
मित्रों नमस्कार! आप सभी को दिपावली की हार्दिक शुभकामनायें! ऊर्जा निगमों की website uppcl.org पर “निजी नलकूप हेतु नये विद्युत संयोजन के लिये आवेदन करने हेतु एकल खिड़की निकासी प्रणाली“ के नाम से एक पोर्टल बना हुआ है। जिसको देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि अब नलकूप संयोजन लेना बहुत ही आसान है। परन्तु हकीकत में यह सिर्फ एक फरेब के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। ऊर्जा निगम पारदर्शिता के नाम पर, चाहे लाख योजनायें और एप/पोर्टल बना लें, परन्तु उनको संचालित करने के लिये, उनके पास ईमानदारी एवं समर्पण भाव, कहीं दूर-दूर तक भी दिखाई नहीं देता है। विभाग में शुरु से ही नये संयोजन हों या बिल ठीक करने के कार्य, ठेके पर ही सफलता पूर्वक निस्तारित होते रहे हैं। इन्हीं ठेकों की बढ़ती और घटती मांग एवं प्रत्येक कार्य में हिस्सेदारी के अनुसार ही विभागीय नियुक्तियां मलाईदार एवं सूखे के नाम से जानी जाती हैं। इन्हीं हिस्सेदारी के नाम पर ही, उक्त स्थान एवं पद पर बने रहने हेतु लाइसेंस की फीस तय होती है।
ऊर्जा निगमों की कड़वी सच्चाई यह है कि यहां नीचे से ऊपर तक लगभग सभी अधिकारियों एवं कर्मचारियों का मूल उद्देश्य, वेतन के अतिरिक्त, अतिरिक्त धन उपार्जन है। जोकि मासिक वेतन से भी कई गुना ज्यादा तक हो सकता है। जोकि प्रायः कार्मिकों के चेहरे पर एक अहंकार के रुप में झलकता हुआ दिखाई दे जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में निजी नलकूप संयोजन ही सबसे ज्यादा अतिरिक्त धन उत्पादन का माध्यम है। जहां पर यदि किसी आवेदक को यह गलतफहमी हो जाये कि वह बिना ठेका दिये स्वयं संयोजन निर्गत करा सकता है, तो यह उसकी बहुत बड़ी भूल के अतिरिक्त कुछ भी नहीं होती। अन्ततः एड़ियां घिसने के बाद, विभागीय वेतन पर कार्य करने वाले बिचौलियों अर्थात दलालों के सम्पर्क में आना ही पड़ता है। आईये आज एक निजी नलकूप संयोजन पर चर्चा करें, स्वयं मैंने एक गरीब किसान को वि0वि0ख0 तृतीय सासनी, हाथरस के कार्य क्षेत्र में एक निजी नलकूप का संयोजन दिलवाने हेतु, उसके खेत से लेकर अधीक्षण अभियन्ता के कार्यालय तक की दौड़ लगाई। परन्तु आज लगभग 3 माह बाद भी, उसकी लाइन तक नहीं बन पायी है। जबकि इस दरमियान आवेदक के सबमर्सिबल पम्प की केबिल तक चोर काट ले गये हैं। आवेदक का दि0 01.08.2024 को पूर्ण जमा योजना के अन्तर्गत नये निजी नलकूप संयोजन हेतु 10 HP भार के लिये, आवेदन सं0 PTW2429008 पर प्रथम पंजीकरण हुआ। काफी चक्कर काटने के बाद HT Line के आधार पर एक 25KVA के परिवर्तक के साथ प्राक्लन स्वीकृत कर, विभागीय च्वतजंस पर धन जमा कराने हेतु दि0 19.09.2024 को टी0सी0 Upload की गई। जब अवर अभियन्ता से लेकर अधीक्षण अभियन्ता तक को यह अवगत् कराया गया कि आवेदक के खेत के पास, दो अलग-अलग परिवर्तकों से LT Line द्वारा संयोजन दिया जा सकता है, तो नये प्राक्लन हेतु क्षेत्र के अवर अभियन्ता द्वारा पुराने आवेदन के प्रपत्रों के आधार पर, बिना पुराना पंजीकरण निरस्त कराये, एक ही नाम पर, एक नया आवेदन सं0 PTW2451753 पर दि0 23.09.2024 को पंजीकृत करा दिया गया। जिस पर बिना मौका मुआयना किये 170 मीटर लाइन का प्राक्लन बनाया गया। परन्तु जहां अन्तिम खम्भा Borewell से 20-30 मीटर पहले लगाया जाना था, Borewell पर ही लगाया जाना प्रस्तावित कर दिया गया। वास्तविक रुप से प्राक्लन 140 मीटर दूरी का बनाते हुये मीटर स्थापना के साथ प्रस्तावित किया जाना चाहिये था।
