सुधार, पारदर्शिता और जवाबदेही का दावा करते हुए लागू की गई वर्टिकल व्यवस्था ने केस्को को सिर्फ एक साल में 230 करोड़ रुपये का दे दिया घाटा ….. यूपीपीसीएल मीडिया अपनी लेखनी से सवाल दोहराता है — अध्यक्ष पावर कॉरपोरेशन बताएं, यह 230 करोड़ का झटका किसकी जिम्मेदारी है?
- विशेष रिपोर्ट : संजीव श्रीवास्तव, संपादक- यूपीपीसीएल मीडिया
कानपुर। सुधार और पारदर्शिता की दुहाई देकर लागू की गई वर्टिकल व्यवस्था ने ठीक एक साल में KESCO को 230 करोड़ का ऐसा करंट मारा, जिसकी तपिश पूरे पावर कॉरपोरेशन में महसूस हो रही है। 30 नवंबर 2025 की जारी DPR रिपोर्ट ने वर्टिकल मॉडल की पोल चीरकर रख दी—
DPR रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया कि यह प्रयोग न सिर्फ असफल रहा, बल्कि विभाग की आर्थिक सेहत को डुबोने में भी बड़ा रोल निभा गया। जो मॉडल सुधार की जगह बना विभाग की बदहाली का कारण!
➡ कुल नुकसान: –230.91 करोड़
➡ गिरावट: –12%
यानी साफ—वर्टिकल व्यवस्था ने विभाग की कमर एक ही साल में तोड़ दी। सुधार और पारदर्शिता के नाम पर लाई गई यह व्यवस्था विभाग की रीढ़ तोड़ने वाली साबित हुई है। उपभोक्ता पहले ही बिलिंग गड़बड़ी, फाल्ट, ट्रिपिंग और ओवरलोडिंग से परेशान थे, और अब राजस्व में भारी गिरावट ने स्थिति को और बदतर कर दिया है।
🔥 आधिकारिक आंकड़ों की गवाही — नुकसान ही नुकसान …. सीधा झटका—आंकड़े चीख-चीख कर कह रहे हैं कि व्यवस्था ध्वस्त है
KESCO का कुल लक्ष्य था 2676.12 करोड़। लेकिन वर्टिकल व्यवस्था में प्राप्ति केवल 2060.28 करोड़ ही हो पाई। जबकि पिछले साल डिवीजन व्यवस्था में यह आंकड़ा था 2291.19 करोड़।
➡ कुल नुकसान: –230.91 करोड़
➡ गिरावट: –12%
ऐसा नुकसान… न प्राकृतिक आपदा में हुआ, न किसी आंदोलन में— बल्कि “प्रयोग” के नाम पर हुई प्रशासनिक गलती में हुआ!

⚡ वर्टिकल मॉडल—कागज पर चमका, जमीन पर ढह गया!
- वसूली टीमों की जिम्मेदारी तय नहीं
- फील्ड स्टाफ गायब, काम लटका
- लाइन लॉस और चोरी पर बिल्कुल नियंत्रण नहीं
- मीटरिंग और बिलिंग में लगातार गड़बड़ियां
- उपभोक्ता शिकायतों का निस्तारण ठप
- मॉनिटरिंग पूरी तरह अंधी
- कागज़ों में सुधार… फील्ड में बर्बादी!
परिणाम—राजस्व ढहता गया, उपभोक्ता त्रस्त होते गए।
🚨 उपभोक्ता त्राहि-त्राहि, विभाग बेदम , विभाग पस्त… वर्टिकल मॉडल लागू होने के बाद—
- फाल्ट बढ़े
- ट्रिपिंग हद से ज्यादा
- ओवरलोडिंग सामान्य बात
- बिलिंग विवाद रोज़मर्रा की समस्या
- रिकवरी धड़ाम
- बिलिंग विवाद दोगुने
जनता परेशान है और विभाग जवाब देने की स्थिति में नहीं। वर्टिकल मॉडल में— KESCO की आर्थिक सेहत ICU में है, और विभाग के पास इलाज नहीं, सिर्फ बहाने हैं।
🔥 बड़ा सवाल — इस 230 करोड़ के झटके का जिम्मेदार कौन?
वर्टिकल व्यवस्था को तैयार करने और लागू कराने में जिन अधिकारियों ने अहम भूमिका निभाई, क्या अब उनकी जिम्मेदारी तय होगी? क्या यह मान लिया जाए कि प्रशासनिक अधिकारी जो तय करें, वही अंतिम सत्य है? विभाग की आर्थिक रीढ़ टूट जाए, उपभोक्ता त्रस्त हो जाए, पर सवाल न पूछा जाए?
यूपीपीसीएल मीडिया यह सवाल उठाता है— इस नुकसान का हिसाब कौन देगा? यह 230 करोड़ का नुकसान किसकी जेब से जाएगा?
अधिकारी फैसले लें, गलत साबित हों, और कीमत जनता और विभाग चुकाए— यह कब तक चलेगा?
📉 मध्यांचल में भी गिरावट—अब किसका नंबर?
KESCO के बाद अब मध्यांचल में भी राजस्व गिरावट साफ दिख रही है। आंकड़े आते ही यूपीपीसीएल मीडिया विस्तृत रिपोर्ट जारी करेगा। लेकिन इतना तय— वर्टिकल मॉडल पूरे डिस्कॉम को नीचे खींच रहा है। अभी से साफ है कि वर्टिकल मॉडल का असर पूरे डिस्कॉम पर पड़ रहा है।—
🚫 साफ निष्कर्ष—वर्टिकल व्यवस्था फेल, विभाग ठप
अभी से साफ है कि वर्टिकल मॉडल का असर पूरे डिस्कॉम पर पड़ रहा है। क्या यह व्यवस्था अब खत्म होगी?
एक साल में:
❌ न सुधार
❌ न पारदर्शिता
❌ न जवाबदेही
❌ न रिकवरी
क्या अब पावर कॉरपोरेशन वर्टिकल मॉडल पर पुनर्विचार करेगा? या फिर अगले साल यह घाटा और गहरा होगा? अब समय आ गया है कि पावर कॉरपोरेशन यह तय करे— वर्टिकल व्यवस्था चलेगी या इसे इतिहास के कूड़ेदान में फेंका जायेगा।
🔥 वर्टिकल व्यवस्था फेल, विभाग हिल गया
230 करोड़ के इस नुक़सान ने यह साबित कर दिया है कि वर्टिकल मॉडल बिना समझे, बिना आधार और बिना जिम्मेदारी के लागू किया गया। इसका परिणाम अब पूरे विभाग और सरकार को भुगतना पड़ रहा है।








