
वाराणसी। बिजली विभाग में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर जारी खेल अब खुलकर सामने आ रहा है। पूर्वांचल-डिस्कॉम के वाराणसी जोन के मुख्य अभियंता कार्यालय से नियमों को दरकिनार कर किए गए तबादलों ने विभागीय कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। खास बात यह है कि इनमें प्रबन्ध निदेशक के आदेश को भी नजरअंदाज किया गया।
ताज़ा मामला कार्यकारी सहायक विजय शंकर का है। प्रबन्ध निदेशक विद्याभूषण ने 30 जून को उनका तबादला आज़मगढ़ जोन के मुख्य अभियंता कार्यालय में किया था। आदेशानुसार उन्होंने मऊ खंड में कार्यभार भी संभाल लिया। लेकिन 30 जुलाई को वाराणसी जोन के मुख्य अभियंता अनूप कुमार वर्मा ने विजय शंकर को वापस वाराणसी के नगरीय विद्युत वितरण मंडल-प्रथम में तैनात कर दिया। आदेश में वर्तमान तैनाती कॉलम में भी उनकी तैनाती “वाराणसी” ही अंकित की गई, मानो प्रबन्ध निदेशक का आदेश कभी हुआ ही न हो।
यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी मुख्य अभियंता स्तर से एक कार्यकारी सहायक का गलत स्थानांतरण हो चुका है, जिसके लिए दो कर्मचारियों को जिम्मेदार ठहराकर गाज़ीपुर भेज दिया गया था।
संविदा कर्मचारियों के वेतन पर भी सख्ती
इसी बीच संविदा कर्मचारियों के वेतन भुगतान में लापरवाही का मामला निदेशक स्तर तक पहुंच गया है। निदेशक ने वाराणसी, गोरखपुर, मिर्जापुर, बस्ती, आज़मगढ़ और प्रयागराज जोन के एक्सईएन को चेतावनी पत्र जारी करते हुए साफ निर्देश दिया है—
यदि संविदा कर्मियों का वेतन समय पर नहीं मिला तो एक्सईएन का खुद का वेतन रोक दिया जाएगा। नियम के मुताबिक सभी संविदा कर्मियों, कंप्यूटर ऑपरेटर, सुरक्षा प्रहरी और अनुसेवक का वेतन हर महीने की 7 तारीख तक देना अनिवार्य है, और इसके लिए कार्यदायी संस्था के कागजात 24 तारीख तक ईआरपी पर अपलोड करने होंगे।
प्रबंध निदेशक का साफ बयान
प्रबन्ध निदेशक विद्याभूषण ने कहा—
“किसी को मेरा आदेश रद्द करने का अधिकार नहीं। मामला गंभीर है, मुख्य अभियंता से पूछताछ होगी।” कार्यकारी सहायक मऊ में कार्यरत है। उसका ट्रांसफर गलती से हुआ था, जिसे निरस्त कर दिया गया है। ट्रांसफर सूची मुख्य अभियंता के पास पहुंचनी नहीं चाहिए थी। मुख्य अभियंता से पूछताछ का आदेश दिया गया है।”