लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने आगामी त्योहारों के मौसम में बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने और सेवा गुणवत्ता में सुधार के लिए एक साथ दो बड़े फैसले लिए हैं—पहला, पूरे प्रदेश में त्योहारों पर बिजली कटौती न्यूनतम रखने का आदेश, और दूसरा, गोमतीनगर ज़ोन के पुनर्गठन के तहत लखनऊ शहर में बिजली वितरण व्यवस्था का बड़ा प्रशासनिक बदलाव।
कॉर्पोरेशन ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि दशहरा, दीपावली और अन्य प्रमुख पर्वों के दौरान अनावश्यक बिजली कटौती किसी भी स्थिति में न की जाए। यदि तकनीकी कारणों से कटौती जरूरी हो, तो उसकी अवधि न्यूनतम रखी जाए और उपभोक्ताओं को पहले से सूचित किया जाए।
🔹 गोमतीनगर ज़ोन का नया प्रशासनिक मॉडल
UPPCL ने राजधानी लखनऊ के गोमतीनगर ज़ोन की संरचना पूरी तरह बदलने का निर्णय लिया है। अब गोमतीनगर, इंदिरा नगर, चिनहट समेत कई क्षेत्रों में नई कार्यक्षेत्रीय सीमा और प्रशासनिक जिम्मेदारियाँ तय होंगी।
नए ढांचे के तहत हर ज़ोन में
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सुपरिटेंडिंग इंजीनियर,
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एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, और
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सहायक अभियंता (AE)
को अलग-अलग जिम्मेदारियाँ दी जाएँगी।
साथ ही, प्रत्येक जोन में निम्नलिखित विभागीय इकाइयाँ (Functional Units) बनाई जा रही हैं—
तकनीकी (Technical), वाणिज्यिक (Commercial), मीटरिंग, बिलिंग, कलेक्शन, हेल्पडेस्क, पीआर/एडमिन और डेटा एनालिटिक्स।
इस नई प्रणाली के अंतर्गत सभी अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही तय होगी तथा उपभोक्ता सेवा और राजस्व सुधार की निगरानी डिजिटल माध्यम से की जाएगी।
नए आदेश 1 नवम्बर 2025 से प्रभावी होंगे।

🔹 पुनर्गठन का कारण और पृष्ठभूमि
UPPCL के पांचों डिस्कॉम्स ने वित्त वर्ष 2023-24 में मिलाकर 1.18 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय घाटा झेला है।
कॉर्पोरेशन के अनुसार यह घाटा मुख्य रूप से बढ़ती बिजली चोरी, वसूली में कमी और तकनीकी हानियों (लाइन लॉस) के कारण हुआ।
इन्हीं कारणों से खराब प्रदर्शन वाले क्षेत्रों में पुनर्गठन कर राजस्व सुधार और जवाबदेही बढ़ाने की नीति अपनाई गई है।
यह कदम न केवल घाटा घटाने की दिशा में है बल्कि उपभोक्ताओं को त्वरित सेवा और पारदर्शिता प्रदान करने के उद्देश्य से भी जोड़ा गया है।
🔹 उपभोक्ता सेवा में डिजिटल सुधार
UPPCL ने उपभोक्ता शिकायत निवारण व्यवस्था को और अधिक डिजिटल, सरल और पारदर्शी बनाया है।
अब उपभोक्ता अपनी शिकायतें निम्न माध्यमों से दर्ज करा सकते हैं—
- 1912 हेल्पलाइन नंबर
- UPPCL उपभोक्ता पोर्टल
- मोबाइल ऐप
हर शिकायत पर टिकट नंबर जारी किया जाएगा, जिससे उपभोक्ता रीयल टाइम ट्रैकिंग कर सकेंगे। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि हर शिकायत का निस्तारण समयबद्ध और दर्ज प्रक्रिया के अनुसार किया जाए।
🔹 मरम्मत और रखरखाव कार्य
लखनऊ के गोमतीनगर, चिनहट और इंदिरा नगर क्षेत्रों में पुराने ट्रांसफार्मर और बिजली लाइनों का मेंटेनेंस और रिप्लेसमेंट कार्य दीपावली से पूर्व तेज़ी से किया जा रहा है। कॉर्पोरेशन का कहना है कि इन कार्यों के चलते होने वाली निर्धारित कटौतियों की पूर्व सूचना उपभोक्ताओं को दी जाएगी, ताकि उनकी दिनचर्या प्रभावित न हो।
🔹 राजस्व सुधार और दरों में परिवर्तन
UPPCL ने वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए वर्ष 2025-26 में बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव राज्य विद्युत नियामक आयोग को भेजा है। हालांकि, अप्रैल-मई 2025 में कॉर्पोरेशन ने फ्यूल सरप्लस चार्ज में कमी कर उपभोक्ताओं को लगभग 2% राहत भी दी थी।
कॉर्पोरेशन का दावा है कि नई व्यवस्था से राजस्व कलेक्शन, लाइन लॉस मॉनिटरिंग और बिलिंग दक्षता में सुधार होगा।
🔹 Power Zones के विस्तार की आवश्यकता
UPPCL अधिकारियों के अनुसार, लखनऊ जैसे महानगरों में हर साल लाखों नए उपभोक्ता जुड़ रहे हैं, जिससे मौजूदा जोन पर कार्यभार अत्यधिक बढ़ गया है।
नए Power Zones बनने से
- कार्यक्षेत्र छोटे होंगे,
- जवाबदेही स्पष्ट होगी,
- शिकायतों का समाधान तेज़ी से होगा, और
- बिजली चोरी व लाइन लॉस पर निगरानी आसान होगी।
यह मॉडल भविष्य में अन्य बड़े शहरों में भी लागू किया जा सकता है।
🔹 UPPCL मीडिया का मानना है कि
UPPCL की नई जोन-आधारित री-स्ट्रक्चरिंग से यह स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि कॉर्पोरेशन उपभोक्ता सेवा को प्राथमिकता देना चाहता है।
परंतु सवाल यह भी उठता है कि—
- क्या यह “प्रशासनिक सुधार” वाकई “जमीनी सुधार” में बदल पाएगा?
