रीडिंग छुपाने के लिए किया जा रहा है नो डिस्प्ले दर्ज कर मीटर बदलने का कार्य

सोनभद्र। हर माह बिजली का पूरा बिल जमा करने के बाद भी आप निगम के बड़े बकायेदार हो सकते हैं। यह बकाया कुछ हजार या फिर लाखों में भी हो सकता है। पर घबराएं नहीं, कर्मचारियों के पास इससे राहत का भी इंतजाम है। वह आपके बकाये को आधा कर देंगे और फिर नया मीटर लगाकर सब ठीक करा देंगे। दरअसल, बिजली निगम में यह खेल इन दिनों चल रहा है। इसमें कर्मचारी से लेकर अधिकारी तक की संलिप्तता के दावे किए जा रहे हैं।

जिले में निजी कंपनी की ओर से स्मार्ट मीटर लगाने की कवायद चल रही है। इस कार्य में जुड़े कुछ कर्मचारी पहले घर पहुंचते हैं और बताते हैं कि आपका बिल बकाया है। जब उपभोक्ता पूरा बिल जमा होने की बात कहता है तो दलील दी जाती है कि मीटर में रीडिंग अधिक है, जबकि बिल कम का बना है। ऐसे में रीडिंग के अनुसार बिल देना होगा। यह कैसे हुआ, इसका कोई जवाब नहीं है। कई उपभोक्ताओं के बिल और रीडिंग में अंतर दो से तीन गुना तक बताया जाता है। भारी-भरकम बकाया सुनकर उपभोक्ता चकराता है तो खुद कर्मी ही उसका उपाय भी बताते हैं। आधी रकम पर मामला मैनेज कर नया मीटर टांग दिया जा रहा है। फिर उसके आधार पर भुगतान के लिए कहा जा रहा है। कर्मचारियों की न सुनने पर रीडिंग में बदलाव कर बढ़ा हुआ बकाया ही ठोक दिया जा रहा है। हद तो यह है कि शिकायत लेकर जाने पर अधिकारी भी सिर्फ जांच की बात कहते हैं। हर माह रीडर मीटर चेक कर बिल बनाते हैं। फिर रीडिंग कम कैसे हुई और अचानक कैसे बढ़ गया, इस पर किसी के पास कोई जवाब नहीं। अलबत्ता दोष उपभोक्ता को देते हुए ओटीएस में शामिल होने की सलाह दी जाती है। इस पूरी प्रक्रिया से जहां सरकार को राजस्व की क्षति हो रही है तो उपभोक्ताओं को भी मोटी चपत लग रही है। इससे उनमें बिजली निगम के प्रति गुस्सा भी बढ़ रहा है।

1.10 लाख का बिल कर दिया 19911 रुपये
रॉबर्ट्सगंज नगर के मेन रोड पर स्थित एक होटल पर लगे मीटर में अक्तूबर तक की रीडिंग 14966 यूनिट थी। इसकी बकाया धनराशि 1.10 लाख से अधिक थी। जब नवंबर में मीटर बदला गया तो पुरानी रीडिंग को कर्मचारियों ने 4245 कर दिया। इससे बिल 19911 रुपये हो गया।

बिल पर 2400 यूनिट, मीटर में कर दिया 5700
बढ़ौली चौक पर एक उपभोक्ता के यहां मार्च 2023 में नया कनेक्शन हुआ है। हर माह बिल भुगतान होता आ रहा है। चालू माह में 2013 रुपये का बिल आया है। बिल पर अब तक कुल 2400 यूनिट खर्च होने का उल्लेख है। मीटर बदलने पहुंचे कर्मचारियों ने 5700 यूनिट का खर्च बताते हुए 32 हजार का बकाया बता दिया। बाद में उसे 16 हजार में मैनेज करने की दलील दी।

2 डिविजन, 2.5 लाख उपभोक्ता, 135 करोड़ से अधिक बकाया
बिजली निगम के कर्मचारियों की मनमानी का ही असर है कि उपभोक्ताओं पर बकाया की राशि बढ़ती जा रही है। जिले में विद्युत वितरण निगम के रॉबर्ट्सगंज और पिपरी डिविजन हैं। इनके तहत नगरीय और ग्रामीण क्षेत्र के करीब 2.50 लाख उपभोक्ता हैं। उन पर 135 करोड़ रुपये से अधिक का बकाया है। कर्मचारियों की मनमानी और लापरवाही जारी है। रीडिंग छुपाने के लिए कई स्थानों पर नो डिस्प्ले दर्ज कर मीटर बदले जा रहे हैं। पुराने मीटर को निकालते समय रीडिंग में छेड़छाड़ की जा रही है।

86 हजार से अधिक की चपत लगाई
रॉबर्ट्सगंज डिविजन में एक उपभोक्ता के मीटर को बदलने के दौरान भी खेल हुआ। उनके मीटर में रीडिंग 15312 यूनिट मिली, जबकि मीटर बदलने के बाद रीडिंग 9632 यूनिट कागज में डाल कर मीटर को पोस्ट किया गया। इससे बिजली बिल को 168896 से 82792 कर दिया गया।

हम चाहे मीटर को खराब दिखाएं या फेंक दें, हो जाएगा काम
मामले की हकीकत हो जानने के लिए टीम की ओर से स्टिंग भी किया गया। इसमें एक उपभोक्ता के बिल को लेकर बात हुई। खुद को बिजली निगम से जुड़े व्यक्ति ने बताया कि वैसे परेशान हो जाएंगे। कुल बिल का 50 फीसदी पर आपका काम होगा। हम लोग पुराने मीटर को खराब दिखा देते हैं या फिर गायब करते हैं। आपका काम हो जाएगा। अधिकारी खुल कर उपभोक्ताओं से नहीं बोल पाते हैं। इसलिए हमें भेजा है। बिल नहीं मिलेगा, मगर कागज में सब ठीक हो जाएगा।

1912 पर दर्ज कराएं शिकायत
बिजली निगम ने बिल से जुड़ी गड़बड़ियां दर्ज करने के लिए टोल फ्री 1912 नंबर जारी किया है। यहां आने वाली शिकायत को संबंधित डिविजन को फारवर्ड किया जाता है। उपभोक्ता अपनी शिकायत इन नंबरों पर दर्ज करा सकते हैं।

अधीक्षण अभियंता विद्युत वितरण निगम संजीव कुमार वैश्य ने बताया कि भुगतान तो रीडिंग के आधार ही होता है। बिल कैसे कम का बना है, यह जांच के बाद स्पष्ट होगा। फिलहाल ऐसा मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। वैसे लापरवाहियां तो हर विभाग में हैं। जो कर्मचारी लापरवाही या गड़बड़ी करेगा, वह खुद भुगतेगा। शिकायत की जांच कराई जाएगी।

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