
उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन का झटपट पोर्टल सॉफ्टवेयर को अपडेट के नाम पर पिछले 11 जनवरी से ठप था, जो 27 जनवरी की शाम 6 बजे चालू हुआ। झटपट पोर्टल सॉफ्टवेयर को अपडेट के उपरान्त लगभग लाखों आवेदको के कनेक्शन फंसे (पेंडिंग) हैं, जिसके कारण करोड़ो रूपया डूबने के कागार पर है, इसके अलावा बिजली लोड, मीटर फीडिंग संबंधी कार्य नहीं हो रहे. पीड़ित आवेदक अभियंताओं से शिकायत भी कर रहे हैं, लेकिन सम्बन्धिंत अभियंता चाहकर भी कोई समाधान कर पा रहे है।
बताते चले कि प्रदेश में नए बिजली कनेक्शन के लिए आवेदक को झटपट पोर्टल पर फॉर्म भरना अनिवार्य है. इसमें आए दिन तकनीकी खामियों के कारण आवेदकों को परेशानी होती है. नतीजतन पावर कॉरपोरेशन ने झटपट पोर्टल के सॉफ्टवेयर को अपडेट करने के लिए 11 से 13 तक शटडाउन लिया था. विभाग का दावा था कि इसके बाद उपभोक्ताओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी।
अब स्थिति यह है कि सॉफ्टवेयर अपडेट के बाद भी सर्वर काम नहीं कर रहा है. बिजली उपभोक्ता झटपट पोर्टल पर आवेदन कर रहे हैं, लेकिन संबंधित इंजीनियर के डैशबोर्ड पर वह अपडेट नहीं होता. इसके अलावा पुराने बिजली कनेक्शन का डाटा भी नहीं दिखाई दे रहा है।
हालात यह है कि जो आवेदक झटपट पोर्टल सॉफ्टवेयर अपडेट होने के पूर्व आवेदन कर चुके थे, वह अपनी आवेदन की स्थिति जानने के लिए झटपट पोर्टल पर चेक कर रहे है, तो उनका आवेदन संख्या ही पोर्टल में डालने पर गलत बता रहा है… परेशान आवेदक आवेदन की स्थिति जानने के लिए पावर हाउस का चक्कर लगा रहे है। सबसे ज्यादा परेशानी उन उपभोक्ताओं को है, जिन्होने बिजली कनेक्शन हजारों में अथवा स्टीमेट के लिए लाखों रूपया जमा कर रखा है… उनका कहीं कोई रिकार्ड नहीं मिल रहा है। यदि कोई अवर अभियन्ता किसी भी आवेदक द्वारा जमा रसीद देख कर उसका बिजली कनेक्शन करना भी चाहे, तो उसका रसीद असली है कि नकली… यह कैसे साबित होगा यहीं नहीं उनका अकाउंट आईडी कैसे बनेगा?
यदि हम बात करे सम्पूर्ण प्रदेश कि, तो प्रत्येक डिस्कॉम में लाखो आवेदको की बिजली कनेक्शनों की फाइल झटपट पोर्टल काम न करने के कारण आगे नहीं बढ़ सकी। लगभग सभी पावर हाउस पर लगभग एक हजार के ऊपर कनेक्शन पेडिंग है, जिनके बिजली कनेक्शन झटपट पोर्टल काम न करने से बिजली कनेक्शन नहीं मिल पा रहा है।
हैरानी का विषय यह है कि आज हर वह अधिकारी चुप बैठा हुआ है, जो हर दिन कनेक्शन की तय सीमा निकलन जाने पर सम्बधिंत अवर अभियन्ता/उपखण्ड अधिकारीयों को खरी खोटी सुनाते थे।