- क्या भारी-भरकम फेरबदल के बाद भी फील्ड लेवल भ्रष्टाचार और लापरवाही पर लगाम लग पाएगी?
आगामी महीनों में यह व्यवस्था कितनी प्रभावी सिद्ध होती है, इसका परीक्षण उपभोक्ताओं के अनुभवों से ही होगा।
🔹 मुख्य बिंदु संक्षेप में:
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🎯 त्योहारों पर नो अनावश्यक कटौती
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🏢 गोमतीनगर ज़ोन का पुनर्गठन आदेश जारी
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👷♂️ नई कार्यक्षेत्रीय संरचना 1 नवम्बर 2025 से लागू
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📱 1912 हेल्पलाइन और डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम मजबूत
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⚙️ पुराने ट्रांसफार्मर और लाइनों का मेन्टेनेंस अभियान
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💰 राजस्व सुधार हेतु नई बिजली दरों का प्रस्ताव
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📊 जवाबदेही, पारदर्शिता और उपभोक्ता सुविधा पर ज़ोर
🔸 त्योहारों के समय उपभोक्ताओं को कटौती-मुक्त बिजली देने का वादा और गोमतीनगर ज़ोन के नए प्रशासनिक मॉडल की शुरुआत—दोनों मिलकर यूपीपीसीएल के सुधार अभियान की दिशा तय करेंगे। परंतु इन सुधारों की सच्ची कसौटी वही होगी, जब उपभोक्ता को फोन उठाते ही समाधान और शिकायत दर्ज होते ही कार्रवाई देखने को मिले।
⚡ UPPCL मीडिया इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट
UPPCL का नया ज़ोन मॉडल — उपभोक्ता राहत या प्रशासनिक बोझ?
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने एक ओर त्योहारों पर कटौती-मुक्त बिजली देने का बड़ा वादा किया है, वहीं दूसरी ओर गोमतीनगर ज़ोन के पुनर्गठन के नाम पर राजधानी लखनऊ में भारी प्रशासनिक फेरबदल की तैयारी कर ली है। लेकिन सवाल यह है कि — क्या इस फेरबदल से वाकई बिजली उपभोक्ताओं की परेशानियां कम होंगी, या यह सिर्फ़ “सुधार के नाम पर कागजी अभियान” बनकर रह जाएगा?
🔹 त्योहारों पर बिजली कटौती बंद — पर क्या धरातल पर संभव है?
कॉर्पोरेशन ने सभी ज़िलों में आदेश दिया है कि दशहरा, दीपावली और अन्य त्योहारों पर अनावश्यक बिजली कटौती नहीं की जाएगी।
परंतु पिछले वर्षों के अनुभव बताते हैं कि “अनावश्यक” और “तकनीकी कारणों” के बीच का फर्क अक्सर अस्पष्ट रहता है — और यही “अस्पष्टता” जनता की सबसे बड़ी परेशानी बनती है।
प्रश्न यह भी है कि जब ट्रांसफार्मर रिपेयर, लाइन लॉस और पुरानी वायरिंग की समस्या पहले से गंभीर है, तो बिना ठोस आधारभूत सुधार के निर्बाध आपूर्ति कैसे संभव होगी?
🔹 गोमतीनगर ज़ोन का पुनर्गठन — सुधार या नया भ्रमजाल?
UPPCL ने दावा किया है कि गोमतीनगर, इंदिरा नगर और चिनहट क्षेत्रों में नई कार्यक्षेत्रीय सीमा, नए अफसर और अलग-अलग विभागीय सेक्शन बनाए जाएंगे।
कागज़ पर यह व्यवस्था “सुधार” लगती है, मगर सवाल यही है कि —
जब पहले से ही हजारों कर्मचारी स्टाफ की कमी, पुराने उपकरण और बिलिंग अव्यवस्था से जूझ रहे हैं, तो नई प्रशासनिक परतें जोड़ने से क्या कार्यक्षमता बढ़ेगी या और जटिलता पैदा होगी?
