
आज भी जारी है अवैध प्रपत्रों के बल पर हुए टेंडर के साथ हो रही विजिलेंस टीम की वसूली…टेण्डर अनुबन्धकर्ता अधीक्षण अभियन्ता है खामोश
लखनऊ। “आखिर हम भी देखना चाहते हैं कि आखिर कब तक फर्जी गाड़ी से चेकिंग/अगुवाई करता रहेगा विजिलेंस टीम के ड्राइवर चंद्रकांत यादव” नामक खबर का प्रतिदिन लगातार 22 दिन फॉलो करने के दौरान “यूपीपीसीएल मीडिया” के हाथ एक ऐसा दस्तावेज प्राप्त के उपरान्त अवैध प्रपत्रों के बल पर हुए टेंडर के साथ विजिलेंस टीम की वसूली का हमने भण्डाफोड़ किया था, तब लेकर आज तक फॉलोअप करने के बाद भी गोमती नगर सर्किल में तैनात अधीक्षण अभियन्ता के कानो में जू नहीं रेग रहा… उनके साथ कंधा से कंधा मिलाकर चलने वाले मुख्य अभियन्ता-गोमती नगर जोन सुशील गर्ग भी इस कदर खामोश है मानो कि कुछ हुआ ही नहीं..
अब तो मध्यांचल डिस्कॉम के अधिकारीगण भी कहने लगे कि जब तक जोन में वह भ्रष्ट्र अधिकारी बैठा हुआ है, चाहे जितना ठोल पीट लो, होने वाला कुछ नहीं है… क्योंकि होगा जब तक वह सही जबाब देगा… कहो तो जबाब ही न दे…. हमें उक्त सभी अधिकारीयों की बात में दम नजर आया, जिसका उदाहरण यह है…. यह पत्र एक वह जिम्मेदार निदेशक का है, जो मध्यांचल डिस्कॉम को चला रहा है… उक्त जिम्मेदार निदेशक का जबाब एक माह उपरान्त भी देना मुख्य अभियन्ता-गोमती नगर जोन सुशील गर्ग ने ऊचित नहीं समझा…
इस सन्दर्भ में वाणिज्य निदेशक -मध्यांचल डिस्कॉम मुख्य अभियन्ता-गोमती नगर जोन सुशील गर्ग को पत्रांक संख्या 1221 मु0अभि0(वा0)म0वि0वि0नि0लि0/पेपर कटिंग दिनांक 06/03/2025 को पत्र लिखकर अवैध प्रपत्रों के बल पर हुए टेंडर के साथ दोषी कर्मचारीयों/फर्म/विजिलेंस की भूमिका की जॉचकर आवश्यक कार्यवाही कराते हुए अपना अभिमत सहित बिन्दुवार जॉच आख्या मांगा गया था… लेकिन एक माह उपरान्त कार्यवाही करना तो दूर की बात है… अपना अभिमत सहित बिन्दुवार जॉच आख्या भेजना ऊचित नहीं समझा… सूत्रों की माने तो इस सन्दर्भ में मुख्य अभियन्ता-गोमती नगर सुशील गर्ग का कहना है कि वाणिज्य निदेशक साहब हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते… वह खुद ही चन्द दिन के मेहमान है…. हैरानी होती है मुख्य अभियन्ता-गोमती नगर जोन सुशील गर्ग की वाणिज्य निदेशक के प्रति इस सोच का… यह भी हों सकता है यह शब्द न हो, सुनी सुनाई बाते हो…लेकिन अभी तक का हालात तो यहां इशारा करता है।
यूपीपीसीएल मीडिया ने अपने प्लेटफॉर्म पर इस फर्जी खेल और इसमें शामिल अधिकारियों/कर्मचारियों का इस प्रकार से खुलासा किया था…. इस खुलासा होने के उपरांत शायद ही कोई अंधा अधिकारी ही होता कि इस संपूर्ण प्रकरण को हजम कर जाए… लेकिन इस सम्पूर्ण प्रकरण में खुलासा होने के उपरांत भी एवं मुख्य अभियंता गोमती नगर जोन सुशील गर्ग एवं प्रबंध निदेशक- मध्यांचल डिस्कॉम व अध्यक्ष पावर कारपोरेशन के ऊपर टिकी हुई है।
गोमती नगर सर्किल में अवैध प्रपत्रों के बल पर हुए टेंडर… फिर भी नहीं रुक रही है विजिलेंस टीम की वसूली… सभी हकीकत की जानकारी होते हुए भी शक्ति भवन से लेकर सर्किल कार्यालय के आला अधिकारी है चुप… हैरानी का विषय यह कि पुलिस अधीक्षक – मध्यांचल विजिलेंस को सम्पूर्ण प्रकरण की है जानकारी फिर भी है खामोश

