
लखनऊ। विभाग के इंजीनियर्स का कमाल! बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए लगभग छह हजार उपभोक्ताओं का हक मारते हुए भ्रष्टाचारियों के गठजोड़ ने बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया। यही नहीं लगभग छह हजार उपभोक्ताओं का हक मारकर मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को मुंशी पुलिया खंड के अमराई बिजली घर से फर्जी तरीके से बिना ट्रांसफार्मर प्रपोज़ किए हुए 3500 किलोवाट कनेक्शन के लिए टीएफआर रिपोर्ट दे दी गई थी, और आनन फानन में पैसा जमा करा लिया गया था।
मामला सुर्खियों में आने के उपरांत एक बार फिर टीएफआर रिपोर्ट लगाने की तिथि में ही दूसरा टीएफआर रिपोर्ट ट्रांसफार्मर के साथ लगाया गया गया था…. जिसके कारण ट्रांसफार्मर का पैसा आज की तिथि तक जमा नहीं हो पाया…. जाने अनजाने भ्रष्टाचारियों ने इतिहास रच दिया …इतिहास में पहला मौका होगा कि एक संयोजन के लिए एक नहीं दो-दो बार टीएफआर रिपोर्ट लगाई गई हो…
भ्रष्टाचारियों ने बिल्डर को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर रख दिया। यही नहीं, लगभग छह हजार उपभोक्ताओं का हक मारकर चिनहट खंड के अभियंताओं ने मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को मुंशी पुलिया खंड के 92 प्रतिशत ओवरलोड चल रहे अमराई बिजली घर से 3500 किलोवाट कनेक्शन के लिए टेक्निकल फिजीबिलटी (टीएफआर) रिपोर्ट दे दी। क्योंकि रिपोर्ट के आधार पर 75 किलोवाट से ऊपर का लोड आवंटन मुख्य अभियन्ता को करना होता है, ऐसे में ट्रांस गोमती के मुख्य अभियंता अनिल तिवारी ने रिपोर्ट के आधार पर 3500 किलोवाट का लोड जारी कर दिया। इसका विरोध एवं खुलासा मुंशी पुलिया खंड के एक्जक्यूटिव इंजीनियर रितेश आनंद की चिट्ठी से हुआ है।
इंजीनियर रितेश आनंद ने अपने सर्किल नौ के अधीक्षण अभियंता को 10 नवम्बर 2022 को को पत्र लिखकर पूरी प्रकिया पर आपत्ति भी जताते हुए सवाल खड़े किए थे? अधिशासी अभियंता रितेश ने पूछा था कि किस आधार पर चिनहट खंड के तत्कालीन अधिशासी अभियंता अखिलेश ने बिना पूछे उनके खंड के बिजली घर से इतना भारी भरकम कनेक्शन लोड निर्धारण कर दिया, जबकि जरहरा और अमराई गांव फीडर पहले ही पूरी क्षमता से चल रहा है…. लेकिन भ्रष्टाचारियों द्वारा उपयुक्त सवाल का जवाब देने के बजाय गलत आरोप में उनका स्थानांतरण कर दिया… तब से लेकर आज तक इस प्रकरण में लगभग चार इंजीनियर की कुर्बानी हो चुकी है… इन सभी इंजीनियर पर उनके वरिष्ठ अधिकारी अनैतिक रूप से मानसिक उत्पीड़न करते हुए अवैध तरीके से उपरोक्त संयोजन जोड़ने का दबाव देते रहे… बिना फाइल, बिना किसी दस्तावेज व वह बगैर किसी अनुमति पत्र के इस संयोजन को जोड़ने से साफ इनकार करने के कारण किसी न किसी आरोप में मुंशी पुलिया डिविजन के पद की कुर्सी गवानी पड़ी…
वर्ष 2022 में आठ सौ एंपीयर लोड की डिमांड रह चुकी थी, जब कि वर्ष 2023 में नव सौ एंपीयर लोड के आस पास डिमांड रही… वर्ष 2024 में विकास क्षेत्र होने के कारण यह डिमांड दस से बीस प्रतिशत बढ़ी मानी जाती है। ऐसे में बिजली कटौती करने के लिए विवश होना पड़ेगा और एक बड़ी आबादी को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। बिजली घर में दस-दस एमवीए के दो पावर ट्रांसफार्मर लगे हैं और उनका इस्तेमाल कुल क्षमता का 90 प्रतिशत तक ही किया जा सकता है।
