
वाराणसी। बिजली निगम के अधिकारियों ने आजादी के पहले का बकाया दिखाकर एक मृत व्यक्ति के नाम आरसी काट दी। यही नहीं बकाया वसूली के नाम पर 72 वर्षीय बुजुर्ग से बदसलूकी भी की। पीड़ित उपभोक्ता ने इसकी शिकायत राज्य सूचना आयोग से की थी। अब सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत सूचना नहीं देने और राज्य सूचना आयोग के आदेश की अवहेलना करने पर बिजली विभाग के अभियंताओं पर शनिवार को कार्रवाई की गई है। सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने विद्युत वितरण मंडल सर्किल (द्वितीय) के अधीक्षण अभियंता (एसई)अनिल वर्मा, अधिशासी अभियंता (एक्सईएन) आरके गौतम, मैदागिन उपकेंद्र के तत्कालीन एसडीओ रवि आनंद और चौक उपकेंद्र के एसडीओ सर्वेश यादव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। साथ ही काशी जोन के पुलिस उपायुक्त को सभी अभियंताओं को 20 फरवरी को आयोग के सामने पेश करने का निर्देश दिया है।
अधिनियम लागू होने के बाद प्रदेश में पहली बार है, जब अधिकारियों के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। इस आदेश से पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में हड़कंप मच गया है। सिगरा के सर्किल कार्यालय और कज्जाकपुरा स्थित अधिशासी अभियंता कार्यालय में भी हलचल रही।
क्या था प्रकरण
सप्तसागर निवासी उमाशंकर यादव के पिता स्वर्गीय बसंतु यादव के नाम से नगरीय विद्युत विद्युत वितरण खंड-तृतीय (मछोदरी) के अधिशासी अभियंता आरके गौतम ने एक जनवरी 1911 (आजादी से पहले) की तारीख में 2.24 लाख की आरसी काट दी थी। इस पर उमाशंकर ने एक्सईएन से मिलकर बताया था कि आरसी फर्जी है। वर्ष 1911 में बसंतु का सीके 61/128 में कोई नामांकन नहीं था। न ही इसका कोई साक्ष्य है। बसंतु की मृत्यु दो दिसंबर 1992 को हो गई थी। उनके नाम के कनेक्शन की पीडी तक हो चुकी है। एक्सईएन उपभोक्ता की बात सुनने के लिए तैयार ही नहीं थे। इस बीच अमीन आरसी की रिकवरी करने उमाशंकर के घर पहुंच गया था। बकाया वसूली के नाम पर 72 वर्षीय बुजुर्ग उमाशंकर से बदसूलकी की गई थी। इस पर पीड़ित उपभोक्ता ने इसकी शिकायत राज्य सूचना आयोग से की। आयुक्त ने एक्सईएन को कोर्ट में तलब होने का निर्देश दिया। इसके बाद उन्होंने तत्काल आरसी वापस कर ली।
सुनवाई में यह पूछा गया था
राज्य सूचना आयोग ने अपील पर सुनवाई करते हुए पूछता था कि क्या 1911 में जनपद वाराणसी में उपभोक्ताओं को विद्युत कनेक्शन दिया जा रहा था। 1911 में जनपद वाराणसी में प्रति यूनिट विद्युत मूल्य क्या था और गणना किस आधार पर की जाती थी। वह कौन सी संस्था थी, जो कनेक्शन देते थी। आयोग के इन प्रश्नों का विभाग के अधिकारी संतोष जनक उत्तर नहीं दे सकें। इसके लिए उन्हें कई बार नोटिस भी दी गई थी।
मॉर्टिन बर्न करती थी बिजली आपूर्ति
बनारस में आजादी से पहले सन-1928 में मॉर्टिन बर्न कंपनी बिजली आपूर्ति करती थी। भेलूपुर स्थित बिजली कार्यालय में कंपनी का प्लांट था। वहीं कोयला से बिजली पैदा होती थी। इससे कुछ दूरी पर कंपनी ने अपना कार्यालय खोल रखा था। उस वक्त शहर के कुछ मानिंद लोगों के घर बिजली की सप्लाई होती थी।