
लखनऊ। यूपी पावर कॉर्पोरेशन में निजीकरण से पहले ही कर्मचारियों के भविष्य पर गाज गिरा दी गई है। वर्टिकल सिस्टम लागू करने के नाम पर सिर्फ लेसा में ही 8000 से ज्यादा पद खत्म करने का फैसला कर डाला गया है। इस आदेश ने बिजलीकर्मियों में भारी रोष और उबाल पैदा कर दिया है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का आरोप है कि हजारों पद खत्म कर सरकार बिजली व्यवस्था को पटरी से उतारने और निजीकरण का रास्ता आसान करने में जुटी है। समिति ने साफ चेतावनी दी है कि यदि मुख्यमंत्री तत्काल हस्तक्षेप कर इस आदेश को रद्द नहीं करते तो पूरे प्रदेश में हाहाकार मच जाएगा।
🔥 कहां-कहां कटौती
लेसा में अधीक्षण अभियंता स्तर के 12 पद स्वीकृत, घटाकर कर दिए गए 8।
अधिशासी अभियंता स्तर के 50 पद स्वीकृत, घटाकर कर दिए गए 35।
सहायक अभियंता के 109 पद स्वीकृत, घटाकर 86 कर दिए।
अवर अभियंता के 287 पद स्वीकृत, घटाकर 142 कर दिए।
संविदा कर्मचारियों के हजारों पद एक झटके में समाप्त।
यानी जिस लेसा में बिजली व्यवस्था संभालने के लिए पहले से ही स्टाफ कम है, वहां अब और भी भारी संकट खड़ा कर दिया गया है।
⚡ संविदा कर्मियों पर सबसे बड़ा प्रहार
रोजाना बिजली आपूर्ति के असली बोझ को ढोने वाले संविदा कर्मियों पर यह सबसे बड़ा हमला है। हजारों संविदा पद खत्म करने से सीधा असर उपभोक्ताओं की सेवाओं पर पड़ेगा। समिति ने कहा — “यह कदम बिजली व्यवस्था चरमराने और निजी कंपनियों को मैदान सौंपने की साजिश है।”
💥 प्रदेशभर में फूटा गुस्सा
संयुक्त संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि यह निर्णय पूरी तरह कर्मचारी विरोधी है। हजारों परिवारों की आजीविका पर कुठाराघात कर सरकार ने निजीकरण की भूमिका तैयार कर दी है। कर्मचारियों का आरोप है कि “अगर यह आदेश वापस नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में प्रदेशभर में उग्र आंदोलन होगा।”
👉 कुल मिलाकर बिजली विभाग में “पद समाप्ति” का यह खेल निजीकरण की साजिश के तौर पर देखा जा रहा है। सवाल यह है कि जब पहले से ही उपभोक्ता सेवाएं लचर हैं, तो हजारों पद खत्म कर क्या सरकार उपभोक्ताओं को अंधेरे में धकेलने की तैयारी कर रही है?