वर्टिकल सिस्टम बना उपभोक्ताओं के लिए उलझन का जाल… “वर्टिकल प्रयोग या उपभोक्ताओं के लिए प्रशासनिक भूलभुलैया?”

🟥 ‘‘यूपीपीसीएल मीडिया’’ विशेष रिपोर्ट
🗓️ दिनांक: 06 जुलाई 2025
📍 लखनऊ, उत्तर प्रदेश

एक बिल ठीक कराने के लिए तीन विभागों के चक्कर, एक शिकायत दर्ज कराने के लिए कई दरवाज़े… क्या यही है सुधार की दिशा? या फिर अव्यवस्था का नया मॉडल? “यूपीपीसीएल का यह ‘वर्टिकल प्रयोग’ अब एक ऐसे जटिल ढाँचे में तब्दील होता जा रहा है, जिसमें उपभोक्ता न केवल उलझ कर रह गया है, बल्कि समस्याओं के दलदल में फँसता जा रहा है।”

वर्टिकल सिस्टम बना उपभोक्ता के लिए उलझन का जाल!

🔌 यूपीपीसीएल का ‘सुधार मॉडल’ लखनऊ में साबित हो रहा विफल, लोग भटक रहे समाधान के लिए

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) द्वारा राजधानी लखनऊ में लागू की गई नई वर्टिकल बिजली व्यवस्था अब उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का पर्याय बन चुकी है। विभागीय दावा था कि इससे सिस्टम में पारदर्शिता और गति आएगी, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे उलट नज़र आ रही है।

यूपीपीसीएल का ‘वर्टिकल प्रयोग’: नवाचार या उपभोक्ता के लिए नई मुसीबत?

उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) द्वारा शुरू किया गया तथाकथित ‘वर्टिकल प्रयोग’ अब उपभोक्ताओं के लिए असमंजस, असुविधा और असंतोष का पर्याय बनता जा रहा है। यह प्रयोग, जिसे शुरू में प्रबंधन को विकेंद्रीकृत कर दक्षता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया था, अब एक ऐसे ढाँचे में तब्दील हो गया है जहाँ उपभोक्ता अनिश्चितता, भ्रम और व्यवस्था की धीमी गति के बीच फँस कर रह गया है।

क्या है ‘वर्टिकल प्रयोग’?

यूपीपीसीएल का ‘वर्टिकल मॉडल’ वितरण, ट्रांसमिशन, जनरेशन और बिलिंग जैसे विभागों को अलग-अलग स्वायत्त इकाइयों (Subsidiaries) के रूप में चलाने की रणनीति है। प्रत्येक इकाई को स्वतंत्र निर्णय लेने, संसाधन प्रबंधन और रिपोर्टिंग का अधिकार दिया गया है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, इसका उद्देश्य उत्तर प्रदेश में विद्युत सेवाओं को और अधिक उत्तरदायी, कुशल और पारदर्शी बनाना था।

वास्तविकता: बढ़ी जटिलताएँ, घटा समाधान समय

ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ताओं ने शिकायत की है कि:

  • शिकायत के लिए किस विभाग से संपर्क करें, यह स्पष्ट नहीं होता।

  • एक विभाग की गलती का जिम्मा दूसरा नहीं लेता — ‘जिम्मेदारी का पिंग-पोंग’ चलता रहता है।

  • लाइन फॉल्ट, बिलिंग त्रुटियाँ या मीटर संबंधी शिकायतों पर कार्रवाई में औसतन 3–5 दिन की देरी हो रही है।

  • हेल्पलाइन पर कॉल करने पर अक्सर जवाब मिलता है — “यह हमारे वर्टिकल का मामला नहीं है।”🔍 क्या है समस्या?

