“अंधेर नगरी चौपट राजा — पावर कॉरपोरेशन में आदेश नहीं, अंधाधुंध फरमान!”
लखनऊ।
राजधानी लखनऊ की बिजली व्यवस्था को लेकर उ0प्र0 पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) में एक बार फिर तूफ़ान मच गया है। बिजली व्यवस्था की समीक्षा के नाम पर यूपी पावर कारपोरेशन अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल ने सोमवार को राजधानी की विद्युत आपूर्ति की समीक्षा बैठक में गोमती नगर क्षेत्र में बढ़ती ट्रिपिंग शिकायतों पर कड़ा रुख अपनाते हुए अधिशाषी अभियंता धीरज यादव और विश्वास खंड के एसडीओ शैलेश सिंह को तत्काल लखनऊ से स्थानांतरित करने के निर्देश दे दिए।
“बिना जांच के तबादले — अध्यक्ष आशीष गोयल का ‘सुनी-सुनाई राज’ उजागर!”
जिस फीडर की ट्रिपिंग का हवाला दिया गया, वह तकनीकी रूप से भीखमपुर उपकेंद्र के अधीन था, न कि गोमती नगर के अभियंताओं के। यानि कि जिनके पास जिम्मेदारी नहीं थी, उन्हें ही बना दिया गया “दोषी”!
❖ अंधेर नगरी, चौपट राजा!
लखनऊ में ट्रिपिंग के नाम पर, ईमानदार अफसरों का ट्रांसफर! असली फॉल्ट कहाँ था, किसी ने देखा नहीं —बस सुनी-सुनाई पर चला आदेश! ⚡
क्या यह ट्रिपिंग रोकने की कार्रवाई है, या फिर ईमानदार अधिकारियों को ट्रिप करने की साज़िश? ⚡
लेकिन इस कार्रवाई ने ही अब बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या ट्रिपिंग का ठीकरा सही सिर पर फोड़ा गया है, या फिर यह “अंधेर नगरी चौपट राजा” की मिसाल बनती जा रही है?
❖ सुनी-सुनाई बातों पर निर्णय?
सूत्रों के मुताबिक अध्यक्ष डॉ. गोयल ने बैठक में जब मुख्य अभियंताओं से ट्रिपिंग की शिकायतों के बारे में पूछा, तो तत्काल कार्रवाई के नाम पर दो अफसरों को हटाने का आदेश दे दिया। लेकिन बिजली महकमे में चर्चा यह है कि डॉ. गोयल “जमीनी हकीकत” देखने के बजाय “सुनी-सुनाई बातों” पर अधिक भरोसा कर रहे हैं।
कर्मचारियों का कहना है—“अगर कोई कह दे कि आपका कान कौवा ले गया, तो अध्यक्ष महोदय कान देखने के बजाय कौवा पकड़ने निकल पड़ते हैं!”
“बिजली व्यवस्था नहीं, अफसरों का मनोबल ट्रिप कर रहा है!”
दरअसल, गोमती नगर क्षेत्र में बढ़ी ट्रिपिंग शिकायतों के बाद अध्यक्ष UPPCL ने अधिशासी अभियंता धीरज यादव और हाल ही में मुरादाबाद से स्थानांतरित होकर आए विश्वास खंड के उपखंड अधिकारी शैलेश सिंह को लखनऊ से बाहर भेजने के निर्देश दे दिए, जिससे अफसरों का मनोबल गिरता है। यह निर्णय उस समय लिया गया, जब न तो किसी तकनीकी जांच की रिपोर्ट सामने आई, न ही फीडर स्तर पर किसी अभियंता की प्रत्यक्ष गलती साबित हुई।
❖ ट्रिपिंग का असली कारण कुछ और …. जमीनी सच्चाई क्या है?
