
गोरखपुर। जिले के भंडारण और मीटर परीक्षण खंड में प्रीपेड मीटर नहीं होने की वजह से हो रही दिक्कत। प्रीपेड मीटर का शुल्क जमा कर बिजली कनेक्शन लेने वालों से अब पोस्टपेड मीटर परिसर में लगाने की बात बोल रहे। बचे शुल्क को बिजली बिल में समायोजन करने का भरोसा भी दिलवा रहे। हैरानी की बात यह कि यह मामला सिर्फ गोरखपुर तक ही सीमित नहीं, बल्कि सम्पूर्ण पावर कारपोरेशन का है।
गोरखपुर में बिजली निगम की लापरवाही का खामियाजा उपभोक्ताओं उठा रहे हैं। शहरी क्षेत्र के चारों बिजली खंड में 60 से अधिक प्रीपेड कनेक्शन वाले उपभोक्ता अपने परिसर के खराब मीटर को लेकर घूम रहे हैं। खंड या उपखंड दफ्तर पहुंच शिकायत करने पर पहले प्रीपेड खत्म होने की जानकारी दी जाती।
उपभोक्ता जब कटिया लगाने की बात बोलते तो उन्हें पोस्टपेड मीटर लगवाने की सलाह दी जा रही। उपभोक्ता परेशान हैं कि कनेक्शन के समय 7500 हजार रुपये मीटर शुल्क जमा करवा अब 1500 रुपये वाला पोस्टपेड मीटर लगवाने की सलाह दी जा रही। हालांकि, इसके लिए किसी शुल्क की मांग नहीं की जा रही। भरोसा दिलाया जा रहा कि प्रीपेड मीटर वाले अतिरिक्त शुल्क को बिजली बिल में समाहित कर दिया जाएगा।
बिजली निगम उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड मीटर की व्यवस्था लेकर आया था। शहर में करीब सात हजार उपभोक्ताओं के परिसर पर प्रीपेड मीटर लगाए गए हैं। सात सौ से अधिक आवेदन भी लंबित है। लेकिन, वर्तमान में प्रीपेड मीटर नहीं होने से नए मीटर नहीं लग पा रहे हैं। दरअसल, प्रीपेड मीटर के लिए मीटर शुल्क सात हजार रुपये जमा करना होता है। और पोस्टपेड मीटर के लिए 1500 रुपये का शुल्क देना पड़ता। ऐसे में अब मीटर खंड की तरफ से प्रीपेड शुल्क लेकर पोस्टपेड लगवाया जा रहा। उपभोक्ताओं में नाराजगी है।
मजबूरन लाइनमैन या अन्य लोगों के साथ साझेदारी कर बाइपास कर बिजली उपभोग कर रहे हैं। लेकिन, विजिलेंस की जांच में बिजली चोरी में पाबंद हो जाएंगे। बिजली निगम के सूत्रों ने बताया कि इसमें स्थानीय स्तर पर उपभोक्ताओं से सांठगांठ कर अवैध लाइनें खींची जा रही हैं। इससे बिजली निगम को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है।
चेयरमैन भी करेंगे कार्रवाई
पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल ने 29 फरवरी तक का समय अभियंताओं को दिया है। इस दौरान आईडीएफ (इंस्ट्रयूमेंट डिफेक्टिव) कनेक्शनों के मीटर बदले जाने हैं। इनकी वजह से उपभोक्ताओं के बिजली आरडीएफ ( रीडिंग डिफेक्टिव) हो जा रहे। इन्हें अगर 29 फरवरी तक नहीं बदला गया तो मीटर खंड के एक्सईन का निलंबन और अधीक्षण अभियंता को चार्जशीट दी जाएगी। ऐसे में एक्सईन अपने स्तर से मीटरों को बदले जाने की तेजी कर रहे।
अगस्त में भेज दिए गए थे खराब प्रीपेड मीटर
महानगर में 278 खराब प्रीपेड मीटर अगस्त महीने में आए थे। इनमें से कुछ मीटर जब उपभोक्ताओं के परिसर में लगाए गए तब इनके खराब होने की जानकारी मिली। इन मीटर में तिथि वर्ष 2018 आ रही थी। बिल गड़बड़ होने की आशंका से उपभोक्ता परेशान होने लगे। भंडार खंड से मीटर खंड ने कुछ मीटर बदले, जबकि कुछ वैसे ही चल रहे।
उपभोक्ताओं को क्या दिक्कत हो रही
केस एक- गोलघर के व्यापारी हैं हरिशचंद्र जायसवाल। चार किलोवाट बिजली कनेक्शन पर प्रीपेड मीटर लगा था। खराब होने पर उन्होंने मीटर बदलने का आवेदन किया। मीटर खंड ने प्रीपेड मीटर खत्म होने पर पोस्टपेड मीटर लगाने की बात कही। उपभोक्ता ने मना कर दिया।
केस दो- बक्शीपुर खंड में टावर संचालक ने प्रीपेड मीटर का शुल्क जमा कर बिजली कनेक्शन का आवेदन किया। प्रीपेड मीटर नहीं होने पर मीटर परीक्षण खंड की तरफ से उपभोक्ता के परिसर में पोस्टपेड मीटर लगवा दिया गया। मजबूरन उपभोक्ता भी सात हजार रुपये शुल्क जमा कर पोस्टपेड मीटर लगवा चुका है।
मुख्य अभियंता आशु कालिया ने बताया कि प्रीपेड मीटर नहीं होने से उपभोक्ताओं के परिसर में पोस्टपेड मीटर लगाया जा रहा है। जल्दी ही इनकी ये समस्या खत्म हो जाएगी। प्रीपेड और स्मार्ट मीटर भी जल्द लगने शुरू हो जाएंगे। उपभोक्ता बाइपास कर बिजली न जलाएं। जिन उपभोक्ताओं के परिसर में पोस्टपेड लगवाए जाएंगे, उनके बिजली बिल में मीटर के दर को समाहित किया जाएगा। किसी उपभोक्ता का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा।