
लखनऊ। विद्युत परीक्षणशाला (इंदिरा नगर/मुंशीपुलिया) सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ, लेसा में चल रहा है पुराने संविदा कर्मियों को हटाकर उसके स्थान पर नए संविदा कर्मी को रखकर 40000 से लेकर 100000 तक रुपया लेने का खेल प्रकाश में आया है। सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है कि इस पूरे खेल आउटसोर्सिंग एजेंसी एस.एम.एम., लखनऊ एवं विद्युत परीक्षणशाला (इंदिरा नगर/मुंशी पुलिया) सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ लेसा के मिली भगत से चल रहा है।
हैरानी का विषय यह है कि विभागीय नियमों को दरकिनार करते हुए अधीक्षण अभियंता के अधिकारों का प्रयोग करते हुए सहायक अभियंता, मीटर (मुंशीपुलिया/इंदिरा नगर) इंजीनियर ए. के. त्रिपाठी द्वारा अपने स्तर से सीधे आउटसोर्सिंग एजेंसी एस.एम.एम., लखनऊ को पत्राचार कर पुराने संविदा कर्मियों को हटाकर नए संविदा कर्मी को रखने का कार्य बखूबी रूप से अंजाम दिया जाता हैं।
अभी हाल में ही सहायक अभियंता, मीटर (मुंशीपुलिया/इंदिरा नगर) इंजीनियर ए. के. त्रिपाठी ने अपने कार्यालय में कार्य तीन अकुशल श्रमिक दिलीप चौरसिया, अमरजीत व बलवंत सिंह को अनुपस्थित दिखाते हुए प्रशिक्षण शाला का कार्य प्रवाहित ना हो होने का हवाला देते हुए दिनांक 13.5.2024 को पत्र संख्या 459 के माध्यम से आउटसोर्सिंग एजेंसी एस.एम.एम., लखनऊ को पत्र लिखा…
जबकि हकीकत यह है इन तीनों बेरोजगार व्यक्तियों से को आउटसोर्सिंग एजेंसी एस.एम.एम., लखनऊ के सुपरवाइजर संदीप पांडे द्वारा रुपया 18000.00 से 20000.00 मात्र के मानदेय ऑपरेटर के पद पर कार्य करने का झांसा देते हुए 60000.00- 60000.00 रुपया की डिमांड करते हुए 40000.00- 40000.00 रुपया नगद बाकी का रुपया मानदेय से काटने की बात करते हुए सभी को पूर्व में कार्यरत अकुशल श्रमिक रंजीत प्रसाद के स्थान पर दिलीप चौरसिया, अनिल कुमार के स्थान पर अमरजीत कुशवाहा व शिव शंकर के स्थान पर बलवंत सिंह को विद्युत परीक्षणशाला (इंदिरा नगर/ मुंशीपुलिया) सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ कार्यालय में रख दिया गया,
जिसमें दिलीप चौरसिया एवं अमरजीत कुशवाहा नामक संविदा कर्मी से चाय पानी लाने व साफ सफाई करने का कार्य करने लगे कभी कभार मीटर लगाने के लिए भी सहयोगी तौर पर फील्ड में भेज दिया जाता था… अपने सपने टूटते देख उपरोक्त संविदा कर्मी दो माह पूर्व ही खुद ही काम छोड़ कर चले गए… जबकि तीसरा संविदा कर्मी बलवंत सिंह के पिता का हार्ट अटैक आने पर लिखित एप्लीकेशन देकर छुट्टी लेकर घर चला गया… अब उसके पिताजी नहीं रहे… यह तीनों संविदा कर्मियों ने किस तरह पैसे की व्यवस्था कर आउटसोर्सिंग कंपनी के सुपरवाइजर संदीप पांडे को पैसा दिए…. यह इनका दिल ही जनता है।
इसी मौके का फायदा उठाते हुए सहायक अभियंता, मीटर (मुंशी पुलिया/इंदिरा नगर) इंजीनियर ए. के. त्रिपाठी ने एक बार फिर अपने कार्यालय में कार्य तीन अकुशल श्रमिक दिलीप चौरसिया, अमरजीत व यहां तक पिताजी के हार्ट अटैक की सूचना देते हुए छुट्टी का आवेदन करने के बाद भी बलवंत सिंह को भी अनुपस्थित दिखाते हुए प्रशिक्षण शाला का कार्य प्रवाहित ना हो होने का हवाला देते हुए दिनांक 13.5.2024 को पत्र संख्या 459 के माध्यम से आउटसोर्सिंग एजेंसी एस.एम.एम., लखनऊ को पत्र लिखा।
संविदा कर्मी बलवंत सिंह उपरोक्त आउटसोर्सिंग एजेंसी एस.एम.एम. के धोखे का शिकार शुरू से रहा है इसके पूर्व के सुपरवाइजर अमन द्वारा 60000 रूपया लेकर मुंशी पुलिया डिवीजन अंतर्गत सेक्टर 14 ओल्ड पावर हाउस पर अवर अभियंता कप्तान सिंह के कार्यालय में ऑपरेटर के पद पर फर्जी नियुक्त पत्र देकर रखा, जहां पर तीन माह से काम करने के बाद भी कोई मानदेय उपलब्ध नहीं कराया गया, जिसके कारण वहां से काम छोड़ दिया।
इसी बीच चर्चा का विषय एक महिला ऑपरेटर भारती को लेकर भी रहा है, जिसे सहायक अभियंता, मीटर (मुंशीपुलिया/इंदिरा नगर) इंजीनियर ए. के. त्रिपाठी ने बिना अपने अधिकारियों की अनुमति लिए नवंबर 2023 से लेकर अप्रैल 2024 तक न सिर्फ अपने कार्यालय में रखा, बल्कि इनका नाम कार्यालय उपस्थिति रजिस्टर में भी दर्ज कराया और तो और अपने डिवीजन कार्यालय/आउटसोर्सिंग कंपनी को उपस्थिति विवरण भी मानदेय के लिए लगातार भेजा….
