चेयरमैन ने दोबारा जांच के दिए निर्देश, निगम में मचा हड़कंप
UPPCL Media | गोरखपुर
गोरखपुर जिले के भटहट उपकेंद्र से करीब 40 लाख रुपये मूल्य का पावर ट्रांसफार्मर बेच दिए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार तीन एमवीए क्षमता वाला यह ट्रांसफार्मर दो बार में बेचा गया — पहले इसके तांबे के तार निकाले गए और बाद में पूरी बॉडी बेच दी गई। इस खुलासे के बाद बिजली निगम में हड़कंप मचा हुआ है।
🟩 UPDATE समाचार
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भटहट उपकेंद्र से बेचा गया करोड़ों का सरकारी उपकरण
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बिना लिखा-पढ़ी के पड़ा था ट्रांसफार्मर, उठाया गया फायदा
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दो चरणों में बेचा गया ट्रांसफार्मर — पहले तांबे के तार, फिर बॉडी
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चेयरमैन ने दी जांच के निर्देश, बनी चार सदस्यीय समिति
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जांच रिपोर्ट बनी सवालों के घेरे में — किसी की जिम्मेदारी तय नहीं
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चेयरमैन ने रिपोर्ट लौटाई, चार दिन में दोबारा रिपोर्ट मांगी
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ट्रांसफार्मर ‘गायब’ बताकर बचाव की कोशिश
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पुलिस ने जांच का हवाला देकर रिपोर्ट दर्ज करने से किया इनकार
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निगम में अफसरों के बीच मचा हड़कंप — कई की भूमिका संदिग्ध
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दस वर्षों की तैनाती और जवाबदेही पर भी उठे प्रश्न
ट्रांसफार्मर बिना लिखा-पढ़ी के पड़ा था उपकेंद्र पर
भटहट उपकेंद्र पर वर्ष 2014 में तीन-तीन एमवीए क्षमता के दो ट्रांसफार्मरों को हटाकर पांच-पांच एमवीए क्षमता के नए ट्रांसफार्मर लगाए गए थे। पुराने ट्रांसफार्मर अच्छी स्थिति में होने के बावजूद उपकेंद्र में बिना किसी लिखा-पढ़ी के रख दिए गए। सूत्रों के अनुसार, लंबे समय तक कोई उपयोग या स्थानांतरण न होने से कर्मचारियों ने इसका फायदा उठाया और इसे धीरे-धीरे बेच दिया।
दो बार में बेचा गया ट्रांसफार्मर
जांच में सामने आया कि पहले चरण में ट्रांसफार्मर के अंदर लगे कॉपर वायर को निकालकर गोरखनाथ क्षेत्र में बेचा गया, जबकि 25 अगस्त को उसकी पूरी बॉडी को कबाड़ के रूप में बेच दिया गया। बाजार में इस ट्रांसफार्मर की कीमत 35 से 40 लाख रुपये बताई जा रही है।

जांच रिपोर्ट पर उठे सवाल
मामला उजागर होने पर चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल ने तत्काल जांच के आदेश दिए। मुख्य अभियंता आशुतोष श्रीवास्तव के निर्देश पर चार सदस्यीय जांच समिति गठित की गई, जिसमें अधीक्षण अभियंता डी.के. सिंह की अध्यक्षता में तीन अधिशासी अभियंता — अभिषेक कुमार, अमित कुमार और सुजीत कुमार गुप्ता शामिल थे।
टीम ने जांच कर रिपोर्ट तो दी, लेकिन उसमें किसी की जिम्मेदारी तय नहीं की गई। रिपोर्ट में केवल घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए समिति ने पल्ला झाड़ लिया, जिससे निगम के भीतर प्रशासनिक लापरवाही पर सवाल उठने लगे हैं।
चेयरमैन ने रिपोर्ट लौटाई, दोबारा जांच के आदेश
सूत्रों के अनुसार चेयरमैन ने रिपोर्ट की खामियों को देखते हुए इसे वापस कर दिया है और चार दिनों में संशोधित जांच रिपोर्ट मांगी है।
ट्रांसफार्मर गायब बताकर बचाव का प्रयास
सूत्रों ने बताया कि संबंधित बिजलीकर्मियों ने खुद को बचाने के लिए ट्रांसफार्मर बेचने के बजाय इसे ‘गायब’ दिखाने की चाल चली। इसके लिए एंटी थेफ्ट थाने में तहरीर भी दी गई, लेकिन कमेटी की जांच लंबित होने का हवाला देते हुए पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने से इनकार कर दिया।
निगम में मचा हड़कंप
भटहट उपकेंद्र से ट्रांसफार्मर बेचने की खबर के बाद से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के अफसरों में भय और असमंजस की स्थिति है। इस मामले में पिछले दस वर्षों से तैनात जेई, एसडीओ और अधिशासी अभियंताओं की भूमिका की भी जांच की जा रही है।









