लगाने, उसके रखरखाव और सर्विस का प्रशिक्षण लेंगे।
इसके लाभों का पूरी तरह से प्रभाव लाने के लिए सरकार को बिजली बाजार के टैरिफ और डिजाइन, बिजली खरीद अनुबंध और बुनियादी ढांचे की आवश्यकताओं से संबंधित संरचनात्मक मुद्दों पर काम करना होगा।
सरकार ने रूफटॉप सोलर पैनल लगाने के एवज में जनता को 300 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा किया है। लेकिन इसमें नेट मीटरिंग सिस्टम की धीमी शुरूआत एक बड़ी बाधा है। यानि कि सोलर पैनल वाले घरों में सौर ऊर्जा के उत्पादन, खपत और ग्रिड में डाली गई बिजली का सही हिसाब रखना जरूरी है।
बिजली की अलग-अलग लागत के कारण वितरण कंपनियां नेट मीटरिंग के लिए जरूरी निवेश करने से बच रही हैं। इसके अलावा वे लंबे समय से बिजली खरीद समझौतों से बंधी हुई है।
इस योजना का लाभ तभी मिल सकता है, जब वितरण कंपनियां इसमें निवेश करें। इसके साथ ही उपभोक्ताओं को सोलर पैनल पर स्विच करने के लाभों के बारे में जागरूक करके प्रोत्साहित करना होगा।