स्पष्ट है कि जानबूझकर लगभग 30 मीटर दूरी का अतिरिक्त प्राक्लन बनाया गया है। उक्त प्राक्लन के आधार पर धन जमा करने के बाद, चक्कर पर चक्कर काटने एवं बार-बार एक ही कागजों की छाया प्रति कराकर देने के बाद दि0 10.10.2024 को लाइन आर्डर, पिछली तारीख दि0 01.10.2024 में डिस्पैच कर के दिये गये। तदुपरान्त अवर अभियन्ता द्वारा दि0 10.10.2024 को Purchase Requisition बनाकर, आवेदक को इस निर्देश के साथ दिया गया कि स्टोर की प्रति भी आवेदक अपने साथ लेकर जाये। भण्डार केन्द्र पर उपस्थित ASK द्वारा सामग्री देने के लिये आपत्ति पर आपत्ति की गई, कि कभी प्राक्लन नहीं है, तो कभी प्राक्लन स्वीकृत नहीं है, तो कभी सहायक अभियन्ता नहीं हैं, आदि। अन्ततः दि0 19.10.2024 को आवेदक को 11 प्रकार की सामग्री के विरुद्ध मात्र 6 सामग्री दी गई। जिसमें लाईन बनाने के लिये अनिवार्य LT Shackle Insulator एवं उनके LT Clamp आदि तक नहीं दिये गये। ASK एवं अवर अभियन्ता द्वारा स्पष्ट कर दिया गया कि अब शेष सामग्री, बाहर से क्रय करके लाइन निर्माण कराने की जिम्मेदारी आवेदक की है। जोकि बहुत ही हास्यास्पद है कि पूर्ण जमा योजना के अन्तर्गत संयोजन लेने हेतु पूर्ण धन जमा कराने के बाद भी, पूर्ण सामग्री देने का उत्तरदायित्व विभाग का नहीं है। वहीं इस नलकूप के संयोजन का ठेका न मिल पाने के कारण खिन्न कर्मचारियों के द्वारा जिस परिवर्तक से नया संयोजन प्रस्तावित है, उस उपभोक्ता को भड़का दिया गया है कि यदि उसके परिवर्तक से नया संयोजन जुड़ेगा तो उसका परिवर्तक क्षतिग्रस्त हो जायेगा।
उपरोक्तानुसार यह स्पष्ट हो जाता है कि निजी नलकूप के संयोजन देने हेतु बनाया गया पोर्टल सिर्फ एक भ्रम के अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। क्योंकि जब तक कि विभागीय अधिकारी नहीं चाहेंगे, आवेदक को संयोजन मिल ही नहीं सकता। जहां तक की पूर्ण जमा योजना की बात है तो शायद ही कभी आवेदक को पूर्ण सामग्री दी गई हो। यक्ष प्रश्न उठता है कि जो सामग्री आवेदक को दी ही नहीं जाती, उसका धन अथवा सामग्री कहां जाती है। क्योंकि आवेदक को न तो धन वापस दिया जाता है और न ही उसके बिल में समायोजित किया जाता है। इसके साथ ही एक अन्य बहुत ही गम्भीर बिन्दु है। जिसमें निजी नलकूप संयोजन के आवेदक को अपनी लाइन बनाने के लिये स्वतन्त्र किया गया है। जिसके कारण विद्युत नियमवाली-1956 के अन्तर्गत दिये गये विद्युत सुरक्षा के नियमों का खुलेआम उल्लंघन होता है। जिसके कारण आये दिन ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत दुर्घटनायें होती रहती हैं और विद्युत उपकरण क्षतिग्रस्त होते रहते हैं। अतः यह कहना कदापि गलत न होगा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश विद्युत दुर्घटनाओं के लिये, अधूरी विद्युत सामग्री के साथ निजी नलकूप की लाइन एवं उपकेन्द्र का निर्माण करने की जिम्मेदारी आवेदकों को दिया जाना है। जिसके लिए ऊर्जा निगम पूर्णतः उत्तरदायी हैं। आवेदन सं0 PTW2429008 एवं PTW2451753, नये संयोजन हेतु बनाये गये पोर्टल के महत्वहीन होने का एक छोटा सा उदाहरण है। विदित हो कि यदि आवेदक द्वारा संयोजन का ठेका, विभागीय कार्मिकों को दिया होता, तो उसकी लाईन भण्डार केन्द्र से बिना सामान प्राप्त किये ही, बिना किसी ROW के, घर बैठे ही उर्जीकृत हो जाती। बेबाक का स्पष्ट रुप से यह मानना है कि जनहित एवं जन सुविधा के नाम पर बनाये गये अधिकांश पोर्टल सिर्फ और सिर्फ दिखावा के अतिरिक्त कुछ भी नहीं हैं। यही कारण है कि जहां विभाग को एक कदम आगे बढ़ता हुआ दिखाया जाता है, तो वहीं वास्तविकता में विभाग कई कदम पीछे चला जाता है। अब यह देखना रोचक होगा कि उपरोक्त संयोजन कितने और धक्के खाने एवं टिप्स देने के बाद, कब निर्गत होगा।
राष्ट्रहित में समर्पित! जय हिन्द!
-बी0के0 शर्मा महासचिव PPEWA.