🔥 घोटाले की गंध: सपौला खंड में बिना जांच के ठोका ₹4.93 लाख का बिजली चोरी का नोटिस!
हरदोई। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (MVVNL) के सपौला खंड में भ्रष्टाचार की करंटमार कहानी —मऊटोना मंझगांव, सण्डीला, हरदोई निवासी रमेश कुमार पुत्र नथवा पर विभाग ने बिजली चोरी का झूठा केस दर्ज कर दिया और पीड़ित उपभोक्ता का कहना है कि जब उसने रकम देने से इनकार किया, तो विभागीय टीम ने उस पर बिजली चोरी का झूठा मामला बनाकर सीधे ठोक दिया ₹4,93,880 का नोटिस!
लेकिन सवाल ये उठता है —
क्या चोरी साबित करने के लिए कोई वीडियो साक्ष्य, स्वतंत्र गवाह, या जब्ती रिपोर्ट है❓
नहीं! कुछ भी नहीं!
फिर भी अधिशासी अभियंता ने मनमाने ढंग से “अन्तिम निर्धारण” कर दिया।
हरदोई। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के सपौला खंड में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। ग्राम मझौना निवासी रमेश कुमार पुत्र नथवा ने विभाग के एक लाइनमैन पर दो लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है।
इस पूरे प्रकरण की वीडियो रिकॉर्डिंग भी सामने आई है, जिसमें लाइनमैन कथित रूप से खुलेआम रिश्वत की मांग करते दिखाई दे रहे हैं। वीडियो के वायरल होने के बाद विभाग की कार्यप्रणाली और निरीक्षण टीम की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं।
जांच बिना साक्ष्य के, फिर भी ठोका जुर्माना
मामले से जुड़े दस्तावेज़ों के अनुसार, 10 जनवरी 2025 को विभागीय टीम ने रमेश कुमार के परिसर का निरीक्षण किया था।रिपोर्ट संख्या PF-5926 में तथ्यों और साक्ष्यों का कोई उल्लेख नहीं है।
इसके बावजूद अधिशासी अभियंता, विद्युत वितरण खंड सपौला द्वारा उपभोक्ता पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के अंतर्गत ₹4,93,880 का “अन्तिम निर्धारण” कर दिया गया।
💥 ग्रामीणों का आरोप — भ्रष्ट अफसरों का खेल चल रहा है!
स्थानीय लोगों ने खुलासा किया कि विभाग की टीमें कंप्यूटर से “टाइप रिपोर्ट” बनाकर बिजली चोरी के झूठे केस तैयार करती हैं। फिर ‘सेटलमेंट’ के नाम पर मोटी वसूली की जाती है। जो पैसा नहीं दे पाता, उसके खिलाफ मुकदमा ठोंक दिया जाता है।
ग्राम मझौना के उपभोक्ता रमेश कुमार ने अपने पत्र में साफ कहा है —
“ये पूरा खेल कुछ इंजीनियरों की मिलीभगत से चल रहा है। बेगुनाह लोगों को जबरन फँसाया जा रहा है ताकि रिश्वत वसूली की जा सके।”
उन्होंने उच्चाधिकारियों से निष्पक्ष जांच की मांग की है और लिखा है कि भ्रष्ट अधिकारी राजकिशोर यादव जैसे लोग “लाइन पकड़ो और पैसा दो” नीति पर काम कर रहे हैं।
पीड़ित रमेश कुमार ने मुख्य अभियंता और अधीक्षण अभियंता को प्रेषित अपने पत्र में लिखा है कि
“विभागीय कर्मियों ने बिना किसी प्रमाण और जांच के केवल रिश्वत न देने की वजह से मेरे खिलाफ कार्रवाई की है। यह भ्रष्टाचार का खुला उदाहरण है।”
उन्होंने मांग की है कि प्रकरण की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी या विजिलेंस विभाग से कराई जाए ताकि दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों पर कार्रवाई हो सके।
स्थानीय स्तर पर रोष
गांव के लोगों ने बताया कि यह पहली घटना नहीं है। क्षेत्र में कई उपभोक्ताओं को इसी तरह के “फर्जी चोरी नोटिस” दिए गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि “लाइनमैन और कुछ अभियंता पहले पैसे की मांग करते हैं, और मना करने वालों को बिजली चोरी के केस में फंसा देते हैं।”
UPPCL MEDIA की पड़ताल
UPPCL मीडिया की प्राथमिक जांच में सामने आया है कि सपौला खंड में इस तरह के कई पुराने मामले लंबित हैं, जिनमें विभागीय अधिकारी “इलेक्ट्रिसिटी एक्ट” का दुरुपयोग कर उपभोक्ताओं से मनमाने वसूली नोटिस जारी करते रहे हैं।
⚠️ UPPCL MEDIA का बड़ा सवाल:
1️⃣ बिना साक्ष्य और गवाह के किसी को “बिजली चोर” कैसे घोषित किया जा सकता है?
2️⃣ क्या यह नोटिस राजस्व वसूली नहीं बल्कि ब्लैकमेलिंग का हथकंडा है?
3️⃣ क्या सपौला खंड में “बिजली चोरी के नाम पर वसूली उद्योग” चल रहा है?
विभाग की साख पर सवाल
वीडियो सबूत सामने आने के बाद विभाग की साख पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। अगर आरोप सही पाए गए, तो यह सिर्फ एक रिश्वतखोरी का मामला नहीं, बल्कि पूरा वसूली नेटवर्क उजागर करेगा, जिसमें अधीनस्थ से लेकर अभियंता स्तर तक की मिलीभगत सामने आ सकती है।
🔥 यूपीपीसीएल मीडिया एक्सक्लूसिव:
“सपौला खंड के भ्रष्ट अफसरों ने विभाग की साख को शॉर्ट सर्किट कर दिया है!”
अब देखना यह है कि क्या मुख्यालय इन भ्रष्टाचारियों पर बिजली गिराएगा, या फिर इस घोटाले की फाइलें भी डस्टबिन में डाल दी जाएंगी…
📌 (UPPCL MEDIA की विशेष रिपोर्ट – हरदोई से)
रिपोर्ट: यूपीपीसीएल मीडिया टीम