🔹 1.18 लाख करोड़ का घाटा — ज़िम्मेदार कौन?
वित्त वर्ष 2023-24 में UPPCL के पांचों डिस्कॉम्स को मिलाकर 1.18 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ।
अब यह कहा जा रहा है कि खराब प्रदर्शन वाले ज़ोनों में राजस्व सुधार और लाइन लॉस नियंत्रण के लिए री-स्ट्रक्चरिंग की जा रही है।
लेकिन सवाल उठता है —
क्या इन घाटों के लिए ज़िम्मेदार निचले स्तर के ज़ोन हैं, या ऊपरी स्तर के नीतिगत निर्णय जिनकी वजह से राजस्व गिरा और बिजली चोरी बढ़ी?
री-स्ट्रक्चरिंग का असली मकसद “सुधार” है या “जवाबदेही से बचाव”?
🔹 डिजिटल हेल्पलाइन और टिकट सिस्टम — सुविधाजनक या दिखावटी?
कॉर्पोरेशन का दावा है कि 1912 हेल्पलाइन और UPPCL पोर्टल के ज़रिए हर शिकायत का टिकट नंबर और रीयल टाइम ट्रैकिंग उपलब्ध है।
परंतु उपभोक्ताओं के अनुभव बताते हैं कि—
कई बार शिकायत “सुलझाई गई” दिखा दी जाती है जबकि समस्या जस की तस रहती है।
ऐसे में सवाल यह है कि “डिजिटल ट्रैकिंग” का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना है या केवल रिपोर्टिंग पूरी करना?
🔹 बढ़ते दरों की तैयारी — सुधार जनता के खर्च पर?
जहाँ एक ओर कॉर्पोरेशन घाटा कम करने की बात कर रहा है, वहीं दूसरी ओर 2025-26 में बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार है।
यानि सुधार का पूरा बोझ फिर उपभोक्ता के सिर पर!
ऐसे में यह समझना आवश्यक है कि क्या UPPCL “री-स्ट्रक्चरिंग” को उपभोक्ता-हित में लागू कर रहा है या “राजस्व वसूली के नए ढांचे” के रूप में?
🔹 Power Zones के विस्तार की असल कहानी
UPPCL कहता है कि बढ़ते उपभोक्ताओं के कारण जोन का पुनर्गठन आवश्यक है।
यह तर्क सही है, लेकिन सवाल यह भी है कि —
क्या “जोन बढ़ाने” से सेवा की गुणवत्ता बढ़ेगी या सिर्फ़ “अधिक पदों की सृजन प्रक्रिया” शुरू होगी?
क्योंकि अब तक की व्यवस्था में अधिकार तो बहुत हैं, जवाबदेही बहुत कम।
जब तक हर अधिकारी और कर्मचारी की स्पष्ट कार्यप्रणाली और प्रदर्शन समीक्षा नहीं होगी, तब तक सुधार सिर्फ़ घोषणाओं में सीमित रहेगा।
🔹 UPPCL मीडिया की नज़र से
त्योहारों पर कटौती-मुक्त बिजली, नई प्रशासनिक संरचना और डिजिटल हेल्पलाइन —
तीनों योजनाएं सुनने में आकर्षक हैं, लेकिन UPPCL की जमीनी छवि अब भी “घोषणाओं के जंगल” से बाहर नहीं निकल पाई है।
UPPCL मीडिया का मानना है कि असली सुधार तब होगा जब—
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फील्ड स्तर पर जवाबदेही तय हो,
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हर क्षेत्र की ट्रांसफार्मर और लाइन हानि की सार्वजनिक रिपोर्ट जारी हो,
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और शिकायत समाधान में समयबद्ध पारदर्शिता दिखाई दे।
वरना, यह “री-स्ट्रक्चरिंग” भी पुराने फाइलों की तरह केवल ‘रिपोर्ट की शेल्फ़’ पर धूल खाती रह जाएगी।
⚠️ अहम सवाल
“क्या UPPCL का नया ज़ोन मॉडल बिजली सेवा में सुधार लाएगा,
या उपभोक्ताओं के नाम पर एक और प्रशासनिक भूलभुलैया खड़ी करेगा?”
🔸 UPPCL मीडिया विशेष निष्कर्ष
सुधार का रास्ता कागज़ से नहीं, जमीनी क्रियान्वयन से बनता है।
अब देखना यह है कि—
त्योहारों पर निर्बाध बिजली देने का वादा ‘नए ज़ोन सिस्टम’ के साथ वाकई हकीकत में बदलता है,
या फिर जनता को फिर कहना पड़ेगा —
“बिजली विभाग ने फिर दिया एक और वादा, जो रोशनी में नहीं, फाइलों में चमकेगा।”








