
इसको लोकतंत्र का दुर्भाग्य ही कहेंगे कि जहां एक तरफ एक पत्रकार सालों से चल रहे भ्रष्टाचार को खत्म करने की कलम की लड़ाई लड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ एक पत्रकार ही अपने रूतबे से भ्रष्टाचारियों को बचाने का भरपूर प्रयास कर रहा है… आखिर क्यों… क्या है उसके पीछे मकसद… अपनी कलम से सच्चाई लिखने के बजाय अपनी कलम के ही आड़ में भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए अधिकारियों पर दबाव देने के पीछे आखिर उसका क्या मकसद है, यह बताने की जरूरत तो नहीं यह तो कर सर्वविदित है।
जी हां हम बात कर रहे है चिनहट डिविजन में सालों से चल रहे बिलों में हेराफेरी कर करोड़ो की राजस्व की चपत लगाने वाले मास्टरमाइंड पवन मिश्रा और बरकत अली के खिलाफ हाल में ही आवाज प्लस बैनर द्वारा ऊजागर किये गये निजामपुर मल्हौर स्थित मदरसे में हुए बिल घोटाला के विभागीय जांच दो सदस्यीय जांच समिति के सदस्य अधिशासी अभियंता पवन वर्मा एवं अंकिता शुक्ला द्वारा जांच पूरी कर जांच आख्या मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती आशीष अस्थाना के पास भेज दी गई, लेकिन विश्वसूत्रों की माने, तो मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती आशीष अस्थाना के ऊपर एक नामी दैनिक समाचार पत्र के नामी पत्रकार इतना दबाव है कि कार्यवाही के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है, ताकि होने वाली कार्यवाही कागजों में ही सिमट कर रह जाये और उपरोक्त भष्ट्राचारीयों का बचाव हो सके।
जबकि आवाज प्लस यह दावा करता है कि मुख्य अभियंता लेसा ट्रांस गोमती को सौंपी गई दो सदस्यीय जांच समिति की जांच आख्या से पवन मिश्रा का निलंबन लगभग तय है। जांच रिपोर्ट मुख्य अभियंता कार्यालय पहुंचने के बाद से चिनहट डिवीजन से मध्यांचल तक हलचल तेज हो गई है जहां एक तरफ निविदा कर्मचारी बरकत अली का निष्कासन अैर दूसरी तरफ सहायक अधिशासी अभियन्ता पवन मिश्र कार्यवाही से बचने के तुरूप का इक्का के रूप में उपरोक्त पत्रकार के माध्यम से दांव पेच अपना रहे है।
अध्यक्ष पावर कारपोरेशन ने विभाग की हुई किरकिरी के बाद कई संविदा कर्मियों को तत्काल प्रभाव हटाने के निर्देश के बाद बरकत अली के खिलाफ कोई कारवाई नहीं की गई, बल्कि एक प्लान के तहत चिनहट डिवीजन कार्यालय आने के लिए मना कर दिया है, ताकि मामला शान्त होने के बाद फिर उससे कार्य लिया जा सके। जबकि अधिशासी अभियंता खालिद सिद्दीकी का कहना है कि आरोपी निविदाकर्मी बरकत अली को हटा दिया गया है, लेकिन हटाकर निष्कासन किया है अथवा दूसरे स्थान पर कार्य कराया जा रहा है, इसका जबाब मुख्य अभियंता, अधिक्षण अभियन्ता या फिर अधिशासी अभियन्ता तक किसी के पास नहीं, बार बार हटाने सम्बन्धित दस्तावेज सार्वजनिक करने की बात पर एक दूसरे के ऊपर टाल मटोल किया जा सहा है, जिसके कारण उपरोक्त आरोपी निविदाकर्मी बरकत अली आज भी घर बैठे उपभोक्ताओं के साथ ठगी करने में मशगूल हैं।
चिनहट डिविजन में आरोपी संविदा कर्मी बरकत अली के खुलकर काम न कर पाने एवं कुछ निविदाकर्मीयों को हटाने के वाद चिनहट डिविजन की हालात यह है कि सैकड़ों की संख्या में कई महत्वपूर्ण फाइलों का अम्बार लग गया है, जबकि नियमित बाबूओं की संख्या में कोई कमी नहीं…. उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि उपरोक्त डिविजन में संविदा कर्मियोंका कितना महत्व था।