एक प्रश्न की जवाब में ट्रांसगोमती के पूर्व मुख्य अभियंता अनिल तिवारी ने बताया था कि बिजली विभाग बटा नहीं है। ऐसे में कहीं से कोई कनेक्शन दिया जा सकता है। फिलहाल अमराई बिजली घर से कनेक्शन सोच समझकर दिया गया है। वर्तमान में अमराई बिजली घर ओवर लोडेड नहीं है, उसमें गुंजाइश थी, इसलिए वहां से दिया गया है। इसके जवाब में तब मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निदेशक वाणिज्य योगेश कुमार का कहना था कि हर अधिशासी अभियंता का क्षेत्र बंटा हुआ है। कोई किसी के क्षेत्र में हस्तक्षेप कैसे कर सकता है? अगर दूसरे अधिशासी अभियंता ने टीएफआर लगा दी, तो यह गलत है, उस मामले को दिखवाया जाएगा और मामले की जांच की जाएगी।
जांचकर्ता की रिपोर्ट की माने तो मध्यांचल को दिए गए एक एफिडेविट के अनुसार उपरोक्त मामले की जांच रिपोर्ट मुख्य अभियंता के दबाव में दिया गया हैरानी की बात यह है इस बात का खुलासा स्वयं जांचकर्ता ने अपने वरिष्ठ अधिकारी को प्रार्थना पत्र देकर किया… पांच हजार उपभोक्ताओं का हक मारकर मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को मुंशी पुलिया खंड के अमराई बिजली घर से 3500 किलोवाट कनेक्शन के लिए टीएफआर रिपोर्ट दे दी।
हैरानी की बात यह है कि हर अधिशासी अभियंता का क्षेत्र बंटा हुआ है। कोई किसी के क्षेत्र में हस्तक्षेप कैसे कर सकता है? लेकिन अगर यह बात पूर्व मुख्य अभियंता ने कही है तो हम सोच रहे हैं कनेक्शन का आवेदन गोमती नगर से कर देते हैं और कनेक्शन हम इंदिरा नगर से ले लेते हैं …. यदि ऐसा हो जाए तो वास्तव में राम राज्य आ जाए. अगर दूसरे अधिशासी अभियंता ने टीएफआर लगा दी तो यह गलत है… मध्यांचल ने इसकी जांच भी कराई थी लेकिन अपने आला अधिकारी को फसते देखकर पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया था… लेकिन नए अधिशासी अभियंता ने जैसे ही अपनी कुर्सी संभाली उनके वरिष्ठ अधिकारीयो की उम्मीद एक बार फिर जग गई, यही कारण है कि उपभोक्ताओं की होने वाली समस्याओं को दर किनार करते हुए एक बार फिर कनेक्शन जोड़ने की दबाव देते हुए मौखिक या लिखित आदेश जारी कर दिया… यह बात अलग है कि समाचार लिखे जाने तक आदेश की कॉपी सार्वजनिक नहीं हुई थी।
कनेक्शन हेतु बना एस्टीमेट में भी घपला
भ्रष्टाचारियों ने मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को संयोजन संबंधी एस्टीमेट में नमक का हक अदा करते हुए एक ट्रांसफार्मर बचा ही दिया। यदि हम आवंटित लोड की गणना करें तो यहां पर 10 की बजाय 11 ट्रांसफार्मर का एस्टीमेट देना चाहिए था।
कार्य गुणवत्ता जांच/ विद्युत सुरक्षा निदेशालय का रिपोर्ट भी फर्जी
विद्युत सुरक्षा निदेशालय द्वारा जारी रिपोर्ट बनाते समय मानक का ध्यान रखा ही नहीं किया। ट्रांसफार्मर के लिए लगाए गए पोल ना तो नियमानुसार पेंट किया हुआ था ना ही ग्रांटिंग किया हुआ और सबसे अहम ना तो अर्थिंग किया हुआ था… ऐसी हालत में विद्युत सुरक्षा निदेशालय द्वारा जारी प्रमाण पत्र पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है।
इसके अतिरिक्त कार्य उपरांत गुणवत्ता जांच हेतु दो सदस्य कमेटी का गठन भी किया गया था उपरोक्त कमेटी में इंजीनियर डी पी सिंह, अधिशासी अभियंता -बीकेटी एवं इंजीनियर पंकज विहाणी,अधिशासी अभियंता- विद्युत नगरीय परीक्षण खंड – 10 शामिल थे।
इस मामले में नहीं उपरोक्त इंजीनियरों का नजर उपरोक्त विषय पर पड़ा… न हीं विद्युत सुरक्षा निदेशालय का…. घर बैठे रिपोर्ट बनाने में माहिर विभाग ने यहां भी खेल खेल डाला….
