
जिला मुरादाबाद में सिविल लाइंस में सीओ ऑफिस के सामने से 10 लाख रुपये का ट्रांसफार्मर चोरी होने के मामले में बिजली विभाग ने लापरवाही के चलते तीन लाइनमैन बर्खास्त कर दिए हैं। अवर अभियन्ता वीरेंद्र कुमार को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। उपखण्ड अधिकारी की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।
मुरादाबाद के सिविल लाइंस में सीओ के दफ्तर के सामने से ट्रांसफार्मर गायब होने के मामले में बिजली विभाग ने अवर अभियन्ता वीरेंद्र कुमार को निलंबित करने के उपरान्त अब पेट्रोलिंग में लापरवाही के आधार पर तीन लाइनमैन बर्खास्त कर दिए हैं, लेकिन अभी तक 10 लाख रुपये की लागत के ट्रांसफार्मर का अब तक पता नहीं चला है।बताते चले कि अवर अभियन्ता वीरेंद्र कुमार इस मामले में निलंबित हो चुके हैं। अब उपखण्ड अधिकारी की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। ट्रांसफार्मर चोरी की घटना 13 जनवरी की है। अवर अभियन्ता वीरेंद्र कुमार ने छह फरवरी को पुलिस को सूचना दी कि आंबेडकर पार्क के पास रखा 400 केवीए का ट्रांसफार्मर कुछ अज्ञात लोगों ने चोरी कर लिया है।
उपखण्ड अधिकारी श्रीकांत वर्मा ने अवर अभियन्ता की रिपोर्ट पर छह फरवरी को अधिशासी अभियन्ता नरेंद्र सिंह को ट्रांसफार्मर चोरी के बारे में एक पत्र लिखा। उन्होंने लिखा कि आंबेडकर पार्क के पास रखा 400 केवीए का ट्रांसफार्मर चोरी होने की रिपोर्ट अवर अभियन्ता ने दी है। रिकार्ड के अनुसार इस मामले में अवर अभियन्ता ने सिविल लाइंस थाने में छह फरवरी को प्राथमिकी भी दर्ज करा दी है, जबकि हकीकत यह है कि 21 फरवरी तक को रिपोर्ट थाने में दर्ज नहीं हुई थी। अब आरोप लग रहे हैं कि उपखण्ड अधिकारी के इस पत्र के आधार पर ही स्टोर से नया ट्रांसफार्मर निकाला जाना था, इसलिए बिना सत्यापन एधिशासी अभियन्ता को पत्र लिखा गया।
इससे साबित होता है कि उपखण्ड अधिकारी ने बगैर अवर अभियन्ता की सूचना का सत्यापन किए 400केवीए के ट्रांसफार्मर चोरी जैसी संगीन घटना की झूठी रिपोर्ट अपने उच्च अधिकारीयों को बढ़ा दी। विभागीय सूत्र इस मामले में उपखण्ड अधिकारी की मिलीभगत की बात कह रहे हैं। क्योंकि उपखण्ड अधिकारी की इसी रिपोर्ट के बेस पर स्टोर से नया ट्रांसफार्मर रिलीज होना था।
जिलाधिकारी अनुज सिंह और एसएसपी सतपाल अंतिल ने ट्रांसफार्मर चोरी की इस घटना को संजीदगी से लिया है। एसएसपी ने क्रेन की मदद से ट्रांसफार्मर उठा ले जाने वाले गैंग और इस खेल में पर्दे के पीछे से शामिल लोगों को ट्रेस करने के लिए पुलिस टीमों का गठन किया है। एसपी सिटी रण विजय सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीमें इस केस पर काम कर रही हैं। एसएसपी ने एसओजी और सर्विलांस सेल को भी इस टास्क पर लगाया है। सर्विलांस सेल मोबाइल नंबरों की मदद से ये ट्रेस करेगी कि ट्रांसफार्मर चोरी करने वाले गैंग के सम्पर्क में बिजली विभाग के कौन-कौन अधिकारी थे। इनकी लोकेशन और कॉल हिस्ट्री से इसे कनेक्ट किया जाएगा।
कहीं इस चोरी के पीछे 2007 का अमरोहा जैसा खेल तो नहीं ?
बताते चले कि 2007 में अमरोहा में इसी प्रकार का ट्रांसफार्मर चोरी का एक बड़ा खेल पकड़ा गया था। ट्रांसफार्मर चोरी के पीछे विभाग के ही अधिकारियों का गिरोह काम कर रहा था। ट्रांसफार्मरों को अमरोहा की कॉटन वेस्ट इंडस्ट्री को बेचने के बाद विभाग के अधिकारी उनकी चोरी की रिपोर्ट लिखा देते थे। रिपोर्ट दर्ज होने के बाद नियमों के मुताबिक विभागीय स्टोर से नया ट्रांसफार्मर संबंधित डिवीजन को मिल जाता है। मामला तब पकड़ा गया था जब अमरोहा में ट्रांसफार्मर, ट्रांसफार्मर के तेल और तार की चोरी की 100 से ज्यादा प्राथमिकी अलग-अलग थानों में कुछ ही महीनों में दर्ज हुईं।
बिजली विभाग के मुख्य अभियन्ता ने मामले की जांच अधीक्षण अभियन्ता वीके गुप्ता को सौंपी है। उन्होंने बताया कि अवर अभियन्ता के निलंबन के बाद तीन लाइनमैनों को बर्खास्त कर दिया गया है।
अवर अभियन्ता का तर्क, क्रेन और छोटा हाथी लेकर आए थे चोर
अधीक्षण अभियन्ता ने जांच पड़ताल में अवर अभियन्ता से पूछा कि कई क्विंटल का ट्रांसफार्मर चोर उठा कर कैसे ले गए। तब अवर अभियन्ता का जवाब था कि चोर क्रेन और छोटा हाथी लेकर आए थे। इतने व्यस्त इलाके में चोरों ने क्रेन और छोटा हाथी लाकर ट्रांसफार्मर पार कर दिया और किसी को भनक नहीं लगी। इस आधार पर अवर अभियन्ता को निलंबित किया गया है।
उनके पुराने रिकॉर्ड की भी जांच की जा रही है। जांच अधिकारी अधीक्षण अभियन्ता वीके गुप्ता और सीओ कुलदीप गुप्ता ने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी और ट्रांसफार्मर की बरामदगी के लिए पुलिस टीम काम कर रही है। जल्द सफलता मिलने की उम्मीद है।