  • एक ही एक्सईएन (अधिशासी अभियंता) पर 11 केवी, एलटी लाइन, फॉल्ट, शिकायत और राजस्व का पूरा बोझ

  • एसडीओ और जेई को विभिन्न सबस्टेशनों में भेजकर टुकड़ों में बाँटा गया दायित्व

  • उपभोक्ता को नहीं पता कि फॉल्ट, बिलिंग या ट्रिपिंग के लिए किससे संपर्क करें

  • बिजली घरों में मौजूद स्टाफ भी सही जवाब देने में असमर्थ

  • शिकायतों पर स्पष्टीकरण की बजाय टालमटोल

📣 “नया सिस्टम, लेकिन जवाबदेही नदारद” – उपभोक्ताओं की नाराजगी

लखनऊ के कई क्षेत्रों में उपभोक्ताओं ने बताया कि:

“शिकायत दर्ज कराने पर कहा जाता है—‘यह काम हमारे विभाग का नहीं है’, या ‘वो जिम्मेदार अफसर दूसरे सबस्टेशन में हैं।’”

“एक फॉल्ट के लिए तीन जगह फोन करने पड़ते हैं, लेकिन समाधान कहीं नहीं।”

⚠️ सुधार नहीं, उलझाव का जाल

यूपीपीसीएल का यह ‘वर्टिकल प्रयोग’ एक ऐसे ढाँचे में बदलता जा रहा है, जिसमें उपभोक्ता फँस कर रह गया है:

  • समस्या – स्पष्ट

  • समाधान – अनिश्चित

  • जिम्मेदार – अदृश्य

📢 ‘यूपीपीसीएल मीडिया’ की मांग – उपभोक्ता हित में हो पुनर्विचार!

‘‘यूपीपीसीएल मीडिया’’ का स्पष्ट मानना है कि—

  • इस ढाँचे को लागू करने से पहले स्थानीय ज़रूरतों और व्यावहारिक चुनौतियों का विश्लेषण किया जाना चाहिए था

  • विभाग को चाहिए कि वह इस व्यवस्था की जनसुनवाई करे

  • हेल्पलाइन नंबर, संपर्क अधिकारी और जिम्मेदारों की सूची सार्वजनिक की जाए

  • यदि यह प्रणाली उपभोक्ता को राहत नहीं दे पा रही, तो इसे वापस लेना ही जनहित में होगा


लखनऊ में बिजली वितरण के वर्टिकल मॉडल को लेकर उपभोक्ताओं की प्रतिक्रिया पर यूपीपीसीएल की स्पष्टता

राजधानी लखनऊ में बिजली आपूर्ति प्रणाली को और अधिक सक्षम एवं जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) द्वारा वर्टिकल वितरण मॉडल की शुरुआत की गई है। यह मॉडल पहले से बरेली, कानपुर, गोरखपुर एवं अन्य जिलों में सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है।

हाल ही में लखनऊ में इस व्यवस्था के लागू होने के बाद कुछ उपभोक्ताओं द्वारा असमंजस की स्थिति की बात सामने आई है। इस विषय में यूपीपीसीएल स्थिति स्पष्ट करना चाहता है।

🔎 वर्टिकल मॉडल: उद्देश्य और लाभ

  • उपभोक्ताओं को तेज़ और केंद्रीकृत सेवा प्रदान करना

  • प्रत्येक कार्य (बिलिंग, फॉल्ट सुधार, राजस्व, तकनीकी मरम्मत) के लिए स्पष्ट जवाबदेही तय करना

  • तकनीकी स्टाफ की क्षमता आधारित तैनाती

  • बिजली फॉल्ट की तेज़ पहचान और समाधान

इस प्रणाली में प्रत्येक एक्सईएन की विशिष्ट जिम्मेदारियाँ तय की गई हैं ताकि कार्यों में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित किया जा सके।

🙋‍♂️ उपभोक्ताओं की शंका पर यूपीपीसीएल की अपील

UPPCL समझता है कि नई प्रणाली के पहले चरण में कुछ भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके समाधान हेतु:

