बेबाक: गिन्नियों और सिफारिश के आधार पर अक्षम अधिकारियों की नियुक्ति, आम जनजीवन के जान-माल पर भारी

आर0टी0ओ0 आफिस लखीमपुर खीरी के सामने विद्युत तार, पेड़ से सटा होने के कारण पेड़ का तना जल रहा है। कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है, शीर्षक के साथ सोशल मीडिया पर एक वीडिओ अपलोड की गई है। जिसमें स्पष्ट रुप से एक पेड़ का तना जिसकी मोटाई लगभग 2 फीट होगी, जीवित तार के सम्पर्क में आने के कारण सुलग रहा है। जोकि उर्जा निगमों में घोर लापरवाही के कारण होने वाली घातक विद्युत दुर्घटनाओं का एक जीता-जागता साक्ष्य है। आये दिन समाचार पत्रों एवं सोशल मीडिया पर आने वाली खबरों एवं वीडिओ में यह देखा जाता है कि विद्युत तार टूटने के बावजूद विद्युत लाईन ट्रिप नहीं होती है। जिसके ही कारण, सम्पर्क में आने वाला चाहे वाहन हो या इन्सान, मौके पर धू-धू करके जलते हुए, असमय एक हृदय विदारक मौत का शिकार हो जाते हैं।

कारण स्पष्ट है कि विद्युत लाईन से सम्भावित विद्युत दुर्घटना से सुरक्षा हेतु विद्युत उपकेन्द्र पर स्थापित Earth Fault एवं Over Current Relay तक का उचित रुप से कार्य न करना। जिसका कार्य ही कहीं भी लाईन के Earth होने पर, लाईन को ट्रिप करना होता है। Earth Fault Relay की setting, nominal feeder current की 20% पर होती है तथा Tripping हेतु मात्र 5 seconds का time delay होता है। परन्तु उपरोक्त Protection को कार्यशील रखने के लिये, 24 Volt, 150 Ah की बैटरी की आवश्यकता होती है। जोकि प्रायः उचित रख-रखाव के अभाव में अथवा पुरानी हो जाने के कारण, खराब पड़ी रहती हैं। यही कारण है कि जीवित विद्युत तार जमीन पर पड़ा रहता है और लोग विद्युत उपकेन्द्र पर लाईन बन्द करने के लिये फोन करते रहते हैं। समय पर लाईन बन्द न होने के ही कारण, घातक विद्युत दुर्घटनायें घटती हैं। नियमतः यदि विद्युत लाईन पेड़ के किसी हरे पत्ते के भी सम्पर्क में आ जाने पर, लाईन को उर्जीकृत करने के लिये विद्युत उपकेन्द्र पर स्थापित VCB उर्जीकृत ही नहीं होनी चाहिये। परन्तु यहां तो जीवित लाईन, ट्रिप होने के स्थान पर, लगातार पेड़ का तना जलाते हुये अपने आकाओं की सोच एवं कार्यशैली का बखूबी परिचय दे रही है। जोकि इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि सम्बन्धित विधुत उपकेन्द्र पर विद्युत सुरक्षा उपकरण कार्यशील नहीं हैं तथा लगातार पेड़ एवं HT Wire के बीच उत्पन्न हो रही चिन्गारी के कारण उक्त जीवित तार कभी भी टूटकर, किसी बदनसीब के प्राण हर सकता है।

