
पावर कारपोरेशन में टेंडर के नाम पर की जा रही धांधली रूकने का नाम नहीं ले रही हैं…अपने खास चहेते ठेकेदारों को पावर कारपोरेशन के नियमोंं को ताकपर रखकर दे दिए लाखों के टेंडर…. मामले की शिकायत होने पर ज्यादा से ज्यादा जांच कमेटी बना कर लीपापोटी कर दी जाती है। यदि कोई सीएम संदर्भित आईजीआरएस करता है, तो जॉच कभी भ्रष्ट अधिकारीयों अथवा दोषी अधिकारीयों द्वारा गुमराह करते हुए वास्तविकता से आँखें मूंद लेते है…
लखनऊ। एक तरफ उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार जीरो टालरेंस नीति के तहत ताबड़तोड़ कार्रवाई कर रही है… वहीं, दूसरी तरफ कई अफसर अपनी तिजोरी भरने के चक्कर में योगी सरकार की छवि करने में जुटे हुए है।
ताजा प्रकरण कानपुर देहात जिले में तैनात अधीक्षण अभियंता विद्युत सतेंद्र पाल का आया है… जिन पर अपने चहेते ठेकेदारों को मनमाने ढंग से टेंडर बाटने और अनिमियमित ढंग कार्य करने के आरोप लग रहे हैं। शासन ने शिकायतों के क्रम में जांच कमेटी गठित की थी जिनमें आरोप सही पाए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि आने वाले समय में एसई सतेंद्र पाल सिंह की मुसीबतें बढ सकती है… लेकिन इस सम्पूर्ण प्रकरण में अध्यक्ष पावर कारपोरेशन व प्रबन्ध निदेशक पावर कारपोरेशन की चुप्पी हैरानी भरी है, जिससे यह प्रतीत हो रही है कि दाल में कुछ तो काला है।
शिकायतकर्ता अमित भदौरिया निवासी सरायमसवानपुर कानपुर ने मुख्यमंत्री के नाम उप्र पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष आशीष गोयल और प्रबन्ध निदेशक पंकज सिंह को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया था कि कानपुर देहात जिले में तैनात एसई सतेंद्र पाल प्रकाशित ई निविदा में पावर कारपोरेशन के आदेशों एवं निर्देशों को दरकिनार कर अपने चहेते ठेकेदारों को निविदाएं आवंटित कर लाखों रूपयों का गोलमाल किया गया है।
साथ ही उत्तर पद्रेश सरकार की महत्वकांक्षी आईजीआरएस पोर्टल को किस तरह से मजाक बनाकर रखा गया है… इसकी बानगी इस मामले को देखने को मिलती है। बताते चले कि शिकायतकर्ता ने 23-11-2024 को मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत की तो शिकायत को आईजीआरएस संदर्भ 15164240202480 बना दिया गया। संयुक्त सचिव मुख्यमंत्री कार्यालय अजय कुमार ओझा ने अध्यक्ष आशीष गोयल और प्रबन्ध निदेशक पंकज सिंह को त्वरित जांच कराकर कार्यवाई के लिए निर्देशित किया…. लेकिन उक्त महानुभाव ने इस मामले में ध्यान नहीं दिया। उक्त प्रकरण निदेशक कार्यालय से फारवर्ड होकर प्रबन्ध निदेशक कार्यालय पहुंचा। इसके बाद यहां से मुख्य अभियंता मंडल कानपुर देहात को ही आख्या के लिए भेज दिया गया। अब जहां भ्रष्टाचार हुआ है वही के लोग जांच क्या करेंगे। इस पर शिकायतकर्ता ने उच्चस्तर पर संपर्क साधकर आपत्ति जताई, तो जांच कमेटी गठित की गई।
शिकायतकर्ता के अनुसार यूपीपीसीएल के 2019 के एक शासनादेश के मुताबिक क्रम संख्या 2 पर निविदा की 80 प्रतिशत का एक अनुबंध माना जाना चाहिए था लेकिन एसई सतेंद्र पाल द्वारा प्रकाशित निविदा संख्या 11 ईडीसीकेडी – 24-25, 12 ईडीसीकेडी – 24-25, 13-ईडीसीकेडी 24-25 और 17-ईडीसीकेडी-24-25 में मनमाने ढंग से दो-दो लाख के कार्यों अनुभव को टुकड़ों में करके ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया।
बकौल शिकायतकर्ता, जिस माह में निविदा स्वीकृति दिखाई गई उसी माह के अनुभव प्रमाण पत्र अधिशाषी अभियंता विद्युत पुखरायां द्वारा बिना जांच के ही जारी किए गए हैं। इसमें बताया जा रहा है कि कई वर्ष पूर्व कार्यों के अनुभव प्रमाणपत्र वर्तमान में जारी कर दिए गए लेकिन उनमे संबंधित कार्यालय का पत्रांक संख्या तक नहीं है, इससे कूटरचित होने की पूरी संभावनाएं हैं। एसई पर आरोप हैं कि अपने चहेते ठेकेदारों के प्रपत्र बिना जांचे ही अधिकतर कार्य आवंटन पत्र जारी कर दिए गए।
निविदा संख्या 17 -ईडीसीकेडी – 24 25 में कार्यदायी संस्था द्वारा जो अनुबंध लगाया गया है वह पूरी तरह से फर्जी है लेकिन एसई द्वारा कोई जांच पडताल कराए ही ओके करके ठेकेदार को फायदा दे दिया गया। एसई ने प्रकाशित निविदा फर्म में टेक्निकल एक्सपीरियंस में क्रमसंख्या 04 पर 2-2 लाख के अनुबंध की मांग की गई जब कि ऐसा यूपीपीसीएल गाइडलाइन में नहीं है।
शिकायतकर्ता ने कहा कि अधीक्षण अभियन्ता द्वारा जो 15 प्रतिशत सुपरविजन के कार्य का अनुमोदन दिया गया है… उनमे बडा घालमेल है, इसकी जांच कराया जाना जरूरी है।
वर्तमान समय में उक्त भ्रष्टाचार प्रकरण पंकज कुमार प्रबंध निदेशक पावर कारपोरेशन कार्यालय में विचाराधीन है।