
नोएडा पावर कंपनी पर भी ₹1,000 करोड़ सरप्लस उजागर — UPPCL के निजीकरण और 30-40% टैरिफ वृद्धि का प्रदेशव्यापी विरोध!
🗞️ उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का ₹33,122 करोड़ सरप्लस होने के बावजूद, UPPCL द्वारा बिजली दरों में 30-40% तक की बढ़ोतरी और निजीकरण की सिफारिशें सवालों के घेरे में हैं।
उत्तर प्रदेश उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आर्यनगर में आयोजित विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई में कहा, “जब उपभोक्ताओं से 2001-2017 के बीच अतिरिक्त वसूली की पुष्टि हो चुकी है, तो दरों में 45% कमी होनी चाहिए, न कि वृद्धि।”
उद्यमियों और आम नागरिकों ने भी प्रस्तावित दर वृद्धि और निजीकरण का कड़ा विरोध किया। उनका कहना है कि 9-10 रुपये प्रति यूनिट दर से महंगाई बढ़ेगी और उद्योग तबाह होंगे।
नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (NPCL) पर भी ₹1,000 करोड़ का सरप्लस सामने आया है, जिसे उपभोक्ताओं से अनुचित रूप से वसूला गया था।
🔎 1. 33,122 करोड़ रुपये का सरप्लस — यह कैसे?
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2001-2017 के ऑडिट के बाद सामने आया: उपभोक्ताओं से पहले से ही अधिक शुल्क वसूला गया था या कुछ चार्ज गलत तरीके से लगाए गए थे।
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यह राशि उपभोक्ताओं की है, और इसे या तो समायोजित किया जाना चाहिए या रिफंड।
⚡ 2. फिर बिजली दरों में वृद्धि क्यों?
बिजली कंपनियां और UPPCL (उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड) आमतौर पर ये तर्क देती हैं:
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बिजली की उत्पादन लागत बढ़ रही है (कोयला, गैस, आदि महंगे हो गए हैं)।
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लाइन लॉसेस और चोरी की भरपाई भी उपभोक्ताओं से ही की जाती है।
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वित्तीय कुप्रबंधन और पुराने घाटों की भरपाई का दबाव भी उपभोक्ताओं पर डाला जाता है।
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निजीकरण के प्रयासों में कंपनियां लाभ दिखाने के लिए दरें बढ़ा सकती हैं।
💸 9-10 रुपये प्रति यूनिट – उद्योगों के लिए खतरा
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यह दर घरेलू उपभोक्ताओं और MSME सेक्टर के लिए बहुत भारी है।
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इससे महंगाई और उद्योगों की प्रतिस्पर्धा क्षमता प्रभावित होगी।
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रोजगार पर भी असर पड़ सकता है।
🏛️ विरोध के प्रमुख तर्क (अवधेश कुमार वर्मा और उद्यमियों की ओर से):
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उपभोक्ताओं का पैसा वापस किया जाए या दरों में कमी की जाए।
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निजीकरण से दरों में और असमानता आएगी (हर कंपनी अलग रेट लेगी)।
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KESCO की 30-40% टैरिफ वृद्धि पूरी तरह अनुचित है।
📣 “जनहित में एकजुट हो — दरों की लूट और निजीकरण का विरोध करें!”
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