दुखद है कि न तो अभियन्ता अधिकारियों और न ही प्रबन्धन को किसी के जीवन से कुछ भी लेना देना है। जिसका जीता जागता उदाहरण है, वितरण खण्डों में इलेक्ट्रिकल इन्जीनियरों के स्थान पर आई0टी0 इन्जीनियरों को कार्यभार ग्रहण कराना है। शायद उनकी नजर में तकनीकी योग्यता का कोई महत्व ही नहीं है, बस कुर्सी पर कोई न कोई बैठा होना चाहिये। चाहे वो अंगूठा टेक ही क्यों न हो। क्योंकि इलेट्रिकल इन्जीनियर के स्थान पर आई0टी0 इन्जीनियर अंगूठा टेक के ही समान है। शायद प्रबन्धन की नजर में विद्युत दुर्घटनाओं पर नियन्त्रण हेतु आई0टी0 इन्जीनियर होना लाभप्रद है। यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि Basically IT & Electrical Engineering में जमीन आसमान का अन्तर है। ऐसा नहीं है कि विभाग में इलेक्ट्रीकल इन्जीनियरों की कमी है, असंख्य इन्जीनियर मुख्यालयों पर सम्बद्ध हैं, परन्तु नियुक्ति हेतु, मेज के ऊपर या नीचे, निर्धारित योग्यता (जिसका अनुभव एवं तकनीकी योग्यता से कोई लेना देना नहीं है) पूर्ण न कर पाने के कारण ही, बहुत सारे इन्जीनियर, बाबू बने हुये हैं। अधीक्षण एवं मुख्य अभियन्ताओं तक के अतिरिक्त कार्यभार अधीक्षण अभियन्ताओं को दिये हुये हैं। वैसे उपरोक्त के साथ-साथ एक और कटु सत्य है कि अच्छे-खासे इन्जीनियर भी गिन्नियों की चमक एवं खनक के आगे अंधे-बहरे बने हुये हैं। लखीमपुर खीरी में विद्युत तार से जल रहे पेड़ के स्थान पर, किसी वाहन अथवा इन्सान की कल्पना कर लीजिये, बिना बताये ही सबकुछ समझ में आ जायेगा कि इन्सानियत के प्रति विद्युत कार्मिकों की संवेदनशीलता कितनी है। धरातल पर सत्यता यह है कि बस इनकी रंगबाजी चलनी चाहिये, जिसके एवज में चाहे किसी का परिवार उजड़ जाये, इन्हें कोई चिन्ता नहीं।

बेबाक पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि उर्जा निगमों में कार्यरत् अधिकांश अधिकारी वाह्य कार्यदायी संस्थाओं एवं सामग्री निर्माताओं के मात्र मार्केटिंग एजेन्ट हैं। जिन्हें सुबह से शाम तक सिर्फ प्रतिशत की चिन्ता रहती है। उर्जा निगमों में अब इन्जीनियरिंग के नाम पर सिर्फ संविदाकर्मी बचे हैं। कोई मेला अथवा कांवड़ का समय आयेगा तो विद्युत खम्भों पर प्लास्टिक की पन्नियां एवं बल्लियां बंधवाने के नाम पर, अपना पेट भरने के लिए डकार तक न लेने वाले बाबू बन चुके हैं। बरसात में जगह-जगह परिवर्तक एवं विद्युत पोलों की अर्थिंग न होने के कारण निर्दोष इन्सान एवं गाय-भैंस अकाल मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं।

यक्ष प्रश्न उठता है कि उर्जा निगमों में कथित सुधार एवं सेवा के नाम पर नित्य चलने वाली मैराथन वीडिओं कान्फ्रेन्स में, उर्जा निगमों की कारगुजारियों के कारण, निर्दोष इन्सान की उभरी अन्तिम हृदय विदारक चीख, क्या कभी किसी के कानों तक पहुंच सकेगी। अभी अभी बिजनौर के नजीबाबाद थाना क्षेत्र के कछियाना बस्ती की खबर/वीडिओ है कि “हाई टेंशन विद्युत लाइन का तार टूटकर सड़क पर गिरा, सड़क पर पड़े बिजली के तार में दौड़ता रहा तेज करंट। सड़क पर पड़े तार में लगी आग और चिंगारी उठने से मची अफरा-तफरी।” जो स्वतः बेबाक के कथन को अक्षरशः प्रमाणित करने के लिये पर्याप्त है। राष्ट्रहित में समर्पित! जय हिन्द!

बी0के0 शर्मा, महासचिव PPEWA.

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