
लखनऊ। बिजली उपभोक्ताओं के अधिकार छीनने वाले मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के निदेशक तकनीकी हरीश बंसल आखिरकार बैकफुट पर आ गए। प्रदेश के 19 जिलों में लागू उनके विवादित आदेश ने हड़कंप मचा दिया था। इस आदेश से उन उपभोक्ताओं को सीधे-सीधे नुकसान हो रहा था जिन्हें यूपी विद्युत नियामक आयोग ने 15% सुपरविजन शुल्क पर खुद का बिजली नेटवर्क बनाने की सुविधा दी है।
निदेशक ने अपने आदेश में यह व्यवस्था ही रोक दी थी और कहा था कि सुपरविजन पर कोई भी नेटवर्क का एस्टीमेट न बनाया जाए। इससे ठेकेदारों और बिजली उपकरण निर्माता उद्यमियों में भारी नाराज़गी फैल गई, क्योंकि सबसे बड़ा बाजार ठप होने जा रहा था।
जैसे ही यह मामला मीडिया में आया, शासन से लेकर पावर कार्पोरेशन मुख्यालय तक खलबली मच गई। प्रबंधन ने संज्ञान लिया और निदेशक को आदेश वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा। हरीश बंसल ने 19 सितंबर को नया आदेश जारी कर पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी।
सूत्र बताते हैं कि आदेश के पीछे की मंशा कुछ और थी, जो अब अधूरी रह गई। सवाल यह है कि बिजली उपभोक्ताओं का अधिकार छीनने का दुस्साहस आखिर किसके इशारे पर हुआ?