
अहम सवाल यह है कि जब स्थानीय अधिकारियों को दंडात्मक अधिकार ही नहीं दिए गए, तो फिर उन पर जिम्मेदारी थोपने का औचित्य क्या है?
लखनऊ। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक वाणिज्य योगेश कुमार द्वारा एएमआईएसपी मीटरिंग की पेंडेंसी खत्म करने को लेकर नया आदेश जारी किया गया है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि समय पर मीटर इंस्टॉलेशन न होने की जिम्मेदारी अवर अभियंता (JE), उपखंड अधिकारी (SDO), अधिशासी अभियंता (XEN) के साथ-साथ टेंडर लेने वाली कंपनियों—इंटेलिजमार्ट प्राइवेट लिमिटेड और पोलरिस स्मार्ट मीटरिंग—की भी तय होगी।
लेकिन इस आदेश से कई सवाल खड़े हो रहे हैं….
सवाल नंबर 1: काम किसका, जिम्मेदारी किसकी?
मीटरिंग का कार्य इंटेलिजमार्ट प्राइवेट लिमिटेड और पोलरिस स्मार्ट मीटरिंग जैसी प्राइवेट कंपनियों को टेंडर के माध्यम से दिया गया है यानि कि मीटर लगाने का ठेका पूरी तरह से प्राइवेट कंपनियों को दिया गया है। उनके कर्मचारी ही साइट पर जाकर मीटर इंस्टॉल करते हैं। ऐसे में यदि कंपनी का कर्मचारी समय से मीटर नहीं लगाता, तो विभागीय JE, SDO और XEN कितने प्रभावी होंगे?
सवाल नंबर 2: दंडात्मक अधिकार किसके पास?
आदेश में JE, SDO, XEN (अधिशासी अभियंता) से लेकर प्राइवेट कंपनी तक सबकी जिम्मेदारी तय की गई है। विद्युत विभाग के स्थानीय अधिकारी (JE से लेकर XEN तक) केवल निगरानी और रिपोर्टिंग कर सकते हैं। सीधे तौर पर प्राइवेट कंपनी पर दंडात्मक कार्रवाई का कोई अधिकार उनके पास नहीं है। अनुबंध की शर्तों के आधार पर पेनाल्टी, ब्लैकलिस्टिंग या वर्क ऑर्डर कैंसिलेशन का अधिकार निगम मुख्यालय स्तर पर ही सुरक्षित है। प्राइवेट कंपनी का कर्मचारी प्रत्यक्ष नियंत्रण में नहीं है। JE/SDO/XEN केवल निगरानी व रिपोर्टिंग कर सकते हैं, परंतु दंड/पेनाल्टी सीधे लगाने का अधिकार उनके पास सामान्यतः नहीं होता।
सवाल नंबर 3: आदेश से क्या होगा बदलाव?
अधिकारी मानते हैं कि उनके पास सिर्फ चिट्ठी लिखकर उच्चाधिकारियों को अवगत कराने का ही विकल्प है। यदि कंपनी का स्टाफ निर्देशों की अनदेखी करता है, तो JE और XEN की सख्ती का कोई असर नहीं पड़ेगा। ऐसे में आदेश कागजी जिम्मेदारी तो तय करता है, लेकिन व्यावहारिक समाधान नहीं देता।
कानूनी-प्रशासनिक दृष्टि से गंभीर सवाल
👉 इस पूरे प्रकरण से बड़ा सवाल यह है कि जब स्थानीय अधिकारियों को दंडात्मक अधिकार ही नहीं दिए गए, तो फिर उन पर जिम्मेदारी थोपने का औचित्य क्या है?
👉 क्या यह आदेश सिर्फ फाइलों में जवाबदेही दिखाने की कवायद है, या वाकई निगम प्राइवेट कंपनियों पर नकेल कसने की तैयारी कर रहा है?
अधिकार संरचना (व्यवहार में)
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अवर अभियंता, उपखंड अधिकारी, अधिशासी अभियंता
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केवल साइट सुपरविजन, निगरानी, कार्य की प्रगति की रिपोर्टिंग और अनुबंध शर्तों के उल्लंघन की सूचना उच्च अधिकारियों तक भेज सकते हैं।
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उनका अधिकार “कॉन्ट्रैक्टर/कंपनी को निर्देश देना” तक सीमित होता है।
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निदेशक वाणिज्य / मुख्य अभियंता / निगम स्तर
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अनुबंध (Agreement) के आधार पर पेनाल्टी, वर्क ऑर्डर कैंसिलेशन, सिक्योरिटी डिपॉजिट जब्त करना, ब्लैकलिस्टिंग जैसे दंडात्मक कदम उठा सकते हैं।
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प्राइवेट कंपनी
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यह केवल Tender Agreement के अनुसार काम करेगी। उसमें स्पष्ट लिखा होता है कि
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कितने समय में कितने मीटर इंस्टॉल करने होंगे।
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देरी होने पर क्या पेनाल्टी कटेगी।
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कार्य संतोषजनक न होने पर क्या कार्रवाई होगी।
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मुख्य प्रश्न और उत्तर
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क्या अधिशासी अभियंता प्राइवेट कंपनी के कर्मचारी पर दंडात्मक कार्रवाई कर सकते हैं?
❌ नहीं। उनके पास ऐसा कानूनी अधिकार नहीं है।
✅ हाँ, वे केवल अनुबंध उल्लंघन की रिपोर्ट बनाकर उच्च प्रबंधन/निदेशक को भेज सकते हैं। -
क्या आदेश से कंपनी कर्मचारी JE/XEN की बात मानने लगेगा?
व्यवहारिक रूप से बहुत कम संभावना है। कंपनी केवल अपने प्रबंधन और Contract Conditions को मानती है। -
वास्तविक दंड कौन देगा?
निगम स्तर के टेंडरिंग अथॉरिटी / निदेशक वाणिज्य / मुख्य अभियंता (मीटरिंग) ही अनुबंध की शर्तों के आधार पर पेनाल्टी लगा सकते हैं।
👉 यह आदेश व्यावहारिक रूप से प्राइवेट कंपनी पर सीधे असरदार नहीं है, बल्कि केवल JE/SDO/XEN को जवाबदेह बनाने की कोशिश है।
👉 असली सवाल यह है कि अनुबंध (Agreement) में Monitoring & Penalty Clause कितना मजबूत है?
👉 यदि निगम ने अनुबंध में स्थानीय अधिकारियों को दंडात्मक अधिकार नहीं दिए हैं, तो उनकी भूमिका सिर्फ रिपोर्टिंग व फॉलोअप तक सीमित रहेगी।