जी हां आपने सही पढ़ा हम बात कर रहे हैं शॉर्ट टर्म ई-टेंडर विनिर्देश संख्या 72-110डीसी-11/23-24 की…उक्त टेंडर एसपी सतर्कता, एमवीवीएनआई गोखले मार्ग, लखनऊ के लिए आधिकारिक काम के लिए किराए पर ड्राइवर और रखरखाव के लिए था।
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उक्त टेंडर में महत्वपूर्ण दिशा/निर्देश के अनुसार 3 साल से अधिक पुरानी गाड़ी नहीं होनी चाहिए…यदि मध्यांचल डिस्कॉम के अनुसार…. डीजल कमर्शियल गाड़ी जिसकी पंजीकरण तीन साल से पहले नहीं होना चाहिए…लेकिन सर्कल अधिकारियों ने उक्त दिशा निर्देशों को दरकिनार करते हुए अल्पकालिक ई-निविदा चंद्रकांत टूर्स ट्रैवल्स, एफ-3/150, विनय खंड, गोमती नगर, लखनऊ के पक्ष में खोल दिया जाता है।
ज़ब कि अल्पकालिक ई-निविदा के तहत दिनांक 17.05.2024 को दिए गए अपने प्रस्ताव में उपरोक्त दिशा निर्देश का दिया गया था हवाला… यहीं नहीं सर्किल अधिकारियों एवं चंद्रकांत टूर्स ट्रेवल्स के बीच हुए अनुबंध में प्रपत्रों में भी उक्त दिशा निर्देश का किया गया था उल्लेख…उक्त कारनामा चाहे अनजाने में हो या जानबूझकर किया गया हो… दोनों ही दशा में मामला 420 का बनता है।
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आज है खुलासा का 23वॉ दिन- आला अधिकारी खामोश यह साबित करता है कि इस हमाम में सब नंगे है… हम भी देखना चाहते है कि आखिर कब तक फर्जी गाड़ी से चेकिंग/अगुवाई करता रहेगा विजिलेंस टीम के ड्राइवर चंद्रकांत यादव… क्या अब होगा लॉग-बुक से खुलासा?
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दूसरा 420 का मामला… वह तो आप जान हीं रहे है, जो लगातार हम प्रकाशित कर रहे हैं… वह बात अलग है कि भ्रष्टाचार में डूबे संबंधित अधिकारीयों के कान में जू नहीं रेग रही है… इसका कारण भी हो सकता है कि उक्त फर्जी की टीम द्वारा कुछ प्रोत्साहन राशि भी उपलब्ध कराया जाता हो… क्योंकि हमको और कोई कारण नजर नहीं आता है।

यदि हम फर्जी अनुबंध पर दर्शाए गए गाड़ी… जिसका नंबर यूपी 32 एच0एन0 6527 है, की बात करते है… तो क्यों फर्जी तरीके से विजिलेंस डिपार्टमेंट उसे गाड़ी का पेमेंट करती है…जिसका उपयोग वह करते ही नहीं है… और यह जानते हुए कि हम जिस गाड़ी (यूपी 32 एफ0एम0 0609) का प्रयोग करते हैं वह गाड़ी फर्जी है तो उस पर चलते ही क्यों है?… और यह सब जानते हुए उक्त गाड़ी का प्रयोग कर रही है… यह मान लीजिए कि विजिलेंस टीम भी इस धोखाधड़ी में बराबर के हिस्सेदार है।

अब देखने का विषय यह है कि मामला संज्ञान में आने के बाद क्या विभाग उक्त टेंडर रद्द कर दोषी अधिकारियों एवं चंद्रकांत टूर्स ट्रैवल्स के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करता है अथवा नहीं?