कैसे संभव है उपरोक्त कनेक्शन
मुंशी पुलिया डिवीजन अंतर्गत अमराई पावर हाउस में 10-10 एमवीए के दो ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं। दिनांक 1 नवंबर 2021 को जब मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को संयोजन हेतु लोड आवंटन अमराई गांव पावर हाउस से करने के पूर्व दोनों ट्रांसफार्मर मिलकर 20 एमवीए ट्रांसफार्मर पर 17.5 एमवीए का लोड चल रहा था, जो अपने आप में ओवरलोड माना जाता है…तो ऐसी दशा में यदि उपरोक्त पावर हाउस से 3500 किलोवाट का लोड आवंटन स्वीकृत किया जाता, तो उपरोक्त पावर हाउस पर कुल लोड 21एमवीए का हो जाता है…. इसके उपरांत भी तत्कालीन मुख्य अभियंता अनिल तिवारी ने अमराई गांव पावर हाउस से 3500 किलोवाट का लोड आवंटन कर दिया। इस आवंटन के बाद मामला सुर्खियों में आने पर समयानुसार विवाद की स्थिति उत्पन्न होते गया नतीजा आज की डेट पर भी यह कनेक्शन नहीं हो पाया… मामला सिर्फ लोड आवंटन तक ही सीमित रह गया।
आज हालात यह हैं कि लोड आवंटन तिथि 1 नवंबर 2021 से आज तक उपरोक्त पावर हाउस से लगभग छोटे-बड़े मिलाकर 525 उपभोक्ताओं ने संयोजन ले लिया, जिसके कारण 1.5 एमवीए का लोड उपरोक्त ट्रांसफार्मर पर और आ गया… जिसके अनुसार आज की लोड गणना की जाए तो 3500 किलोवाट का लोड आवंटन को मिलाकर 20 एमवीए (10-10 एमवीए) का ट्रांसफार्मर पर 22.5 एमवीए का लोड की स्थिति हो जाएगी, जो कि अपने आप में शर्मिंदा करने वाला होगा।
लोड आवंटन की वैधता समाप्त
मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को संयोजन हेतु अमराई गांव पावर हाउस से 3500 किलोवाट का लोड आवंटन दिनांक 1 नवंबर 2021 को किया गया था… उपरोक्त लोड आवंटन की वैधता, जैसा की लोड आवंटन संबंधित कार्यालय ज्ञाप के बिंदु संख्या 18 में दिए गए निर्देशों के अनुसार “निर्धारित अवधि में विद्युत भार का उपयोग न कर पाने के कारण 2 वर्ष की अवधि उपरांत स्वतः निरस्त हो जाता है… ऐसी दशा में दिनांक 31 अक्टूबर 2023 को जारी लोड आवंटन का निश्चित मियाद अवधि उपरांत खत्म हो गया। यह बात अलग है कि उपरोक्त भ्रष्टाचारियों द्वारा फर्जी दस्तावेज तैयार करके उपरोक्त लोड अवधि को छह माह के लिए बैंक तिथि में दर्शा दे।
उपरोक्त मियाद खत्म होने के पूर्व आवेदक द्वारा छह माह का समय और ले सकता था, लेकिन आवेदक ने ऐसा नहीं किया, इसलिए 2 वर्ष की अवधि उपरांत स्वतः निरस्त हो गया। अब नियमानुसार उपरोक्त आवंटित लोड के आधार पर किसी भी प्रकार का संयोजन देना गंभीर अपराध होगा।
11000 की लाइन पर यह कनेक्शन संभव ही नहीं