दरअसल, 12 अक्टूबर 2025 को भीखमपुर उपकेंद्र से पोषित 11 केवी एलिको ग्रीन फीडर, जो विपिन खंड पावर हाउस के अंतर्गत आता है, दोपहर 3:30 बजे 33 केवी लाइन में आई तकनीकी खराबी के चलते बाधित हो गया। तकनीकी टीम ने आधे घंटे के भीतर 33 केवी लाइन को सुधार लिया और सभी फीडर चालू कर दिए। लेकिन एलिको ग्रीन फीडर तुरंत संचालित नहीं हो पाया। बाद में कॉलोनी के घरेलू हिस्से को चालू किया गया, लेकिन कमर्शियल सेक्शन जोड़ने पर फीडर फिर ट्रिप करने लगा, जिसका प्रमुख कारण रिले सेटिंग में गड़बड़ी बताया गया। जांच में रिले सेटिंग की तकनीकी त्रुटि संभावित कारण के रूप में सामने आई।
इसके बाद घरेलू क्षेत्र की सप्लाई सामान्य की गई और कमर्शियल लाइन को विश्वास खंड पावर हाउस से जोड़ा गया, जिससे विद्युत आपूर्ति सामान्य रही, जो अब तक सामान्य चल रही है। यानी फीडर की समस्या भीखमपुर उपकेंद्र स्तर की तकनीकी त्रुटि थी, जिसका गोमती नगर के अधिशासी अभियंता या उपखंड अधिकारी से सीधा कोई संबंध नहीं था।
❖ तकनीकी जिम्मेदारी भी भीखमपुर उपकेंद्र की!
बिजली विभाग के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, उक्त फीडर यूनिवर्सिटी डिवीजन के अंतर्गत आता है और इससे जुड़े सभी तकनीकी कार्य—जैसे बीसीबी टेस्टिंग, ओवरहॉलिंग, और रिले सेटिंग—भीखमपुर उपकेंद्र की जिम्मेदारी में हैं। ऐसे में गोमती नगर के अभियंता और एसडीओ पर कार्रवाई तकनीकी रूप से तर्कहीन बताई जा रही है।
❖ ‘वर्टिकल व्यवस्था’ पर भी उठे सवाल
वहीं दूसरी ओर, राजधानी में लागू होने जा रही वर्टिकल व्यवस्था भी अब विवादों में है। अधिकारियों का मानना है कि इस प्रणाली के लागू होते ही उपभोक्ता “रोने पर मजबूर” होंगे, क्योंकि जवाबदेही ऊपर के स्तर तक सीमित हो जाएगी और स्थानीय स्तर पर समाधान की गुंजाइश खत्म हो जाएगी।
सवालों के घेरे में अध्यक्ष का फैसला
ऐसे में अध्यक्ष डॉ. आशीष गोयल का अचानक स्थानांतरण निर्देश यह संदेश देता है कि निगम में अब तकनीकी तथ्यों से ज्यादा “रिपोर्टिंग गेम” का दौर चल रहा है। जमीनी सत्यापन के बजाय अफसरों की बातों पर कार्यवाही करना पावर कारपोरेशन के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
लखनऊ विद्युत आपूर्ति व्यवस्था पर ‘ऊपर से नीचे तक’ सवाल
एक ओर अध्यक्ष राजधानी और प्रदेश भर में ट्रिपिंग-विहीन आपूर्ति का ढिंढोरा पीटते हैं, तो दूसरी तरफ राजधानी में “वर्टिकल सिस्टम” लागू करने की तैयारी में उपभोक्ताओं को मुसीबत का सामना करना पड़ने वाला है। तकनीकी हकीकत से बिलकुल कटे अध्यक्ष का यह कदम उनकी कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर रहा है।
❖ इस पूरे प्रकरण ने यह साफ कर दिया है कि यूपी पावर कारपोरेशन में जवाबदेही की परिभाषा धुंधली होती जा रही है। ट्रिपिंग की तकनीकी सच्चाई से परे जाकर की गई स्थानांतरण कार्रवाई ने विभागीय मनोबल पर भी असर डाला है। कर्मचारी अब तंज कसते नजर आ रहे हैं—
“जब जांच नहीं, पर सजा तय है — तब समझिए, अंधेर नगरी चौपट राजा!”
“अंधेर नगरी चौपट राजा” की तरह चल रहे पावर कारपोरेशन के इस राज में न तो तकनीकी सत्यापन का सम्मान है, न ही जमीनी जिम्मेदारी का निर्धारण। यदि यही व्यवस्था रही तो लखनऊ ही नहीं, पूरा प्रदेश ट्रिपिंग-विहीन नहीं बल्कि नीति-विहीन बिजली प्रणाली का शिकार हो जाएगा।
— यूपीपीसीएल मीडिया रिपोर्ट, लखनऊ







