UPPCL का नया बिजली मॉडल: उपभोक्ताओं को राहत या कर्मचारियों पर संकट का पहाड़?
त्योहारों पर रोशनी का वादा, सिस्टम में अंधेरा — यूपीपीसीएल के सुधार की असली परीक्षा शुरू!
त्योहारों पर ‘नो कटौती’ का वादा, लेकिन अंदरूनी फेरबदल से हड़कंप!
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने इस बार त्योहारों के मौसम में उपभोक्ताओं को “कटौती-मुक्त बिजली” देने का बड़ा ऐलान किया है। लेकिन इसी के साथ शुरू हुआ है प्रदेश के बिजली प्रशासन का सबसे बड़ा पुनर्गठन अभियान — जिसमें राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर, जानकीपुरम, अमौसी और मध्य ज़ोन में बिजली वितरण व्यवस्था की जड़ों को हिला देने वाले बदलाव लागू किए जा रहे हैं।
1 नवंबर 2025 से शुरू हो रही यह नई व्यवस्था उपभोक्ताओं को सुविधा देने का दावा करती है, पर विभाग के भीतर हलचल मच गई है — क्योंकि इस फेरबदल से सैकड़ों कर्मचारियों की कुर्सियां डोल रही हैं।
वर्टिकल (एकल व्यवस्था) कार्यालय ज्ञापन जारी
लंबे इंतजार के बाद आखिरकार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वर्टिकल (एकल व्यवस्था) प्रणाली को लागू करने का आदेश जारी कर दिया गया है। नई व्यवस्था के तहत विभागीय कामकाज अब एकीकृत रूप से संचालित होंगे, जिससे जनता को अलग-अलग कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।वर्टिकल प्रणाली में विभिन्न कार्यों के लिए अलग-अलग शाखाओं की जगह एक ही कार्यालय के अंतर्गत सेवाएँ उपलब्ध होंगी। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि कार्य में तेजी और जवाबदेही भी सुनिश्चित होगी। अधिकारियों का कहना है कि राजधानी लखनऊ से इस व्यवस्था की शुरुआत की गई है। आगे चलकर इसे प्रदेश के अन्य जिलों में भी चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना है।
‘वर्टिकल व्यवस्था’ — अब एक ही कार्यालय में सभी विभागीय काम, जनता को चक्कर से राहत
- यूपीपीसीएल ने जारी किया कार्यालय ज्ञापन, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की पहल
- पहले चरण में राजधानी लखनऊ, जल्द ही अन्य जिलों में भी लागू होगी नई प्रणाली
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में लंबे इंतजार के बाद आखिरकार “वर्टिकल (एकल व्यवस्था)” प्रणाली लागू कर दी गई है। उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने इस संबंध में कार्यालय ज्ञापन जारी करते हुए कहा है कि अब विभागीय कार्य एकीकृत रूप से एक ही छत के नीचे संचालित होंगे। इससे उपभोक्ताओं को अलग-अलग कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और कामकाज में गति, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
सूत्रों के अनुसार, वर्टिकल व्यवस्था में अब तकनीकी, वाणिज्यिक, बिलिंग, कलेक्शन और शिकायत निस्तारण जैसी सभी सेवाएं एक ही कार्यालय से पूरी की जाएंगी। अधिकारियों ने बताया कि राजधानी लखनऊ से इस व्यवस्था की शुरुआत की गई है, जिसे आगे चलकर अन्य जिलों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
