उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग की वित्तीय सेहत लगातार बिगड़ती जा रही है। हालत यह है कि 1.45 करोड़ उपभोक्ताओं पर कुल 55,980 करोड़ रुपये का बकाया चढ़ चुका है। इनमें भी 24,775 करोड़ रुपये का सरचार्ज है, जिसे अब सरकार पूरी तरह माफ करने जा रही है। लेकिन असली झटका तो यह है कि लाखों उपभोक्ता ऐसे हैं जिन्होंने कनेक्शन लेने के बाद एक बार भी बिल जमा करना जरूरी नहीं समझा।

⚡ आज से राहत योजना — बकायों पर बड़ी ‘सर्जरी’
राज्य सरकार 1 से 31 दिसंबर तक चलने वाली बिजली बिल राहत योजना 2025 में उन उपभोक्ताओं की जेब ढीली करवाने का प्रयास कर रही है, जिन्होंने वर्षों से बिल नहीं भरा। योजना के मुताबिक—
- सरचार्ज 100% माफ
- मूलधन पर 25% छूट
- केवल एलएमवी-1 (घरेलू – 2 KW तक) और एलएमवी-2 (वाणिज्यिक – 1 KW तक) के उपभोक्ता लाभ पाएंगे।
📌 चौंकाने वाला खुलासा — 54.12 लाख उपभोक्ताओं ने कभी बिल ही नहीं भरा
ये आंकड़े विभाग की व्यवस्था पर ही नहीं, उपभोक्ताओं की जिम्मेदारी पर भी सवाल खड़े करते हैं—
- 54.12 लाख उपभोक्ता = बिल + सरचार्ज = 32,843 करोड़ रुपये बकाया
- इन पर अकेले 24,775 करोड़ रुपये का सरचार्ज है, जिसे अब पूरी तरह हटाकर वसूली आसान करने की तैयारी है।
🏠 घरेलू उपभोक्ताओं के बकाए ने बिगाड़ी व्यवस्था
वाणिज्यिक उपभोक्ता कम हैं, लेकिन बकाया बोझ सबसे ज्यादा घरेलू श्रेणी पर है।
✔ कभी बिल न जमा करने वाले घरेलू (1 KW तक – एलएमवी-1)
- 49.44 लाख उपभोक्ता
- बिल बकाया: 12,801 करोड़
- सरचार्ज: 12,518 करोड़
✔ 2 KW भार वाले घरेलू उपभोक्ता
- 4.28 लाख
- बिल बकाया: 3,005 करोड़
- सरचार्ज: 3,902 करोड़
✔ वाणिज्यिक (1 KW – एलएमवी-2)
- 39,742 उपभोक्ता
- बिल बकाया: 299 करोड़
- सरचार्ज: 318 करोड़
स्पष्ट है — घरेलू उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी बोझ का सबसे बड़ा कारण है।
⚠️ राहत योजना की मजबूरी— नहीं तो ढह जाता वित्तीय ढांचा
बिजली विभाग की रिपोर्ट बताती है कि 91 लाख से अधिक उपभोक्ता ऐसे हैं जो वर्षों से भुगतान नहीं कर रहे।
इन पर—
- बिल बकाया: 15,000 करोड़ रुपये
- सरचार्ज: 8,037 करोड़ रुपये
इस भारी-भरकम बकाए को वसूलने के लिए सरचार्ज माफी ही इकलौता विकल्प बचा, क्योंकि ब्याज इतना बढ़ चुका है कि उपभोक्ता पूरा भुगतान करने में सक्षम ही नहीं।
🔥 तीखा सवाल — कब सुधरेगा भुगतान अनुशासन?
लगातार राहतें देकर सरकार वसूली तो आसान कर रही है, लेकिन सवाल यह भी है— क्या ऐसे उपाय जिम्मेदार उपभोक्ताओं के साथ अन्याय नहीं? जो लोग वर्षों से भुगतान कर रहे हैं, उनकी तुलना में गैर-भुगतान करने वाले बार-बार छूट पा रहे हैं। बिजली विभाग की आर्थिक रीढ़ तभी मजबूत होगी जब—
- बिलिंग व्यवस्था पारदर्शी हो,
- मीटरिंग के झोल खत्म हों,
- और उपभोक्ता समय पर भुगतान को आदत बनाएं।








