लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने के नाम पर उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) द्वारा बिना विद्युत नियामक आयोग की अनुमति के ₹6016 वसूलने को गंभीर अनियमितता बताते हुए कड़ा रुख अपनाया है। परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में कानूनी प्रस्ताव दाखिल कर कॉरपोरेशन पर तत्काल दंडात्मक कार्रवाई की मांग की है।
परिषद ने साफ कहा है कि यह मामला सिर्फ गलत वसूली का नहीं बल्कि नियामक अधिकारों की खुली अवहेलना है और इसलिए विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 142 के तहत दंडात्मक कार्यवाही अनिवार्य है।
🔥 नोटिस के बाद घबराया कॉरपोरेशन!
17 अक्टूबर को विद्युत नियामक आयोग ने यूपीपीसीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक को नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब माँगा था। कार्यवाही के दबाव में पावर कॉरपोरेशन ने समयसीमा खत्म होने के ठीक एक दिन पहले ही अपना पक्ष आयोग में दाखिल किया।
जवाब में कॉरपोरेशन ने ₹6016 वसूली को “अंतरिम व्यवस्था” बताकर खुद को बचाने का प्रयास किया।
❗ परिषद ने उठाए तीखे सवाल
उपभोक्ता परिषद ने यूपीपीसीएल के दावे को अंतरविरोधी और भ्रामक बताया है। परिषद के अनुसार—
- अगर यह व्यवस्था सिर्फ अंतरिम थी तो 10 सितंबर के आदेश, जिसमें नए कनेक्शन पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर अनिवार्य बताया गया, उसमें अंतरिम का उल्लेख क्यों नहीं किया गया?
- जब मामला फंसने लगा तो “अंतरिम” कह दिया—क्या यह उपभोक्ताओं को गुमराह करने की कोशिश नहीं?
- और अगर वास्तव में अंतरिम है, तो फिर वसूले गए रेट को जस्टिफाई क्यों किया जा रहा है?
⚡ उपभोक्ता परिषद का सीधा आरोप
परिषद ने कहा कि यह पूरा प्रकरण दिखाता है कि पावर कॉरपोरेशन ने बिना मंजूरी उपभोक्ताओं से करोड़ों रुपये वसूल लिए, जबकि किसी भी शुल्क या रेट में बदलाव सिर्फ नियामक आयोग की अनुमति से ही सम्भव है।
📢 अब गेंद आयोग के पाले में
कानूनी प्रस्ताव दाखिल होने के बाद अब निगाहें विद्युत नियामक आयोग पर हैं कि वह धारा 142 के तहत—
- पावर कॉरपोरेशन पर जुर्माना लगाएगा,
- या
- केवल चेतावनी देकर मामला ठंडे बस्ते में डाल देगा?
उपभोक्ताओं की निगाहें इस कार्रवाई पर टिकी हैं, क्योंकि यह फैसला आगे बिजली उपभोक्ता अधिकारों की दिशा तय करेगा।
— यूपीपीसीएल मीडिया