प्रशासनिक दृष्टिकोण से, यह व्यवस्था “जनता के लिए एक दरवाज़ा, एक समाधान” (Single Window System) की तरह काम करेगी, जहां हर सेवा डिजिटल ट्रैकिंग से जुड़ी होगी।
जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों का मानना है कि यह कदम सुविधा और जवाबदेही दोनों को एक साथ जोड़ने वाली पहल है, जिससे आमजन को वास्तविक राहत मिलेगी और शासन की नीतियाँ जमीनी स्तर तक तेज़ी से पहुँचेंगी।
त्योहारों से पहले वर्टिकल व्यवस्था लागू — बरेली के अनुभव से उठे अहम सवाल, अब लखनऊ में भी नया प्रयोग
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने राजधानी लखनऊ में वर्टिकल (एकल व्यवस्था) प्रणाली लागू करने का आदेश जारी कर दिया है। नई व्यवस्था के तहत अब विद्युत उपकेंद्रों का परिचालन और अनुरक्षण कार्य एकीकृत ढांचे में किया जाएगा। दावा है कि इससे खर्च घटेगा, कार्यकुशलता बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति मिलेगी। हालांकि, इस मॉडल को लेकर कई अहम सवाल उठ रहे हैं। UPPCL मीडिया का मानना है कि यह सुधार योजना जितनी व्यवहारिक दिखाई देती है, उतनी ही गहराई में यह प्रशासनिक चुनौती भी बन सकती है।
दरअसल, वर्टिकल प्रणाली का प्रयोग पहले मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (MVVNL) के बरेली जनपद में किया गया था। वहां के अनुभव अब पूरे प्रदेश के लिए एक उदाहरण बन गए हैं। सवाल यह है कि—
1️⃣ बरेली में वर्टिकल व्यवस्था लागू होने से पहले 33/11 केवी उपकेंद्रों के परिचालन व अनुरक्षण पर कितना खर्च होता था, और लागू होने के बाद कितना हुआ?
2️⃣ क्या इस व्यवस्था के बाद आउटसोर्स कर्मचारियों को हटाया गया? यदि हां, तो कितनी संख्या में?
3️⃣ वर्टिकल व्यवस्था के पहले और बाद में 33 केवी आपूर्ति कितने घंटे बाधित रहती थी?
4️⃣ बिजली की खपत में क्या कोई ठोस सुधार या गिरावट दर्ज हुई?
5️⃣ उपभोक्ता शिकायतों की लंबित संख्या में कमी आई या स्थिति जस की तस रही?
इन सभी सवालों के उत्तर तय करेंगे कि वर्टिकल प्रणाली वाकई उपभोक्ताओं के लिए राहत का सूत्र है या केवल खर्च घटाने का प्रयोगात्मक प्रयास।
सूत्रों के अनुसार, कॉर्पोरेशन प्रबंधन का मानना है कि “कम खर्च में बेहतर सेवा” ही इस नई नीति की प्राथमिकता है। वहीं कर्मचारी संगठन इसे “प्रशासनिक बोझ” और “जिम्मेदारी के केंद्रीकरण” की ओर बढ़ता कदम मान रहे हैं।
लखनऊ में यह व्यवस्था फिलहाल गोमतीनगर से लेकर अमौसी ज़ोन तक लागू की जा रही है। आगे चलकर इसे अन्य ज़िलों में भी चरणबद्ध तरीके से लागू करने की योजना है।
🔹 त्योहारों पर “नो अनावश्यक कटौती” — आदेश जारी, पर अमल का सवाल
कॉर्पोरेशन ने सभी ज़िलों को साफ़ निर्देश दिए हैं कि दशहरा, दीपावली और छठ जैसे पर्वों के दौरान किसी भी हालत में अनावश्यक बिजली कटौती न की जाए।
यदि मरम्मत या तकनीकी कारणों से कटौती अनिवार्य हो, तो उसकी पहले से सूचना और न्यूनतम अवधि सुनिश्चित की जाए।
पर सवाल यही है कि —
क्या UPPCL धरातल पर इस “निर्बाध आपूर्ति” के वादे को निभा पाएगा?
क्योंकि उपभोक्ता जानते हैं, “अनावश्यक” और “तकनीकी कटौती” के बीच का फर्क अक्सर रात के अंधेरे में गायब हो जाता है।
🔹 गोमतीनगर ज़ोन में नया मॉडल: जवाबदेही बढ़ी या भ्रमजाल?