उत्तर प्रदेश विद्युत प्रदेश संहिता 2005 के अनुच्छेद 3.2 (बी) के अनुसार 50 किलोवाट से ऊपर और 3600 किलोवाट (4000 केवीए) तक: 11 केवी मौजूदा फीडरों को अतिरिक्त क्षमता उपलब्ध होने पर बढ़ाया जाएगा, अन्यथा 11 केवी फीडर का निर्माण निकटतम 33 केवी या 132 केवी सब-स्टेशन से किया जाएगा (यदि 33 केवी या 132 केवी सब-स्टेशन पर 11 केवी वोल्टेज उपलब्ध है)।
इसके उपरांत भी भ्रष्टाचारियों द्वारा उपरोक्त लोड आवंटन के अनुसार अमराई गांव पावर हाउस से संयोजन जोड़ा जाता है, तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं होगी। चूकि संयोजन के लिए बेकरार आवेदक नटवर लाल गोयल की कम्पनी है, पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष भी गोयल है, इसलिए आशंका व्यक्त की जा रही है कि गोयल भाईयों की जुगल बन्दी उपरोक्त मामले में 4 इंजीनियरों की कुर्बानी के ऊपर भारी न पड़ जाये।
सबसे अहम सवाल….
- आखिर मध्यांचल के भ्रष्टाचारियों द्वारा मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को स्वयं 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्र बनाने का एस्टीमेट क्यों नहीं दिया?
- यह कैसे संभव है आवेदन किसी और डिवीजन से और लोड किसी और डिवीजन से?
- भ्रष्टाचारी क्या यह लिखित गारंटी देंगे कि पहले से ओवरलोड चल रहा फीडर से 3500 किलोवाट का लोड जोड़ने से अन्य लगभग 6000 उपभोक्ताओं को आपूर्ति में कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा?
- ऐसी कौन सी विपत्ति आ गई थी कि इस संयोजन के लिए एक बार टीएफआर रिपोर्ट बिना ट्रांसफार्मर के, दोबारा फिर से पुराने तिथि में (जिस तिथि में पहला टीएफआर रिपोर्ट लगी थी)…ही पुनः टीएफआर रिपोर्ट ट्रांसफार्मर के साथ लगाने की जरूरत क्यों पड़ गई… और यदि ट्रांसफार्मर के साथ टीएफआर रिपोर्ट लगा दी गई, क्यों ?
- और यदि उपरोक्त लोड आवंटन नियमानुसार सही था, तो कनेक्शन देने में लगभग तीन वर्ष का समय क्यों लग गया?
- विद्युत सुरक्षा निदेशालय एवं कार्य उपरांत गुणवत्ता जांच हेतु दो सदस्य कमेटी द्वारा जारी रिपोर्ट बनाते समय मानक का ध्यान क्यों नहीं रखा…. ऐसी हालत में जारी प्रमाण पत्र पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है अथवा नहीं।
- मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को संयोजन हेतु लोड आवंटित दिनांक 1 नवंबर 2021 को किया गया था… उपरोक्त लोड आवंटन की वैधता नियमानुसार सिर्फ दो वर्ष थी.. ऐसे हालात में जब लोड आवंटन अस्तित्व में है ही नहीं तो कन्नेशन कैसे दिया जा सकता?
- नियम विरुद्ध मेसर्स अट्रैक्टिव निर्माण प्राइवेट लिमिटेड को 3500 किलोवाट का संयोजन 90% ओवरलोड चल रहा अमराई गांव पावर हाउस के फीडर से दे देने पर किसका होगा फायदा?