यह बात अलग है आउटसोर्सिंग कंपनी लगातार भारती नामक महिला संविदा कर्मी अपना कर्मचारी मानने से इनकार करता रहा, इसी कारण का मानदेय भी उपलब्ध नहीं कराया गया। इस प्रकरण “यूपीपीसीएल मीडिया“ में खबरें प्रकाशित होने के उपरांत इंजीनियर उपेंद्र तिवारी, अधिशासी अभियंता विद्युत नगरीय परीक्षण खंड, लेसा, टेस्ट 7 द्वारा इस संदर्भ में सहायक अभियंता इंजीनियर ए. के. त्रिपाठी से स्पष्टीकरण भी मांगा…
इसके पहले भी तत्कालीन अधिशासी अभियंता अभय प्रताप सिंह ने स्पष्टीकरण मांगा था, यह बात अलग है कि आज की तारीख में भी किसी भी स्पष्टीकरण का जवाब सहायक अभियंता इंजीनियर ए. के. त्रिपाठी द्वारा देना उचित नहीं समझा गया। एक के बाद एक यानी कि दूसरी स्पष्टीकरण के उपरांत भारती नामक महिला ऑपरेटर को कार्यालय आने से मना कर दिया गया और उपस्थिति रजिस्टर से नाम हटा दिया गया…. इन दौरान उपरोक्त महिला ऑपरेटर को किसी प्रकार का कोई मानदेय उपलब्ध नहीं कराया गया….
यदि सम्भव है, तो इस संपूर्ण प्रकरण में संबंधित मुख्य अभियंता महोदय का पक्ष जानना चाहूंगां कि क्या कोई भी व्यक्ति जिनको विभाग ने नहीं रखा हो और ना ही आउटसोर्सिंग एजेंसी ने रखा हो, तो क्या ऐसे व्यक्ति किसी भी कार्यालय में काम कर सकते हैं खासतौर पर वहां पर गोपनीय दस्तावेज होते हैं जैसे कि उपभोक्ताओं के मीटर संबंधित विवरण होते हैं. उपभोक्ताओं का नाम, पता व संपर्क नंबर सहित महत्वपूर्ण जानकारी होती है… यहां तक उस व्यक्ति का नाम उपस्थिति रजिस्टर में भी दर्ज कर लिया और उपस्थिति विवरण अपने अधिकारियों को भी भेजा जाए, ताकि उसको मानदेय मिल सके…. मुख्य अभियंता महोदय यह कैसे संभव है कृपया यह बताने का कष्ट करें?
विद्युत परीक्षणशाला एवं आउटसोर्सिंग कंपनी के इस खेल का एक और संविदा कर्मी शिकार रहा जिनका नाम तौकीर आलम, जिससे 120000 रुपए तय कर, जिसमें 55000 नगद बाकी का पैसा मानदेय से कटवाने की बात स्वीकार कर आउटसोर्सिंग एजेंसी एस.एम.एम., लखनऊ के सुपरवाइजर संदीप पांडे को दलाल उमर अली के माध्यम से 55000 रूपया नगद प्राप्त करके दिनांक 12 मार्च 2024 को स्वयं अपने साथ लेकर सेक्टर 25 स्थित विद्युत परीक्षणशाला (इंदिरा नगर/मुंशीपुलिया) सेक्टर 25, इंदिरा नगर, लखनऊ कार्यालय में सहायक अभियंता इंजीनियर ए. के. त्रिपाठी से मुलाकात कराई। तब से लेकर इस खबर प्रकाशन के तीन दिन पूर्व तक नियमित रूप से उपरोक्त संविदा कर्मी से काम लिया गया… लेकिन 2 महीने से अधिक काम करने के बाद भी जब मानदेय नहीं आया, तो संबंधित अधिकारियों और कंपनी में संपर्क करना शुरू कर दिया…
ज्यादा संपर्क करने की सूरत में एक दिन सुपरवाइजर संदीप पांडे उपरोक्त कार्यालय आते हैं और संविदा कर्मी तौकीर आलम से और पैसे की डिमांड करते हैं… जब संविदा कर्मी तौकीर आलम ने बताया कि पैसा तो हमने आपको दे दिया है 55000 रूपया नगद, तो उन्होंने कहा हमें कोई पैसा नहीं मिला है और जब तक पैसा नहीं दोगे मानदेय नहीं मिलेगी… यह करते हुए रजिस्टर में उनके नाम के आगे विशेष टिप्पणी कर देते हैं, तब से उपरोक्त कार्यालय इनको ना ही उपस्थिति रजिस्टर पर हस्ताक्षर करने देता है और ना ही कोई काम करने देता है….अब तो कार्यालय में घुसने से भी मना है। हांलाकि इसके पूर्व कई संविदा कर्मियों को कार्यालय में घुसने से मना कर दिया गया था लेकिन उच्च उच्च अधिकारियों के हस्तक्षेप से वापस रखने में मजबूर हो गए।
इस संपूर्ण प्रकरण को यदि बारीकी से देखे तो गलती किसकी है… कहां पर … किसकी कमी है…. यह अपने आप में ही स्पष्ट हो जाएगा। खबर तो इंजीनियर ए. के. त्रिपाठी के कार्यकाल की खबरे इतनी रंगीन है कि यदि प्रकाशित करने बैठे तो पूरा ग्रुप ही भर जाए, वह खबरें उनकी व्यक्तिगत हो जाएगी, इसलिए प्रकाशन करना उचित नहीं समझ रहे हैं।