
⚡ यूपीपीसीएल में सिस्टम की लापरवाही का यह ‘करंट’ अब मौतों का सिलसिला बनता जा रहा है।
- अहम सवाल : कौन ज़िम्मेदार है रामदुलारे की मौत का? क्या यूपीपीसीएल अपने ही संविदा कर्मियों की लाशों पर सिस्टम चला रहा है? ⚡ यूपीपीसीएल में मौत अब “नियमित खबर” बन चुकी है। सुरक्षा मानक सिर्फ फाइलों में हैं – मैदान में तो सिर्फ मौत का शटडाउन है।
लखनऊ/आजमगढ़। अभी अमौसी जोन में संविदाकर्मी के साथ हुए हादसे को 72 घंटे भी नहीं बीते थे कि एक और मौत ने यूपी पावर कॉर्पोरेशन की लापरवाही का चेहरा उजागर कर दिया।
आजमगढ़। मुबारकपुर क्षेत्र के देवरियां गांव में मंगलवार देर शाम यूपी पावर कॉर्पोरेशन की घोर लापरवाही ने एक और संविदा लाइनमैन की जान ले ली। 48 वर्षीय रामदुलारे गुप्ता शटडाउन लेकर पोल पर फ्यूज जोड़ रहे थे, तभी अचानक बिजली चालू कर दी गई। तेज करंट से झुलसते हुए वह पोल पर ही झूलते रहे और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।
गांव के लोग गुस्से में हैं और बिजली विभाग के अधिकारियों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। परिजनों का कहना है कि रामदुलारे गांव में खराब लाइन दुरुस्त करने गए थे और सब स्टेशन से शटडाउन भी लिया था, लेकिन फिर भी बिजली चालू कर दी गई।
🚨 यूपीपीसीएल = मौत का करंट, लापरवाही का सिस्टम। यह कोई इकलौती घटना नहीं – 10 दिन में ये पांचवा हादसा है। अमौसी ज़ोन में हुई मौत की गूंज अभी थमी भी नहीं थी कि अब देवरियां गांव में एक और परिवार तबाह हो गया।
👉 सवाल ये है कि –
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जब शटडाउन लिया गया था तो करंट कैसे दौड़ा?
- क्या यूपीपीसीएल सिर्फ संविदा मजदूरों की ज़िंदगी से खिलवाड़ कर रहा है?
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क्यों बार-बार संविदाकर्मी ही मौत का शिकार बन रहे हैं?
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क्या यूपीपीसीएल अफसरों के लिए संविदाकर्मी सिर्फ ‘खपत होने वाली चीज़’ हैं?
- रोज़ मौत के मुंह में धकेले जा रहे हैं संविदा कर्मी, आखिर कब तक लाइनमैन विभागीय अफसरों की लापरवाही का शिकार बनते रहेंगे?
यह हादसा कोई पहला नहीं है। यूपी पावर कॉर्पोरेशन में सिर्फ 10 दिन के भीतर यह पांचवा हादसा है। विभाग द्वारा 55 वर्ष से अधिक आयु वाले संविदा कर्मियों की छंटनी के बाद भी लगातार हादसे हो रहे हैं। संविदा कर्मी रोज़ मौत के साए में काम करने को मजबूर हैं, जबकि सुरक्षा मानकों की घोर अनदेखी हो रही है।
ऊर्जा विभाग ने नियमावली का हवाला देकर 55 वर्ष से अधिक आयु वाले संविदा कर्मियों की छंटनी कर दी, लेकिन हादसों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। सुरक्षा उपकरण नहीं, सुरक्षा मानक कागज़ों में, और मैदान में मौत का खेल जारी!
⚡ यूपीपीसीएल मौत का करंट : एक्सपोज़ सीरीज़ (सिर्फ एक सप्ताह के अवधि का)
एपिसोड – 1 : अमौसी हादसा (लखनऊ)
📅 24 सितम्बर 2025
अमौसी जोन में संविदाकर्मी काम करते समय करंट की चपेट में आ गया। सुरक्षा इंतज़ाम नदारद थे। शटडाउन की प्रक्रिया भी संदिग्ध।
➡️ विभाग ने फिर वही रटा-रटाया बयान: “जांच होगी”।
एपिसोड – 2 : पिलुआ हादसा (ककरावली, इटावा)
📅 27 सितम्बर 2025
लाइन पर काम करते समय संविदा लाइनमैन श्याम बिजली के करंट से चिपक गए और मौके पर ही मौत हो गई।
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ग्रामीणों ने शव को नीचे उतारा।
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पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
➡️ पूरा गांव सदमे में – परिवार तबाह।
एपिसोड – 3 : मुबारकपुर हादसा (आजमगढ़, देवरियां गांव)
📅 30 सितम्बर 2025
48 वर्षीय संविदा लाइनमैन रामदुलारे गुप्ता शटडाउन लेकर पोल पर काम कर रहे थे। तभी अचानक बिजली चालू कर दी गई और वह पोल पर ही झूलते रह गए। मौत मौके पर ही हो गई।
➡️ सबसे बड़ा सवाल: शटडाउन के बाद बिजली किसने चालू की?
🔥 बड़ा सवाल
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10 दिन में 3 मौतें…
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अलग-अलग ज़िले, अलग-अलग हादसे, लेकिन कारण एक – यूपीपीसीएल की लापरवाही और संविदाकर्मियों की असुरक्षित नौकरी।
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सुरक्षा उपकरण नहीं, मानक सिर्फ कागज़ों में, और अफसर महज़ लीपापोती में।
⚡ यूपीपीसीएल अब संविदाकर्मियों की कब्रगाह बन चुका है। हर हादसा नया “एपिसोड” है, लेकिन सिस्टम में कोई सुधार नहीं।