गोमतीनगर, चिनहट और इंदिरा नगर क्षेत्र में अब सुपरिटेंडिंग इंजीनियर, एक्जीक्यूटिव इंजीनियर (EE) और सहायक अभियंता (AE) को अलग-अलग जिम्मेदारियाँ दी गई हैं। हर ज़ोन में अब सात नई इकाइयाँ होंगी —
तकनीकी, वाणिज्यिक, मीटरिंग, बिलिंग, कलेक्शन, हेल्पडेस्क/पीआर और डेटा एनालिटिक्स।
कागज़ पर यह मॉडल शानदार दिखता है, लेकिन ज़मीनी हकीकत में सबसे बड़ा सवाल यही है —
जब पहले से ही फील्ड में कर्मचारियों की भारी कमी है, उपकरण पुराने हैं और सिस्टम बार-बार ट्रिप करता है, तो क्या नई परतें जोड़ने से दक्षता बढ़ेगी या “कन्फ्यूजन”?
🔹 जानकीपुरम ज़ोन: सुधार या निजीकरण की चाल?
- जानकीपुरम ज़ोन को “Ease of Living” के रोल मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
- अब हर फीडर, सबस्टेशन और ट्रांसफार्मर की निगरानी के लिए टास्क फोर्स बनेगी।
- शिकायत दर्ज करने से लेकर निस्तारण तक सब कुछ डिजिटल टिकट सिस्टम से होगा — 1912 हेल्पलाइन, UPPCL पोर्टल और मोबाइल ऐप के माध्यम से।
- लेकिन इसी मॉडल से आउटसोर्स कर्मियों और पुराने बाबुओं में दहशत फैल गई है।
- सूत्रों के मुताबिक़, सैकड़ों कर्मचारियों के ट्रांसफर, पद घटाने या सेवा समाप्ति के आदेश तैयार हैं।
- यूनियन इसे “प्राइवेटाइजेशन की तैयारी” बता रही है, तो विभाग इसे “पारदर्शी व्यवस्था की दिशा में कदम” कह रहा है।
🔹 अमौसी ज़ोन: उपभोक्ताओं को राहत, पर अंदर खलबली
- अमौसी ज़ोन को चार हिस्सों में बांटकर “वर्टिकल सिस्टम” लागू किया गया है।
- हर हिस्से की निगरानी चीफ इंजीनियर और नए अधिशासी अभियंताओं को सौंपी गई है।
- लगभग 5.5 लाख उपभोक्ता इस बदलाव से सीधे प्रभावित होंगे।
- अब उपभोक्ताओं को नया कनेक्शन, लोड बढ़ाने, बिल सुधार या ट्रांसफार्मर शिकायत के लिए केवल एक ही नंबर — 1912 — पर कॉल करनी होगी।
- आईटी सिस्टम अपडेट कर हर शिकायत की रीयल टाइम ट्रैकिंग की जाएगी।
🔹 लखनऊ मध्य ज़ोन: नई काया, पुरानी दिक्कतें
- लखनऊ मध्य ज़ोन में “वर्टिकल मॉडल” के तहत मुख्यालय में अब टेक्निकल, कमर्शियल, बिलिंग, कलेक्शन और एनालिटिक्स विंग बनाई गई हैं।
- हर क्षेत्र में AE–JE और टेक्निकल गैंक्स की तैनाती होगी।
- शिकायतें ऑनलाइन दर्ज होंगी, और सब कुछ 24×7 डिजिटल निगरानी में रहेगा।
विभाग का दावा है —
“अब कोई उपभोक्ता सबस्टेशन या JE दफ्तर के चक्कर नहीं काटेगा। शिकायत दर्ज होते ही कार्रवाई दिखेगी।”
पर इसी के साथ, आउटसोर्स और प्रशासनिक स्टाफ में भारी कर्मचारी संकट मंडरा रहा है।
पर यूनियन ने साफ कहा है —
“यह सिस्टम कर्मचारियों के लिए सुधार नहीं, बेरोजगारी का ब्लूप्रिंट है।”
🔹 घाटा 1.18 लाख करोड़ — जवाबदेही किसकी?
