बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देने के नाम पर उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने भले ही सभी डिस्कॉम क्षेत्रों में जन-जागरूकता अभियान शुरू कर दिया हो, लेकिन जमीनी हकीकत और बकायेदारों की बढ़ती संख्या विभाग की नीतियों और पिछले वर्षों की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर रही है।
🔶 विभाग ने निकाली रैली — जनता को दी योजना की जानकारी
बाजारों और गलियों में विभागीय टीम ने रैली निकालकर पोस्टर-बैनर लगाए, पंपलेट बांटे और उपभोक्ताओं को बताया कि बकाया बिलों पर पूरे सरचार्ज की माफी और मूलधन पर 25% तक छूट दी जाएगी। अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2025 तय की गई है।
लेकिन सवाल ये—
👉 क्या विभाग समय पर बिलिंग, मीटरिंग और गलत रीडिंग जैसी मूल समस्याओं को ठीक करेगा?
👉 क्या उपभोक्ताओं को बार-बार राहत योजना में धकेलना जिम्मेदार रवैया माना जा सकता है?
🔶 अधिकारी बोले—“योजना लाभकारी”
अधिकारियों ने दावा किया कि योजना उपभोक्ताओं को बड़ी वित्तीय राहत देगी। परंतु यह भी सच है कि हजारों उपभोक्ता बढ़ते बकायों का कारण विभागीय लापरवाही — जैसे
• गलत बिलिंग
• दोषपूर्ण मीटर
• कनेक्शन से जुड़े समाधान में देरी
• फर्जी सरचार्ज
— को बताते हैं।
🔶 रैली में भीड़, लेकिन भरोसे का संकट कायम
रैली के दौरान टीम ने लोगों को प्रक्रिया समझाई, मगर उपभोक्ताओं की चिंता साफ दिखी—
“हर साल नई योजना, लेकिन पुरानी समस्याएं जस की तस…”
🔶 क्या लक्ष्य वाकई निर्बाध बिजली आपूर्ति है?
विभाग कहता है कि उद्देश्य उपभोक्ताओं पर आर्थिक बोझ घटाना और बिजली आपूर्ति निर्बाध रखना है। जबकि कई जिलों में
• लगातार ट्रिपिंग
• जर्जर लाइनें
• महीनों से लंबित मरम्मत
— उपभोक्ताओं के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं।
🔶 जनता बोली—“जानकारी अच्छी, व्यवस्था खराब”
स्थानीय लोगों ने माना कि ऐसी रैलियां जानकारी देने में उपयोगी हैं, लेकिन कहा—
“अगर विभाग अपनी कार्यप्रणाली दुरुस्त करे तो राहत योजना की जरूरत ही न पड़े।”
⚡ जागरूकता अभियान अच्छा, पर व्यवस्था सुधरे तभी असर दिखेगा
यूपीपीसीएल की राहत योजना उपभोक्ताओं के लिए मददगार है, लेकिन बकाया बढ़ने की जड़ में जो विभागीय कमियां हैं, उन पर कार्रवाई के बिना यह अभियान सिर्फ एक छवि सुधारने का प्रयास ही नजर आता है।