  • सभी ज़ोन में हेल्पलाइन और संपर्क अधिकारी नामित किए गए हैं

  • उपभोक्ताओं के लिए विस्तृत दिशानिर्देश और सम्पर्क सूची विभागीय पोर्टल और सबस्टेशनों पर उपलब्ध है

  • एक “ग्राहक मार्गदर्शन सप्ताह” की योजना बनाई गई है, जिसमें क्षेत्रीय अभियंता उपभोक्ताओं को नई प्रणाली की जानकारी देंगे

🛠 सुधार की प्रक्रिया सतत जारी है

“यूपीपीसीएल उपभोक्ताओं के हित में हर फीडबैक का स्वागत करता है। यदि किसी स्तर पर समस्या आती है, तो उसे शीघ्र समाधान की श्रेणी में लिया जाता है।”


उपभोक्ता बोले: पहले की व्यवस्था बेहतर थी

कन्नौज निवासी राजेश तिवारी कहते हैं:
“पहले जब बिजली कटती थी, तो एक फोन करने से लाइनमैन आ जाता था। अब हम नहीं जानते किस वर्टिकल में फोन करें। हर कोई दूसरे विभाग पर जिम्मेदारी डाल देता है।”

लखनऊ की गृहिणी कविता मिश्रा बताती हैं:
“बिल में ग़लती हुई, लेकिन उसे ठीक कराने के लिए दो अलग-अलग कार्यालयों के चक्कर काटने पड़े। एक कहता है बिलिंग वर्टिकल देखेगा, दूसरा कहता है डेटा तो ट्रांसमिशन से आया था।”

कर्मचारियों में भी असमंजस

यूपीपीसीएल के एक जूनियर अभियंता (नाम न जाहिर करने की शर्त पर) ने कहा:
“यह प्रयोग ऊपर से तो अच्छा लगता है, लेकिन फील्ड लेवल पर समन्वय की भारी कमी है। एक ही ट्रांसफार्मर के फॉल्ट को ठीक करने में तीन वर्टिकल्स से अनुमति लेनी पड़ती है।”

विशेषज्ञों की राय: ढाँचा मजबूत करो, नहीं तो असफलता तय है

ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि वर्टिकल मॉडल सफल हो सकता है यदि तकनीकी समन्वय, जिम्मेदारी तय करने की स्पष्ट प्रक्रिया, और उपभोक्ता संचार प्रणाली को पहले से बेहतर किया जाए। अन्यथा यह प्रयोग आंतरिक असंगठन और जनता के असंतोष का कारण बनता रहेगा।


सरकार का जवाब

ऊर्जा विभाग के प्रवक्ता का कहना है: “यह संक्रमण काल है। शुरुआती दिक्कतें हैं, लेकिन सुधार की दिशा में काम जारी है। वर्टिकल मॉडल से दीर्घकालीन लाभ होंगे।”


निष्कर्ष: प्रयोग या प्रयोगशाला में फँसा उपभोक्ता?

यूपीपीसीएल का वर्टिकल मॉडल फिलहाल सैद्धांतिक रूप से आकर्षक लेकिन व्यवहार में अव्यवस्थित प्रतीत हो रहा है। उपभोक्ताओं की परेशानी, कर्मचारियों की उलझन और विभागों की समन्वयहीनता इस बात के संकेत हैं कि बिना ठोस आधारभूत ढांचे के कोई भी संरचनात्मक बदलाव जनता पर बोझ ही बनता है।

विभाग यह सुनिश्चित करता है कि लखनऊ की विद्युत आपूर्ति सुरक्षित, सुचारु और पारदर्शी बनी रहे। विभाग नागरिकों से अनुरोध करता है कि वे किसी भी भ्रम की स्थिति में निर्धारित हेल्पलाइन या स्थानीय एक्सईएन कार्यालय से संपर्क करें।


📣 यूपीपीसीएल से जवाब चाहिए – उपभोक्ता अब खामोश नहीं!
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