वित्त वर्ष 2023-24 में UPPCL और उसके पाँचों डिस्कॉम्स को मिलाकर 1.18 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। कारण बताया गया — बिजली चोरी, वसूली में कमी और लाइन लॉस।
अब सवाल यह है —
- क्या यह घाटा नीचे के जोनों की लापरवाही से हुआ या ऊपर के स्तर पर नीतिगत असफलता से?
- क्या यह “री-स्ट्रक्चरिंग” जवाबदेही तय करेगी या सिर्फ़ जवाबदेही से बचाव का रास्ता बनेगी?
🔹 दरें बढ़ाने की तैयारी — सुधार जनता के पैसों से?
UPPCL ने 2025-26 के लिए बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव नियामक आयोग को भेजा है। यानि घाटा तो कॉर्पोरेशन का, पर बोझ उपभोक्ताओं के सिर! यह वही कॉर्पोरेशन है जिसने अप्रैल 2025 में “फ्यूल सरप्लस चार्ज” घटाकर राहत दी थी, और अब वही दरें बढ़ाने की तैयारी में है।
🔹 क्या सुधार सच में जमीनी होंगे?
UPPCL मीडिया की जांच में यह साफ़ सामने आया है कि—
- हेल्पलाइन 1912 पर शिकायतें दर्ज होती हैं, पर समाधान अधूरा रहता है।
- “सुलझा दी गई” शिकायतें अक्सर रिकॉर्ड में होती हैं, मैदान में नहीं।
- लाइन फॉल्ट और ट्रिपिंग की वजहें वही पुरानी — ओवरलोड, जर्जर वायरिंग और स्टाफ की कमी।
🔹 UPPCL मीडिया का मानना है कि:
त्योहारों पर बिजली कटौती रोकने और नई ज़ोन व्यवस्था लागू करने का निर्णय स्वागत योग्य है। लेकिन सुधार का रास्ता कागज़ से नहीं, मैदान की ईमानदारी से बनता है।
- जब तक हर ट्रांसफार्मर की निगरानी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी,
- जब तक फील्ड अफसर की जिम्मेदारी तय नहीं होगी,
- और जब तक शिकायत पर “कार्रवाई” दिखेगी नहीं —
- तब तक “री-स्ट्रक्चरिंग” बस एक और फाइल का नाम रहेगा।
- “बरेली में जो प्रयोग हुआ, उसका वास्तविक असर क्या रहा?
- क्या अब लखनऊ में भी वही मॉडल जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगा, या यह सिर्फ एक और कागज़ी सुधार साबित होगा?”
⚡ अहम सवाल
क्या यूपीपीसीएल का यह “नया बिजली मॉडल” उपभोक्ताओं के लिए राहत का संदेश बनेगा, या कर्मचारियों पर संकट का नया आदेश?
सुधार का असली इम्तिहान तब होगा, जब उपभोक्ता का फोन उठते ही रोशनी लौटे — न कि सिस्टम पर “Pending Complaint – Under Process” लिखा दिखे।
🟧 UPPCL मीडिया विशेष रिपोर्ट
“त्योहारों पर रोशनी का वादा, सिस्टम में अंधेरा—कागज़ी सुधार या ज़मीनी बदलाव?”
🔹 गोमतीनगर ज़ोन वर्टिकल (एकल व्यवस्था) कार्यालय ज्ञापन








🔹 लखनऊ मध्य ज़ोन वर्टिकल (एकल व्यवस्था) कार्यालय ज्ञापन










🔹जानकीपुरम ज़ोन वर्टिकल (एकल व्यवस्था) कार्यालय ज्ञापन








🔹 अमौसी ज़ोन वर्टिकल (एकल व्यवस्था) कार्यालय ज्ञापन









