
लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन द्वारा ओर से लगातार आपूर्ति संचालित रखने के लिए माह नवम्बर 2023 व फरवरी 2024 में बड़े जोर शोर से विद्युत अनुरक्षण माह मनाया गया, इसके तहत सम्पूर्ण प्रदेश में विद्युत लाइनों का मरम्मत कार्य किया गया, जिसमें ढीले और टूटे तार, इंसुलेट बदलवाने का कार्य और साफ-सफाई से लेकर तमाम कार्य अभियान चलाकर कराया गया, जिससे आने वाले समय में कहीं भी बिजली कटौती नहीं हो पाए और न ही आपूर्ति संचालन में कोई अवरोध हो। इसे गर्मी से पहले की जाने वाली तैयारी के क्रम में भी देखा गया था।
अनुरक्षण माह में मेंटीनेंस के लिये कोई मेटिरियल प्रबंधन द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया और अपनी जान बचाने के लिये इंजीनियरों ने अनुरक्षण का फर्जी रिपोर्ट प्रबंधन को भेजते रहे, लेकिन हिटलर प्रबंधन के सामने मैन व मेटिरियल की आवश्यकता को बताने कि हिम्मत नहीं हुई, जिससे धरातल पर मैन व मेटिरियल के अभाव मे मेंटिनेंस नहीं हुआ बल्कि केवल कागज पर मेटिनेंस होता रहा…. जिसका खामियाजा आज जनता के साथ जूनियर इंजीनियर को भी भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश में चिलचिलाती गर्मी के कारण मौसम में बिजली की डिमांड बढ़ गई है और इससे बिजली आपूर्ति में लगातार सम्पूर्ण प्रदेश में दिक्कतें आ रही हैं। इसकी वजह से अधिकतर स्थानों पर ट्रांसफार्मर ओवरलोड होकर बिजली आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। कहीं कहीं हाईटेंशन लाइन जलने के साथ ही बिजली घर में वैक्यूम सर्किट ब्रेकर (वीसीबी) ब्लास्ट होने के कारण बिजली आपूर्ति बंद हो जा रही है।
हैरानी की बात यह यह है कि विद्युत आपूर्ति में आ रही समस्या का प्रबन्धन द्वारा जिम्मेदार सम्बन्धित जूनियर इंजिनियर को मान लिया जाता। लेकिन कभी भी प्रबंधन अपने जूनियर इंजीनियर से कभी नहीं पुछता कि आखिर क्या कारण है कि विधुत आपूर्ति में समस्या आ रहीं है, बल्कि प्रबंधन अपने नियम कानून व कार्य जूनियर इंजीनियर पर थोपता है और कहता है कि यह नहीं वल्कि यह करो। जब फरवरी मार्च में अनुरक्षण कराना चाहिये था, तब संबिदा कर्मी, अवर अभियन्ता व उपखण्ड अधिकारी से प्रबंधन एस्टेट रिडिंग करा रहा था, जबकि यह कार्य बिलिंग ऐजंसी का है, जो हर माह बिल बनाने के लिये करोडो रूपया बिजली विभाग से लेती है।