
“एफआईआर से डराने की कोशिश बेकार, सूचना तो देनी ही होगी” — पत्रकार संजीव श्रीवास्तव
आरटीआई के जवाब से बच रहे अभियंता, धमकियों से नहीं झुकेगा सच
मुख्य अभियंता सुशील गर्ग बने ‘गूंगे-बहरे’! छह माह बाद भी कार्रवाई ठप, अब सूचना अधिकार पर खेला नया खेल… शिकायत मुख्य अभियन्ता गोमती नगर जोन सें, लेकिन जवाब दे रहा है अधिशासी अभियन्ता– मुंशी पुलिया यह आरटीआई का खुला मजाक नहीं तो क्या है!
लखनऊ। यूपीपीसीएल में भ्रष्टाचार और मनमानी का खेल अब खुलेआम मजाक बनकर सामने आ रहा है। अवैध पत्रों के बल पर हुए टेंडर और विजिलेंस टीम की वसूली की शिकायत पर छह माह तक चुप्पी साधे बैठे गोमती नगर जोन के मुख्य अभियंता सुशील गर्ग अब सूचना का अधिकार अधिनियम को भी ‘जेब की बकौती’ समझने लगे हैं।
यूपीपीसीएल मीडिया द्वारा 3 मार्च 2025 को शिकायत पत्र संख्या एपी/2180/2025 रिसीव कराया गया था, लेकिन आधा साल बीत जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई, मजबूरन MVVNL/R/2025/60673 सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा-6 के तहत जवाब मांगा गया।
लेकिन हैरत की बात यह रही कि जवाब मुख्य अभियन्ता गोमती नगर जोन की ओर से देने के बजाय मुंशी पुलिया डिवीजन के अधिशासी अभियंता अभय प्रताप सिंह को थमा दिया गया। उन्होंने 10 सितंबर 2025 को पत्रांक 7260 जारी कर यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि “आपके द्वारा मांगी गई सूचना इस खण्ड से संबंधित नहीं है।“
सवाल यह है कि
👉 शिकायत मुख्य अभियंता-गोमती नगर जोन से, तो जवाब अधिशासी अभियंता-मुंशी पुलिया डिवीजन से क्यों?
👉 अगर सूचना अधिशासी अभियंता-मुंशी पुलिया डिवीजन से ही मांगनी होती, तो पत्र मुख्य अभियंता-गोमती नगर जोन को क्यों संबोधित किया जाता?
इस प्रकार का जबाब पाकर जब प्रथम अपील किया गया, तो अब अपील का पेंच अधीक्षण अभियंता श्रीमती प्रेमलता के पाले में है। बड़ा सवाल यह है कि क्या अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता मिलकर अपने ही मुख्य अभियंता की जांच करेंगे?
अब आप ही बताये आरटीआई का यह खेल खुला मजाक नहीं तो और क्या है?
पत्रकार संजीव श्रीवास्तव ने साफ कह दिया है कि मांगी गई सूचना का जवाब देना ही होगा, चाहे आज हो या कल। उन्होंने चेतावनी दी कि दर्जनों एफआईआर कराने के प्रयास भी उन्हें डराने का काम नहीं करेंगे।
संजीव श्रीवास्तव ने कहा—
“हम पत्रकार हैं, धमकियों और मुकदमों से डरने वाले नहीं। सूचना का अधिकार जनता का अधिकार है, और किसी भी अधिकारी को इससे भागने नहीं देंगे।”
यूपीपीसीएल के अभियंता लगातार शिकायत और आरटीआई से बचने के लिए हथकंडे अपनाए हुए हैं, लेकिन अब यह मामला सुर्खियों में आ चुका है।