
जब अफसरों पर फूटा विधायक का गुस्सा: बोले- अब तो पैसे दे रहा हूं, काम करो!”
👉 बिजली खंभे हटाने में लापरवाही पर सहारनपुर में BJP विधायक का बिजली विभाग पर सीधा वार – भाजपा विधायक राजीव गुंबर ने टेबल पर फेंकी 50 हजार की नकदी …बोले: ‘लो पैसे… अब तो शर्म करो!’
सहारनपुर | बिजली विभाग की सुस्ती और बहानों पर भाजपा विधायक राजीव गुंबर का गुस्सा फूट पड़ा। विकास कार्यों की समीक्षा बैठक में विधायक ने विभाग की कार्यशैली को आड़े हाथों लेते हुए टेबल पर 50 हजार की नकदी रख दी और साफ कह दिया –
“अब बहाना मत बनाना, मैं पैसे भी दे रहा हूं… अब तो काम करो!”
बिजली विभाग की बेपरवाही और बहानों से परेशान भाजपा विधायक राजीव गुंबर ने सिस्टम को आईना दिखाते हुए अफसरों की मीटिंग में टेबल पर 50 हजार रुपये फेंक दिए।
तेवर तल्ख थे और लहजा चुनौतीभरा –
“बिना पैसे के तुमसे काम नहीं होता न? तो ये लो, अब करो काम! और चाहिए तो मेरे घर से मंगवा लो!”
प्रकरण प्रतापनगर मार्केट रोड का है, जहां बीच सड़क पर बिजली का खंभा लोगों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। एक साल से व्यापारी और आमजन शिकायत कर रहे हैं, लेकिन विभाग बार-बार यही कहता रहा – “बजट नहीं है, एस्टीमेट बना रहे हैं।”
👉 गलती विभाग की – कीमत जनता चुकाए?
मामला प्रतापनगर मार्केट रोड का है। बीच सड़क पर बिजली विभाग ने गलत जगह पोल गाड़ दिया, जिससे व्यापारी और राहगीर महीनों से परेशान हैं। “बिना पैसे के आप लोगों से काम नहीं होता, तो ये लो 50 हजार रुपये, अब शर्म करो!”
विधायक का सीधा सवाल –
“जब खंभा आपने गलत लगाया तो पैसा जनता क्यों दे? आपको तो शर्म आनी चाहिए!”
विभाग ने रटा-रटाया जवाब दिया – “बजट नहीं है… एस्टीमेट बना रहे हैं।”
बस फिर क्या था – विधायक भड़क उठे। बोले –
“बजट नहीं है या नीयत खराब है?”
⚡ अफसरों की बोलती बंद – कैमरे के सामने फजीहत
विधायक ने कैमरे के सामने नोटों की गड्डी रख दी।
अफसर सिर झुकाकर बैठ गए, जवाब नहीं सूझा।
जनता की तरफ से उठी आवाज़ –
“जब MLA को खुद पैसा देना पड़े, तो विभाग किस काम का?”
🗣️ पुराना रिकॉर्ड भी तल्ख:
मार्च 2025 में भी विधायक ने जिला अस्पताल में डॉक्टरों और हाउसकीपिंग स्टाफ को जमकर लताड़ा था।
“दिमाग ठीक कर लो वरना यहां नहीं रहने दूंगा!” – ये चेतावनी भी विधायक गुंबर के तेवरों की मिसाल है।
💥 सवाल जनता का है – जवाब कौन देगा?
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क्या अब भी बिजली विभाग आंखें मूंदे रहेगा?
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क्या UPPCL में अफसरशाही की जड़ें इतनी गहरी हैं कि विधायक को भी खुलेआम नोट निकालने पड़ें?
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क्या गलती करने वाले अफसरों पर होगी कार्रवाई?
📢 ये सिर्फ खंभे का मामला नहीं है – ये व्यवस्था पर तमाचा है!
जनता से वसूली, विभाग की गलती – अब जवाबदेही जरूरी!
क्या खंभा हटेगा या अफसर फिर बहाने बनाएंगे?
अब सवाल जनता का है – “अगर विधायक को खुद पैसे देकर काम करवाना पड़े, तो अफसर किस बात की तनख्वाह ले रहे हैं?”